पंजाब में बागवां: करोड़ों की प्रापर्टी हड़पने के बाद बेटे-बहू ने घर से निकाला, परेशान बजुर्ग ने वृद्धाश्रम में दी जान

रत्न सिंह को क्या पता था कि जिन पत्नी बेटे और बहू पर वह जान छिड़कते हैं वे केवल पैसे के भूखे हैं। जैसे ही करोड़ों की प्रापर्टी उनके पास पहुंची उन्हें घर से निकाल दिया। कई वर्ष भटकने के बाद रत्न ने दो सुसाइड नोट छोड़ खुदकुशी कर ली।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 02:50 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 05:53 PM (IST)
पंजाब में बागवां:  करोड़ों की प्रापर्टी हड़पने के बाद बेटे-बहू ने घर से निकाला, परेशान बजुर्ग ने वृद्धाश्रम में दी जान
पटियाला में बुजुर्ग ने फंदा लगाकर दी जान। (फाइल फाेटाे)

जागरण संवाददाता, पटियाला। पंजाब में बागवां फिल्‍म की तरह ही बेटे-बहू ने बुजुर्ग को सारी संपत्ति हड़पने के बाद घर से निकाल दिया। इससे दुखी बुजुर्ग ने खुदकुशी कर ली। घटना पटियाला की है। तमाम उम्र डाकघर में बतौर पोस्टमैन नौकरी कर रिटायरमेंट के बाद लाखों रुपये मिले और पुश्तैनी जमीन भी अच्छी खासी थी। करोड़ों रुपये की प्रापर्टी व पैसा होने पर रिटायरमेंट तक खुद के परिवार व भतीजों ने सेवा की लेकिन जैसे ही प्रापर्टी उनके पास पहुंची तो बुजुर्ग को घर से निकाल दिया। करीब तीन सालों तक गुरुद्वारा साहिब व सड़कों पर भटकने के बाद वृद्धाश्रम पहुंचे लेकिन यहां पर खुद को तन्हा व अकेला पाने पर मानसिक परेशान हो गए। परेशानी के चलते 66 वर्षीय बजुर्ग रत्न सिंह ने 27 जुलाई को फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली और पीछे दो सुसाइड छोड़े।

सुसाइड नोट के आधार पर त्रिपड़ी पुलिस ने छोटे भाई हरमेश सिंह निवासी गांव धर्मगढ़ मोहाली की शिकायत पर रत्न सिंह के बेटे हरचरन सिंह, बहू मंजू रानी, पत्नी सुरजीत कौर निवासी गांव धर्मगढ़ मोहाली, भतीजे दविंदर सिंह, रविंदर सिंह व रविंदर कीमां सुनहरी देवी निवासी टिब्बा सिंह लुधियाना, प्रापर्टी डीलर बचितर सिंह निवासी निवासी गांव पत्तो जिला मोहाली, दविंदर सिंह निवासी गांव बलटाना जिला मोहाली व जमीन खरीदने वाले करतार सिंह, इंदर कुमार बजुर्ग निवासी जिला कुरुक्षेत्र हरियाणा पर केस दर्ज कर लिया है।

क्या है पूरा मामला

रत्न सिंह डाकखाना पटियाला से साल 2015 में बतौर पोस्टमैन रिटायर हुए थे। रिटायरमेंट के बाद घर जाने पर उनके साथ बहू व बेटे के अलावा पत्नी भी सही बर्ताव नहीं करती थी, जिस वजह से उन्हें घर से निकाल दिया गया। बेघर होने पर वह कभी गुरुद्वारा साहिब तो कभी चौरा स्थित साईं वृद्ध आश्रम में रहते थे। इस दौरान उनके भतीजे रविंदर सिंह व दविंदर सिंह उन्हें सेवा करने के बहाने अपने पास ले गए, जहां पर धोखे से उनकी 40 लाख रुपये के करीब प्रापर्टी व पैसा डीलर के साथ मिलकर हड़प घर से निकाल दिया। रत्न सिंह फिर से आश्रम पहुंच गया और अक्सर ही अपना पैसा वापस मांगने भतीजों के पास जाता था तो उसे जलील किया जाने लगा। जून 2019 को रत्न सिंह को डीसी आफिस के जरिये रौंगला गांव स्थित वृद्धाश्रम में भेज दिया था, जहां पर शुरूआत में काफी खुश व एक्टिव रहे। पिछले कुछ दिनों से वह जिंदगी में सब कुछ खोने से परेशान चल रहे थे। 27 जुलाई को सुबह चाय पीने के लिए जब आश्रम के संचालकों ने दरवाजा खटखटाया तो नहीं खोलने पर कुंडी तोड़ देखा तो रत्न सिंह ने फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी।

सात भाई व खुद के परिवार के बावजूद नहीं मिली खुशी

रत्न सिंह के परिवार में सात भाई थे, जिनमें से दो बड़े भाइयों की मौत मई व जून में हो गई थी। जुलाई महीने में रत्न सिंह ने खुदकुशी कर ली। सात भाई और खुद का परिवार होने के बाद भी करोड़ों की प्रापर्टी ही उनकी मौत का कारण बन गई। पैसे व प्रापर्टी के लिए हर रिश्तेदार ने रिटायरमेंट तक साथ दिया लेकिन रिटायरमेंट के घर से निकला तो आश्रम में सुध लेने तक नहीं पहुंचे।

आश्रम के संचालक ने कई बार की थी काउंसलिंग

आश्रम के संचालक लखविंदर सरीन ने कहा कि उनके आश्रम में 18 के करीब बजुर्ग हैं, इनमें से रत्न सिंह सबसे फिट व एक्टिव थे। आश्रम के बुजुर्ग इंदर सिंह का नाम सुसाइड में नोट में लिखा है, जो खुद 70 साल के हैं। हो सकता है कि थोड़े मनमुटाव की वजह से सुसाइट में नाम लिख दिया हो लेकिन वह कसूरवार नहीं है। रही बात रत्न सिंह की तो उनकी काफी काउंसलिंग की थी लेकिन उन्होंने अपने ही परिवार से परेशान होकर यह कदम उठाया, जिसका उन्हें गहरा दुख भी पहुंचा है।

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