हलासन से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
हलासन में शरीर का आकार हल जैसा बनता है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : हलासन में शरीर का आकार हल जैसा बनता है। इसे करने से गर्दन, कंधों, पेट और पीठ की मांसपेशियां खुलकर मजूबत होती हैं व रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। डायबिटीज के मरीजों के लिए ये बेहतर आसन है, क्योंकि इससे शुगर लेवल नियंत्रित होता है। यह स्ट्रेस और थकान कम करने में भी मददगार है। जैसा कि योग गुरु व एवरेस्ट योग इंस्टीट्यूट के निदेशक संजीव त्याग ने बताया।
विधि
योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। हाथों को शरीर से सटा लें। हथेलियां जमीन की तरफ रहेंगी। सांस भीतर की ओर खींचते हुए पैरों को ऊपर उठाएं। टांगें कमर से 90 डिग्री का कोण बनाएंगी। दबाव पेट की मांसपेशियों पर रहेगा। टांगों को ऊपर उठाते हुए हाथों से कमर को सहारा दें। सीधी टांगों को सिर की तरफ झुकाएं और पैरों को सिर के पीछे ले जाएं। इससे पैरों के अंगूठे से जमीन को छुएंगे। हाथों को कमर से हटाकर जमीन पर सीधा रख लें। हथेली नीचे की तरफ और कमर जमीन के समानांतर रहेगी। इसी स्थिति में एक मिनट तक बने रहें। सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। सांस छोड़ते हुए टांगों को वापस जमीन पर ले आएं।
सावधानियां
यदि गर्दन पर चोट हो या डायरिया और उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हो तो ये न करें। महिलाएं गर्भावस्था और मासिक धर्म में अभ्यास न करें। आसन को धीमे धीमे और सहजता से करें। अगर आप हाई बीपी या अस्थमा के मरीज हैं तो ये आसन न करें। शुरुआत में आप गर्दन पर ज्यादा खिचाव महसूस कर सकते हैं।