महासाध्वी वीणा महाराज की 53वीं दीक्षा जयंती पर समारोह आज

एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस के तत्वावधान में महासाध्वी वीणा महाराज सा. की 53वीं शुभ दीक्षा जयंती उत्सव 21 से 26 सितंबर तक श्रद्धापूर्वक मनाया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 07:24 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 07:24 PM (IST)
महासाध्वी वीणा महाराज की 53वीं दीक्षा जयंती पर समारोह आज
महासाध्वी वीणा महाराज की 53वीं दीक्षा जयंती पर समारोह आज

संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस के तत्वावधान में महासाध्वी वीणा महाराज सा. की 53वीं शुभ दीक्षा जयंती उत्सव 21 से 26 सितंबर तक श्रद्धापूर्वक मनाया जाएगा। 26 सितंबर को महासाध्वी श्री की शुभ दीक्षा जयंती गुणगान सभा आठ से दस बजे तक होगी। चातुर्मास कमेटी के चेयरमैन जितेंद्र जैन श्रमण जी यार्न व सभाध्यक्ष अरिदमन जैन ने कहा कि 21 सितंबर को खुले आयंबिल करवाएं जाएंगे। गुरु कृपा सेवा सोसायटी द्वारा 11 लक्की ड्रा प्रवचन पश्चात निकाले जाएंगे। 22 सितंबर को उवसग्गर्हम पाठ सामूहिक रूप से करवाया जा रहा है। समय प्रात 7.30 से 8.30 तक सुबह का रहेगा। इसके लाभार्थी परिवार विवेक जैन, अक्षी जैन होंगे। 23 सितंबर को ध्यान साधना दिवस प्रात: 7 से 8.30 बजे तक का रहेगा। 24 सितंबर को सामूहिक रूप से उच्चारण सहित लोग्गस्य पाठ करवाया जाएगा। इस दौरान श्री महावीर जैन युवक संघ की तरफ से लक्की ड्रा भी निकाले जाएंगे। समय 7.30 से 8.30 तक होगा। 25 सितंबर को माता- पिता दिवस बडे़ भव्य रूप से मनाया जा रहा है। कई प्रकार की इस दिवस पर धार्मिक लघु नाटिका भी करवाई जाएगी। सभी माता- पिता अपने बच्चों सहित इस अवसर पर पहुंचने के भाव रखे। 26 सितंबर दिन रविवार को विशेष गुणगान सभा का आयोजन प्रात 8 बजे से होगा।

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माता- पिता का सम्मान सब का सम्मान : साध्वी रत्न संचिता

एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस की सभा में प्रवचन प्रभाविका साध्वी रत्न संचिता महाराज ने कहा कि हमारे जीवन में माता- पिता के अनंत उपकार है। क्योंकि हमारे शरीर में विद्यमान तीन अंग पिता की देन है। जैसे कि शरीर में रही संपूर्ण हड्डियां, हड्डी की ऊर्जा और संपूर्ण बाल। तीन अंग माता की देन है, मांस, रक्त और मस्तिष्क। यदि माता-पिता द्वारा प्राप्त उन तीन-2 अंगों को अलग कर दिया जाए तो हमारे पास बचेगा क्या? अत: ऐसे अनंत उपकारी के दिल को दुलाए। उनकी सदा आज्ञा मानें। हमारे महापुरुष भले ही वे राम रहे हो या श्री कृष्ण। बुद्ध रहे या प्रभु महावीर, सदा उन्होंने भी माता-पिता का आदर सम्मान, सत्कार नमन ही किया है। सदा उनका आशीर्वाद ले, सेवा करे, जिससे कि हमारा जीवन भी सुखमय बन सकें।

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