चार निजी अस्पतालों ने संक्रमित ​​​​मरीज को किया रेफर, सिविल में समय पर इलाज नहीं मिलने से मौत

सीएमसी अस्पताल में तड़के साढ़े तीन बजे पहुंचने पर अस्पताल के कर्मचारियों ने मरीज को देखना तक मुनासिब नहीं समझा और उन्हें सिविल अस्पताल ले जाने को कहा।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 11:28 AM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 11:28 AM (IST)
चार निजी अस्पतालों ने संक्रमित ​​​​मरीज को किया रेफर, सिविल में समय पर इलाज नहीं मिलने से मौत
चार निजी अस्पतालों ने संक्रमित ​​​​मरीज को किया रेफर, सिविल में समय पर इलाज नहीं मिलने से मौत

लुधियाना, [अश्वनी पाहवा]। मंगलवार को एक तरफ डीसी प्रदीप अग्रवाल प्राइवेट अस्पतालों से कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए बेड देने के आदेश दे रहे थे, वहीं दूसरी तरफ उनके इस आदेशों पर चार अस्पतालों ने पानी फेर दिया। अस्पतालों के रेफर-रेफर के खेल में ढोलेवाल के रहने वाले जोगिंदर पाल (58) की मौत हो गई।

दरअसल, भतीजे गुरिंदर शर्मा ने बताया कि सोमवार की देर रात करीब दो बजे चाचा जोगिंदर पाल को हार्ट अटैक आया। परिवार के सदस्य ऑटो में उनको घर के नजदीक पड़ते गिल रोड स्थित ग्रेवाल अस्पताल ले गए। वहां से उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें बड़े अस्पताल में ले जाने को कह दिया गया। फिर वे ढोलेवाल स्थित रामा चैरिटेबल अस्पताल गए। वहां से भी उन्हें सीएमसी अस्पताल रेफर कर दिया गया। मगर परिवार के लोग मरीज को मोहनदेई ओसवाल अस्पताल ले गए। वहां भी इलाज न मिलने पर वे सीएमसी अस्पताल ले गए।

सीएमसी अस्पताल से सिविल अस्पताल ले जाने को कहा

स्वजनों ने आरोप लगाया कि सीएमसी अस्पताल में तड़के साढ़े तीन बजे पहुंचने पर अस्पताल के कर्मचारियों ने मरीज को देखना तक मुनासिब नहीं समझा और उन्हें सिविल अस्पताल ले जाने को कहा। फिर वे करीब सुबह चार बजे सिविल अस्पताल पहुंचे तो वहां भी उन्हें समय पर इलाज नहीं मिला। करीब 11 बजे जोगिंदरपाल के बेटे ने अपने किसी नजदीकी युवा एनजीओ के संचालक कुमार गौरव को फोन करके अस्पताल में बुलाया। उन्होंने एसएमओ को मामले से अवगत करवाया। तब जाकर उनके चाचा की जांच हुई तो वह कोरोना संक्रमित पाए गए।

पॉजिटिव आते ही पटियाला कर दिया रेफर

गुरिंदर शर्मा ने बताया कि चाचा के पॉजिटिव आते ही सिविल अस्पताल ने इलाज करने की बजाय तुरंत पटियाला स्थित राजिंदरा अस्पताल रेफर कर दिया। इससे पहले उनके चाचा पटियाला के लिए निकलते, उन्होंने दोपहर ढाई बजे सिविल अस्पताल में ही दम तोड़ दिया। गुरिंदर ने आरोप लगाया कि चाचा की मौत के बाद जब उन्होंने अस्पताल के स्टाफ से पॉजिटिव होने की रिपोर्ट मांगी, तो उनके साथ दुव्र्यवहार किया गया। इसके साथ ही उनके चाचा का नाम जोगिंदरपाल है, जबकि एडमिशन फाइल पर नाम वरिंदरपाल लिखा गया।

एसएमओ ने कहा, सीएमसी में वेंटिलेटर नहीं था इसलिए पटियाला भेजा

सिविल अस्पताल की एसएमओ डॉ. अमरजीत कौर ने इलाज में लापरवाही के आरोपों को नकारा है। उनका कहना था कि सुबह साढ़े चार बजे मरीज आया था। उसकी हालत गंभीर थी। हमने सीएमसी अस्पताल में फोन करके वेंटिलेटर के बारे में पूछा, तो नहीं था। फिर राजिंदरा अस्पताल में फोन किया तो वहां वेंटिलेटर था। राजिंदरा अस्पताल ने कहा कि पेशेंट को थोड़ा स्टेबल करके भेजिए। जब पेशेंट स्थिर हुआ तो नई एंबुलेंस में जोगिंदरपाल सहित दो मरीजों को भेजने लगे। उसी दौरान दूसरे मरीज के स्वजनों ने जोगिदरपाल को साथ ले जाने से मना कर दिया। ऐसे में दूसरे मरीज को पटियाला भेज दिया गया। जब तक एंबुलेंस पटियाला से लौटकर आती, तब तक जोगिंदरपाल ने दम तोड़ दिया।

पहले भी हो चुकी है मौत

इससे पहले भी पिछले करीब दस दिनों में मरीजों को भर्ती नहीं करने पर और उन्हें समय पर इलाज नहीं मिलने से मृत्यु हो चुकी है। इस कारण सरकार और जिला प्रशासन प्राइवेट अस्पतालों को निर्देश दे रहे हैं। मगर उनकी इस सख्ती का कोई असर होता नहीं दिख रहा है और संक्रमित व्यवस्था के कारण मरीज की मौत हो गई।

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