मुख्यमंत्री की अपील बेअसर, इन नेताओं को कोरोना वायरस की परवाह नहीं, बस फोटो में आना जरूरी

फोटो में दिखने की चाहत नेताओं में इतनी है कि उन्हें कोरोना से भी डर नहीं लगता। यह हालात तब है जब लुधियाना में काेराेना के सबसे ज्यादा मामले सामने अा रहे हैं।

By Edited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 07:00 AM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 09:31 AM (IST)
मुख्यमंत्री की अपील बेअसर, इन नेताओं को कोरोना वायरस की परवाह नहीं, बस फोटो में आना जरूरी
मुख्यमंत्री की अपील बेअसर, इन नेताओं को कोरोना वायरस की परवाह नहीं, बस फोटो में आना जरूरी

लुधियाना, [राजेश भंट्ट]। फोटो में दिखने की चाहत नेताओं में इतनी है कि उन्हें कोरोना से भी डर नहीं लगता। कोरोना भाड़ में जाए लेकिन मीडिया के लिए रिलीज होने वाली फोटो में वो जरूर दिखने चाहिए। फोटो में दिखने के लिए मंत्री, मुख्यमंत्री के ओएसडी, सांसद, विधायक और अन्य नेता नियम तोड़ने से भी परहेज नहीं करते।

मुख्यमंत्री लोगों से अपील कर रहे हैं कि छह फीट की दूरी बनाएं और कोरोना से बचें, लेकिन उनकी कैबिनेट के मंत्री आशु, सांसद अमर सिंह, मुख्यमंत्री के ओएसडी कैप्टन संधू ही छह फीट के नियम को नहीं मान रहे। साहनेवाल मार्केट कमेटी के चेयरमैन दलजीत सिंह की ताजपोशी में मंत्री, सांसद, ओएसडी, विधायक समेत सब फोटो में दिखने के चक्कर में एक-दूसरे से चिपक गए।

जब यह फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो सब लोग चुटकी लेकर यह कहते रहे कि इन्हें कोरोना से कोई मतलब नहीं, बस फोटो में दिखना जरूरी है।

आशु-संधू की जय-वीरू जैसी दोस्ती

दोस्त वो होता है जो बिना शर्त और नि:स्वार्थ भाव से इसे निभाए। कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु और मेयर बलकार सिंह संधू की दोस्ती भी कुछ ऐसी ही है। जय-वीरू की यह दोस्ती किसी से छिपी नहीं है। दोनों ने नगर निगम में पार्षद की पारी एक साथ शुरू की थी। आशु दो बार विधायक का चुनाव जीतकर मंत्री और बलकार संधू मेयर बन गए, मगर दोनों की दोस्ती आज भी गहरी है।

जब भी कोई संगठन या राजनीतिक दल धरना लगाने आशु के घर या दफ्तर के बाहर आते हैं तो मेयर प्रोटोकॉल को भूलकर धरना लगाने वालों को पानी पिलाने पहुंच जाते हैं। मेयर का नम्रतापूर्वक स्वभाव सामने वाले के गुस्से को शांत होने पर मजबूर कर देता है। कुछ ऐसा ही हाल में मंत्री आशु के घर के बाहर धरना देने आए भाजपाइयों के समय दिखा। उनकी यह सेवा शहर में चर्चा बनी हुई है।

लाठी के पीर अफसर मान ही गए

कई बार सीधी अंगुली से घी न निकले तो उसे टेढ़ा करना ही पड़ता है। कुछ ऐसा ही निगम और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के अफसरों के साथ हुआ। टास्क फोर्स के प्रमुख सतगुरु ठाकुर उदय सिंह अफसरों को आदेश देते रहे कि बुड्ढा दरिया में गोबर गिराने वाली डेयरियों पर कार्रवाई करें, मगर उन्होंने गंभीरता नहीं दिखाई। उनके रवैये से खिन्न सतगुरु ने दरिया की सफाई का काम बंद कर दिया।

मुख्यमंत्री ने उन्हें फिर दरिया की सफाई के लिए सक्रिय होने को कहा। सतगुरु ने शर्त रखी कि बैठक में या तो खुद शामिल रहें या फिर चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार को भेजें। सतगुरु का यह फार्मूला काम कर गया। सुरेश कुमार बैठक में आने लगे। उनका डंडा चला तो डेयरियों को नोटिस जारी हो गए और शिफ्टिंग की योजना भी तैयार होने लग गई। इससे साफ है कि अफसर भी लाठी के पीर ही हैं।

ड्रम नहीं छोड़ रहे साहब का पीछा

साहब जूनियर इंजीनियर थे तो तब भी बरसात होते ही पांच ड्रम सड़क पर आ जाते थे। वे अब सुप¨रटेंडेंट इंजीनियर बन गए हैं तो भी बरसात होते ही ड्रम सड़क पर आ जाते हैं। इन 20-25 सालों में दोनों साहब ने शहर के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं बना दी लेकिन वह पांच ड्रमों से पीछा नहीं छुड़ा पाए। दरअसल बाबा थान सिंह चौक में सीवरेज का एक मैनहोल है। बरसात होते ही सीवरेज इतनी तेजी से ओवरफ्लो होता है कि मैनहोल का ढक्कन

हवा में उछल जाता है। ओएंडएम ब्रांच के एसई इस समस्या का अब तक समाधान नहीं निकाल पाए। बरसात शुरू होते ही वह इन पांच ड्रमों को बांधकर सीवर के मैनहोल के ढक्कन के ऊपर रख देते हैं और बरसात खत्म होते ही उन्हें फिर से गोदाम में रख लेते हैं। अब तो अफसर भी सोच रहे हैं कि कब और कैसे इन ड्रमों से मुक्ति मिलेगी।

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