घायल की सूचना देना पड़ा महंगा, पुलिस ने रातभर अवैध हिरासत में रखकर पीटा
लुधियाना में एक टेंपो चालक ने आरोप लगाया है कि घायल की सूचना देने पर पुलिस ने उसे बुरी तरह से पीटा।
राजन कैंथ, लुधियाना
पुलिस लोगों को सड़क हादसों में घायलों की मदद करने तथा अस्पताल पहुंचाने के लिए जागरूक कर रही है और दावा किया जाता है कि मददगारों को कोई परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी। वहीं एक घायल ट्रक ड्राइवर की इंसानियत के नाते मदद करने वाले टेंपो चालक की रात बेहद दर्दनाक रही। उसका कसूर सिर्फ इतना था कि उसने घायल ट्रक चालक का पर्स निकालकर उसमें मिले नंबर पर परिवार तथा पुलिस को फोन कर घटना की जानकारी दी थी। पुलिस ने रातभर उसे अवैध हिरासत में रखकर पीटा और दबाव बनाया कि वह कबूल करे कि उसने ड्राइवर के पर्स से 25 हजार रुपये चोरी किए हैं।
पीड़ित टेंपो चालक करण कुमार ने बताया कि शनिवार रात 12 बजे उसके सामने हादसा हुआ। वह दुर्घटनाग्रस्त ट्रक के पास गया तो अंदर चालक महिदर सिंह बुरी तरह से घायल था और दर्द से तड़प रहा था। उसने अपना टेंपो साइड पर लगाया और इंसानियत के नाते घायल चालक को बाहर निकालने की कोशिश की। चालक सीट व स्टेयरिग के बीच बुरी तरह से फंसा था। इसके पश्चात उसने घायल चालक का पर्स निकालकर उसमें पड़े कार्ड पर फोन कर हादसे की जानकारी दी। फिर पुलिस कंट्रोल रूम को सूचित किया। गंभीर रूप से घायल ट्रक चालक ने दम तोड़ दिया।
करण ने आरोप लगाया कि मौके पर पहुंची पुलिस ने उसकी ही तलाशी लेनी शुरू कर दी। पुलिस उसे यह कहकर चौकी ले गई कि मृतक के परिवार ने लिखित शिकायत दी है कि उसने 25 हजार रुपये चोरी किए हैं। पुलिस चौकी में शराब के नशे में धुत्त एएसआइ ने उसे रातभर बेरहमी से पीटा। वह कहता रहा कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है, लेकिन फिर भी उसे पीटा जाता रहा।
ट्रक चालक के परिवार ने पुलिस से छुड़वाया
रविवार सुबह 11 बजे मृतक ट्रक चालक महिदर सिंह और करण के परिजन चौकी पहुंचे। महिदर के परिजनों ने कहा कि उन्होंने कोई शिकायत नहीं दी है। वह बेकसूर है। करण की पिटाई की जानकारी मिलने पर मृतक के परिवार वाले पुलिस पर भड़क गए। उनका कहना था कि करण ने तो उन्हें फोन कर हादसे की जानकारी दी थी और पुलिस उसी पर अत्याचार करती रही। महिदर के बेटे जतिदरजीत सिंह ने करण को पुलिस की अवैध हिरासत से छुड़ाया।
करण का आरोप, पुलिस मांग रही थी 25 हजार
करण ने कहा कि महिदर के पर्स में केवल 200 रुपये थे, जबकि पुलिस अपनी जेब गर्म करने के लिए उससे 25 हजार रुपये मांग रही थी। करण ने आरोप लगाया कि पुलिस की हिरासत से छूटने के बाद जब वह एएसआइ से अपना मोबाइल फोन लेने गया तो वह फिर उसे अंदर करने की धमकियां देकर डराने लगा।
मारपीट की बात गलत
पुलिस ने करण को पूछताछ के लिए शनिवार रात को नहीं, बल्कि रविवार सुबह बुलाया था। अवैध हिरासत में रखकर मारपीट करने बात बिलकुल गलत है।
कपिल शर्मा, चौकी इंचार्ज