श्री दुर्गा माता मंदिर जगराओं पुल है भक्तों की आस्था का दिव्य केंद्र...

महानगर के श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र जगराओं पुल स्थित श्री दुर्गा माता मंदिर की स्थापना 26 अप्रैल 1950 को हुई ।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 08 Oct 2021 06:05 AM (IST) Updated:Fri, 08 Oct 2021 03:01 PM (IST)
श्री दुर्गा माता मंदिर जगराओं पुल है भक्तों की आस्था का दिव्य केंद्र...
श्री दुर्गा माता मंदिर जगराओं पुल है भक्तों की आस्था का दिव्य केंद्र...

संस, लुधियाना : महानगर के श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र जगराओं पुल स्थित, श्री दुर्गा माता मंदिर की स्थापना 26 अप्रैल 1950 को हुई । इस दौरान मां दुर्गा जी की दिव्य मूर्ति की स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा पंडित जगन्नाथ व अन्य विद्वान ब्राह्मणों द्वारा मंत्रो उच्चारण से की गई थी। मंदिर प्रांगण में गौस्वामी गणेश दत्त, महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद तीर्थ, पंडित जगदीश चंद्र कोमल विशेष रुप से शामिल हुए थे। मंदिर बनाने का सौभाग्य लाला मुनि लाल मित्तल व उनकी धर्म पत्नी शांति देवी मित्तल को प्राप्त हुआ।

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माता ज्वाला से लाई गई अखंड ज्योति 1972 में विराजमान हुई

श्री दुर्गा माता मंदिर ट्रस्टी जनरल सेकेट्री संजय महेंद्र बंपी ने बताया कि माता ज्वाला से अखंड ज्योति का यहां वर्ष 1972 में मंदिर प्रकाश हुआ, जो आज तक विराजमान है। मानवता की सेवा को लेकर मंदिर प्रांगण में श्री दुर्गा माता मंदिर अस्पताल के अलावा जरूरतमंद महिलाओं को राशन वितरण, जरूरतमंद लड़कियों के लिए निशुल्क सिलाई स्कूल, निशुल्क कम्पयूटर सेंटर, ब्यूटीशिन अकादमी आदि सेवा कार्य किए जा रहे हैं।

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वर्ष 1984 में हुई श्री दुर्गा माता मंदिर ट्रस्ट की स्थापना

वरिदर मित्तल ने कहा कि वर्ष 1984 में शांति देवी के प्रयास से श्री दुर्गा माता मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की गई। उन्होंने कहा कि मंदिर ट्रस्ट को बढ़ाने के लिए स्व. लाला लाजपत राय, शहीद जोगिदर पाल पांडे, स्व. लाला मुन्नी लाल जैन, स्व. कैलाश शर्मा ने अपनी अथक सेवाएं प्रदान की।

----------- निरंतर धार्मिक सहित सामाजिक कार्य चलते रहते हैं

सेकेट्री अश्वनी जैन ने कहा कि श्रद्धालुओं को सनातन संस्कृति से जोड़ने के लिए जहां मंदिर प्रांगण में श्रद्धापूर्वक उत्सव मनाए जा रहे हैं। वहीं प्रत्येक मंगलवार को मां की चौकी व भंडारे का आयोजन सहित मंदिर ट्रस्ट प्रतिदिन दो हजार लोगों को भोजन महानगर के विभिन्न इलाकों में वितरित करता आ रहा है। इसके अलावा चैत्र नवरात्र व शारदीय नवरात्र उत्सव पर संकीर्तन व कथा का आयोजन भी किया जाता है।

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