खाना-पानी लेकर दिल्ली बार्डर पर डटे हैं किसान, कोई ट्राली में तो कोई खुले आसमान तले सो रहा

बिदु उप्पल जगराओं कृषि सुधार कानून के खिलाफ दिल्ली कूच करने वाले किसान बार्डर पर डट

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 04:31 AM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 04:31 AM (IST)
खाना-पानी लेकर दिल्ली बार्डर पर डटे हैं किसान, कोई ट्राली में तो कोई खुले आसमान तले सो रहा
खाना-पानी लेकर दिल्ली बार्डर पर डटे हैं किसान, कोई ट्राली में तो कोई खुले आसमान तले सो रहा

बिदु उप्पल, जगराओं : कृषि सुधार कानून के खिलाफ दिल्ली कूच करने वाले किसान बार्डर पर डटे हुए हैं। किसानों के पास खाना-पानी, दवा सभी इंतजाम हैं। बार्डर पर डटे किसान नेता कंवलजीत खन्ना व हरदीप सिंह गालिब, इंद्रजीत सिंह धालीवाल, जगतार सिंह देहड़का व पंजाब किसान यूनियन लुधियाना के प्रधान बूटा सिंह चक्र ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को धोखे से बुराड़ी मैदान ले जाना चाहती थी और कुछ किसान गुमराह होकर खुली जेल में पहुंच गए, लेकिन अब किसान सतर्क हो गए हैं। सभी किसान अलग-अलग बार्डर पर बैठे हैं और सोमवार को बुराड़ी मैदान से भी किसानों को वापस लेकर आएंगे।

कंवलजीत खन्ना ने कहा कि देश की सभी किसान यूनियनें उतनी देर दिल्ली के सभी बार्डरों पर डटी रहेंगी, जितनी देर केंद्र सरकार खेती के काले कानूनों को रद्द नहीं करती। किसान जत्थेबंदियां अपने साथ पांच-छह माह का राशन, ईधन व बिस्तरे, कपड़े लेकर गए हैं। खास बात है कि किसान खुद के अलावा पुलिस कर्मियों को भी भोजन करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली की सड़कों पर बैठे किसानों को किसी चीज की जरूरत नहीं, क्योंकि डाक्टर, एंबुलेंस व दवाइयों का पूरा प्रबंध किया गया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली की सड़कों पर, ट्रालियों में किसानों ने टेंट व कई जगह खुले में बिस्तर लगाए हुए हैं।

किसान महिदर सिंह कमालपुरा व किसान हरनेक सिंह महिमा का कहना है कि जितनी भी सरकारें जनता विरोधी फैसले व कानून लागू करेंगी, वे टिक नहीं पाएंगी। हरनेक सिंह अपने परिवार के साथ दिल्ली रोड पर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि घरों में तो बहुत काम होते हैं, पर ये समय इकट्ठे होने का है। देश की 472 किसान यूनियनों का फिलहाल एक ही मकसद है, खेती के काले कानूनों को रद करवाना।

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