गंभीर संकट के दौर से गुजर रही पंजाब की कृषि और किसान : डॉ. हरबंस सरों

पंजाब की कृषि व किसान गंभीर संकट से गुजर रही है। किसान कर्ज के बोझ के तले दबे हुए है।

By Edited By: Publish:Tue, 19 Mar 2019 07:30 AM (IST) Updated:Tue, 19 Mar 2019 10:44 AM (IST)
गंभीर संकट के दौर से गुजर रही पंजाब की कृषि और किसान : डॉ. हरबंस सरों
गंभीर संकट के दौर से गुजर रही पंजाब की कृषि और किसान : डॉ. हरबंस सरों

जागरण संवाददाता, लुधियाना : पंजाब की कृषि व किसान गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। किसान कर्ज के बोझ के तले दबे हुए हैं। कृषि में लागत बढ़ रही है और मुनाफा घट रहा है। इससे निकलने के लिए किसानों को सरकार पर निर्भर न रहकर खुद ही प्रयास करने होंगे। ऐसे रास्ते तलाशने होंगे, जिससे उन्हें राहत मिले। इसमें एक रास्ता यह है कि किसान कृषि को बिजनेस की तरह लेकर चलें। जिस तरह एक बिजनेसमैन सभी तरह के नफा नुकसान देखते हुए एक सीमित जगह में व्यवसाय शुरू करता है, उस व्यवसाय को बढ़ाने के लिए तरह-तरह के प्रयास करता है, उसी तरह किसान भी खेती की प्लानिंग करे। गेहूं धान के फसली चक्र से निकलकर इस तरह की खेती करें, जो मुनाफा दें। यह कहना है अकाल एनजीओ यूएसए प्रेजीडेंट व पीएयू में रिसर्च असिस्टेंट रह चुके डॉ. हरबंस सिंह  सरों का। सोमवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सूबे में अब ज्यादातर किसानों के लिए खेती का मतलब गेहूं व धान लगाना ही है क्योंकि इन दोनों फसलों की एमएसपी है और इसमें किसानों को बहुत ज्यादा परिश्रम व ध्यान नहीं देना पड़ता। लेकिन गेहूं धान के फसली चक्र में पंजाब में जल स्त्रोतों का दोहन हो रहा है। जल का स्तर तीन सौ फुट से नीचे जा चुका है। एक किलो चावल पैदा करने के लिए करीब चार हजार लीटर पानी लगाना पड़ता है जबकि धान के अलावा किसानों के पास कई और भी विकल्प हैं। जैसे की सब्जियों, फलों और फूलों की खेती। किसान अगर उत्पादों की मार्केfटग करे तो कम जगह में भी मुनाफा कमा सकते हैं। दूसरा किसान हर दिन के खर्च और कमाई का लेखा-जोखा रखा शुरू कर दे।

किसान खर्च व कमाई का हिसाब किताब नहीं करते

राज्य में ज्यादातर किसान खेती पर आने वाले खर्च व कमाई का हिसाब किताब नहीं करते। अगर वह हिसाब किताब करना शुरू कर दें तो फिजूलखर्ची घटेगी। उन्होंने कहा कि उनकी एनजीओ की ओर से पीएयू की मदद से तैयार करवाए फार्म करीब एक हजार किसानों को बांटा गया है। जिसमें एक फसल को लगाने से लेकर कटाई के दौरान तक होने वाले हर छोटे बड़े खर्च की जानकारी दी जा सकती है। इससे खेती के नफा नुकसान का 6 महीने बाद पता लगता रहेगा। आमदन के अच्छे उपाय ढूंढ कर अतिरिक्त खर्च रोके जा सकेंगे। इसके अलावा इस तरह के आंकड़े खेती माहिरों के लिए फायदेमंद होंगे। 

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