कोविड के बाद घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग से Cotton मजबूत, पंजाब में बिजाई का रकबा बढ़ा

पिछले साल देश में 133 लाख हेक्टेयर जमीन में काटन की पैदावार की गई थी जबकि चालू सीजन में बीस जुलाई तक 98 लाख हैक्टेयर जमीन में इसकी बिजाई की जा चुकी है। इस सीजन में बीजाई के तहत रकबा 125 लाख हेक्टेयर तक पहुंच सकता है।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 10:51 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 10:51 AM (IST)
कोविड के बाद घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग से Cotton मजबूत, पंजाब में बिजाई का रकबा बढ़ा
कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब उद्योग जगत में फिर से राैनक लाैटी। (सांकेतिक तस्वीर)

लुधियाना, [राजीव शर्मा]। कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब उद्योग जगत में फिर से रौनक लौट रही है। अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है। नतीजतन घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में काटन की मांग बनी हुई है। मांग के कारण काटन की कीमत में भी मजबूती देखी जा रही है। माहिरों का मानना है कि काटन की नई फसल आने तक ये मजबूती जारी रहेगी।

बाजार में काटन की कीमत 55 हजार रुपये प्रति कैंडी (355.62 किलो) चल रही है। सितंबर तक कीमत इसी स्तर पर रहने का अनुमान जताया जा रहा है। इसके अलावा बीस जुलाई तक भारत से विश्व बाजार में 69 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) काटन निर्यात किया गया है। साथ ही विदेशों से अभी भी अच्छे आर्डर आ रहे हैं। माहिरों का तर्क है कि सितंबर तक काटन मार्केट में जबरदस्त हलचल रहेगी।

पिछले साल देश में 133 लाख हेक्टेयर जमीन में काटन की पैदावार की गई थी, जबकि चालू सीजन में बीस जुलाई तक 98 लाख हैक्टेयर जमीन में इसकी बिजाई की जा चुकी है। इस सीजन में बीजाई के तहत रकबा 125 लाख हेक्टेयर तक पहुंच सकता है। साफ है कि पिछले साल के मुकाबले रकबे में कमी आएगी। इसी तरह यदि बात की जाए उत्तर भारत की तो इस क्षेत्र में सिर्फ पंजाब में बिजाई के तहत रकबा बढ़ा है, जबकि अन्य राज्यों में कम हुआ है। उत्तर भारत में पिछले साल 16.51 लाख हेक्टेयर में काटन की खेती की गई थी, चालू सीजन में यह अभी तक 15.96 लाख हेक्टेयर में ही हुई है।

पंजाब में पिछले साल 2.51 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस सीजन में 3.03 लाख हेक्टेयर में काटन की खेती की गई है। माहिरों का कहना है कि काटन वर्ष (अक्तूबर से सितंबर तक) 2010-11 में भी काटन की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला था, तब काटन के दाम 66 हजार से 67 हजार रुपये प्रति कैंडी तक पहुंच गए थे। उसके दस साल बाद अब इस वर्ष काटन में तेजी देखने को मिली है।

बजट में आयात पर ड्यूटी लगाने से नियंत्रण में कारोबार

काटन आयात पर ललित महाजन कहते हैं कि चालू वित्त वर्ष के बजट में सरकार ने आयात पर दस फीसद ड्यूटी लगा दी थी। इससे आयात नियंत्रित हो गया। इस बार दस लाख गांठ आयात का अनुमान था, लेकिन अभी तक साढ़े आठ लाख गांठ का ही आयात हो पाया है। इससे घरेलू उद्योगों को संरक्षण मिला है। केवल विशेष किस्म के काटन का ही आयात किया जा रहा है। महाजन मानते हैं कि अभी काटन मार्केट में मजबूती ही रहेगी।

छह माह में 30 रुपये प्रति किलो बढ़ा दाम

देश की अग्रणी यार्न निर्माता कंपनी वर्धमान टेक्सटाइल्स मिल्स लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट एवं काटन एक्सपर्ट ललित महाजन का कहना है कि इस बार मांग में मजबूती का असर बाजार में देखने को मिल रहा है। काटन के कारण काटन यार्न भी तेज है। छह माह पहले 275 रुपये प्रति किलो में मिलने वाला काटन यार्न आज 305 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है। कोविड के बाद देश में 50 हजार के करीब नए स्पेंडल लगे हैं। इसके कारण भी मांग बढ़ी है। दूसरे चीन से भी लगातार काटन एवं धागे की मांग आ रही है। इस सीजन में निर्यात को बूस्ट मिला है।

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