मन को मारें नहीं, मनन में लगाएं : अरुण मुनि
सिविल लाइंस में आगमज्ञाता गुरुदेव अरुण मुनि महाराज ठाणा-6 के सानिध्य में प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।
संस, लुधियाना :
एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में आगमज्ञाता गुरुदेव अरुण मुनि महाराज ठाणा-6 के सानिध्य में प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। अरुण मुनि ने कहा कि मन मानव को मिला हुआ अनमोल खजाना है। कुछ साधक लोग कहते हैं-मन को मारो, मन को वश में करो। मन का काम है-मनन करना। मन में तो अनेक विचारों का आना स्वाभाविक ही है। ऐसे मन को मारना नहीं है, उसे अच्छे विचारों में लगाना है। सतत अच्छे चितन मनन करते रहना। क्योंकि ज्ञानी जनों का कथन है-मन वाले को मुक्ति है, बिना मन वाले को मुक्ति नहीं मिल सकती। लोगों की शिकायतें रहती है। माला-पूजा पाठ आदि में मन नहीं लगता, क्या करें? जब नोट गिनने , पिक्चर आदि देखने में मन लग सकता है, तो प्रभु नाम स्मरण में मन क्यों नहीं लगेगा। इसका मूल कारण यही है कि हमने धन को महत्व दिया है, उसके महत्व को समझा है। अत: मन लगता है, नोट गिनने में। इसी प्रकार से माला, स्वाध्याय, ध्यान आदि के महत्व को समझकर उस पर श्रद्धा भक्ति टिकाये रखें तो मन अवश्य लगेगा। धर्म वह है जो सभी का हित चाहता है। जिसे धारण करने से आत्मा दुर्गति से बचती है और सुगलिका मेहमान बनती है। वह महान तत्व धर्म है।
संसार को जिसने पकड़ा, उसे छोड़ना ही पड़ा : रमेश मुनि
लुधियाना : एसएस जैन स्थानक 39 सेक्टर में श्री रमेश मुनि, मुकेश जैन, श्री मुदित म. के सानिध्य में प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। रमेश मुनि ने कहा कि एक मुसाफिर अपने गंतव्य की तरफ जा रहा था, कि चलते-चलते जंगल में पहुंच गया। किसी आदमी की आवाज आ रही है, बचाओ -बचाओ। जाकर देखा तो वो व्यक्ति वृक्ष को बाहों में भर कर चिल्ला रहा था। मुसाफिर के पूछने पर बताया कि पेड़ में जो भूत है, उसने मुझे पकड़ रखा है। मुसाफिर के कहने पर भी बांहों को ढीला नहीं किया। जिसने पकड़ा है, उसे ही तो छोड़ना पडे़गा। हमने भी तो संसार को पकड़ा है, तो छोड़ना भी हमें ही पडे़गा। पकड़ना वो मोह का शासन है, छोड़ना वो जिन शासन है। खींचना वो मोह का शासन है।
मुकेश मुनि ने कहा कि रोटी बिगड़ जाए, कोई बात नहीं, काम धंधा बिगड़ जाए तो कोई बात नहीं, बेटा, बहू और बेटी बिगड़ जाए तो भी बहुत ज्यादा फिक्र मत करना, लेकिन अपने दिल से मत बिगड़ने देना, क्योंकि उसमें तुम्हारा दिलवर परमात्मा रहता है। यदि दिल बिगड़ गया तो फिर दिल का दौरा पड़ना निश्चित है।