गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब में बैसाखी पर उमड़ी संगत, गुरबाणी श्रवण के बाद सरोवर में किया स्नान

गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब और गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप साहिब में संगत देर रात से ही आने लगी थी। सुबह तक दरबार साहिब के बाहर लंबी लाइनें थीं। श्रद्धालुओं ने गुरबाणी का श्रवण करते हुए वाहेगुरू का जाप करके सरोवर में स्नान भी किया।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 12:41 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 12:41 PM (IST)
गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब में बैसाखी पर उमड़ी संगत, गुरबाणी श्रवण के बाद सरोवर में किया स्नान
बैसाखी पर्व पर मंगलवार को गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब और गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप साहिब में संगत उमड़ पड़ी।

फतेहगढ़ साहिब, जेएनएन। बैसाखी पर्व पर मंगलवार को गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब और गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप साहिब में संगत उमड़ पड़ी। इन दोनों गुरु घरों में संगत देर रात से ही आने लगी थी। सुबह तक दरबार साहिब के बाहर संगत की लंबी लाइनें थीं। श्रद्धालुओं ने गुरबाणी का श्रवण करते हुए वाहेगुरू का जाप करके सरोवर में स्नान भी किया। दोपहर तक दोनों गुरु घरों में संगत का आना जारी था। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से संगत की आमद को देखते हुए पुख्ता इंतजाम किए गए थे। कोविड-19 के नियमों का पालन के लिए लंगर में संगत को दो गज की दूरी पर बिठाया गया।

कीर्तन के लिए दिन भर विभिन्न जत्थों की ड्यूटी लगाई गई है जो माथा टेकने आ रही संगत को बैसाखी पर्व का महत्व बता रहे हैं। एसजीपीसी सदस्य जत्थेदार करनैल सिंह पंजोली ने कहा कि इस दिन दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस महान दिन ने सिखों को अलग पहचान दी। आज फिर समय आ गया है कि जुल्म के खिलाफ सभी सिख पंथ एकजुट होकर जवाब दें।

पिछले साल श्रद्धा पर भारी पड़ा था कोरोना, पसरा था सन्नाटा

कोरोना के प्रकोप के कारण पिछले वर्ष बैसाखी पर्व पर श्रद्धा ऊपर कोरोना भारी पड़ा था। मंगलवार को जिन गुरु घरों में संगत की लंबी लाइनें थीं, यहीं पर पिछले साल सन्नाटा पसरा हुआ था। ऐसा माहौल पहले कभी आतंकवाद के दौर में भी गुरु घरों में देखने को नहीं मिला था जो महामारी की बदौलत पैदा हो गया था। एक साल के भीतर वैक्सीन आने और कोरोना से बचाव के प्रबंध पुख्ता करने के बीच आज फिर गुरु घरों में इस पावन दिवस पर रौनक लौटी।

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