शहीद की बरसी पर सरकार की उदासीनता बरकरार, न वादों पर कोई भरोसा, न परिवार को कोई राहत
सरकार की शहीदों प्रति इस उदासीनता के दर्द परिवार में भरा हुआ है लेकिन चाह कर भी परिवार अपना दर्ज बयान नहीं कर पा रहा हैं। बुधवार को गुरुद्वारा जन्म स्थान के कीर्तनी भाई दर्शन सिंह द्वारा गुरबाणी के माध्यम से संगत को उपदेश दिया।
संवाद सूत्र, चीमां (संगरूर): वर्ष 2020 में गलवन घाटी में चीनी फौज से हुई झड़प के दौरान शहीद हुए गांव तोलावाल के शहीद गुरबिंदर सिंह की बुधवार को पहली बरसी मनाई गई। उनके घर पर श्री अखंड पाठ साहिब के पाठ के भोग डाले गए व श्रद्धांजलि भेंट की गई। शहीद की पहली बरसी पर भी सरकार व प्रशासन की बेरुखी सामने आई। बरसी समागम के दौरान कांग्रेस के राज्य सचिव हरमनदेव बाजवा ने शिरकत की।
इस दौरान न तो सरकार की तरफ से किसी राजनीतिज्ञ ने शहीद के नाम पर गत वर्ष किए गए वादों को पूरा करने के लिए कोई भरोसा दिलाया तथा न ही अधर में लटके वादों को पूरा करने के लिए कोई एलान किया। शहीद की तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किए गए, लेकिन शहीद के नाम पर सरकार के वादे अधूरे होने का दर्द परिवार में मन में साफ झलकता दिखाई दिया। शहीद के भाई को अभी तक नौकरी नहीं मिली है। बेशक शहीद के परिवार को मिलने वाली 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद सरकार ने गत वर्ष ही परिवार को दे दी थी, लेकिन इसके बाद दोबारा सरकार ने परिवार की सार तक नहीं ली।
सरकार की शहीदों प्रति इस उदासीनता के दर्द परिवार में भरा हुआ है, लेकिन चाह कर भी परिवार अपना दर्ज बयान नहीं कर पा रहा हैं। बुधवार को गुरुद्वारा जन्म स्थान के कीर्तनी भाई दर्शन सिंह द्वारा गुरबाणी के माध्यम से संगत को उपदेश दिया। इस अवसर पर पहुंचे कांग्रेस के हलका इंचार्ज दामन थिंद बाजवा के पति राज्य सचिव हरमनदेव बाजवा द्वारा शहीद को श्रद्धांजलि देने पश्चात परिवार को सम्मानित किया गया।
बाजवा ने कहा कि शहीद कभी नहीं मरते, उनकी कुर्बानी देश निवासियों के दिलों में हमेशा जिंदा रहती है। समागम में किसी पार्टी के नेता द्वारा शिरकत न किए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते परिवार ने कहा कि उन्होंने पहले वर्ष ही देश पर मिटने वाले शहीद की याद को मन से भुला दिया है। समागम के आखिर में हलके के गांवों में शहीद हुए जवानों के परिवारों व शहीद गुरबिंदर सिंह की रेजीमेंट से आए छह जवानों को सम्मानित किया गया।
सरकार ने शहीद के भाई को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। सरकार ने शुरुआती समय के दौरान भाई को नौकरी देने के लिए कार्रवाई भी आरंभ की थी, लेकिन एक वर्ष का समय गुजर जाने के बाद भी सरकार ने नौकरी प्रदान नहीं की। शहीद के घर तक बनाई जाने वाली पक्की सड़क आज तक नहीं बनी। शहीद के नाम पर स्टेडियम का निर्माण भी नहीं हुआ। पंचायत ने 21 लाख रुपये की लागत से मनरेगा के अधीन एक छोटे स्टेडियम का निर्माण अवश्य करवा दिया है, लेकिन बड़े स्टेडियम का निर्माण नहीं हुआ।
शहीद के परिवार ने सरकार से गुहार लगाई कि शहीद की शहादत के समय में परिवार के समक्ष किए गए वादों को सरकार गंभीरता से लेते हुए तुरंत पूरा करें। एक वर्ष से परिवार इन वादों को अमलीजामा पहनाए जाने का इंतजार कर रहा है, लेकिन सरकार उदासीनता का रवैये अपनाए हुए हैं। यह शहीदों की शहादत व शहीद के परिवारों का अपमान है। समागम दौरान प्रधान नगर कौंसिल सुनाम निशान सिंह टोनी, बलवीर सिंह भंम, सदस्य ब्लाॅक सम्मति के पूर्व सैनिकों के नेता सुखदेव सिंह मिला हकीमा आदि उपस्थित थे।