साइकिल की डिमांड में विश्व भर में तेजी, पंजाब की साइकिल इंडस्ट्री को चाहिए सरकार की मदद
साइकिल का वैश्विक बाजार बढ़कर यूएसडी 60.2 बिलियन (4.4 करोड़ रुपए) का हो गया है। साइकिल की इस बढ़ती मांग को पूरा करने के और वैश्विक साइकिल मार्केट में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए भारतीय साइकिल उद्योग सरकार से अनुकूल नीतियों की मांग कर रहा है।
लुधियाना, [मुनीश शर्मा]। कोविड-19 के कारण ई-बाइक्स, प्रीमियम साइकिल, कम्पोनेंट्स और साइकिल चलाने के चलन में बढ़ोतरी हुई है। इस साल साइकिल का वैश्विक बाजार बढ़कर यूएसडी 60.2 बिलियन (4.4 करोड़ रुपए) का हो गया है। साइकिल की इस बढ़ती मांग को पूरा करने के और वैश्विक साइकिल मार्केट में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए भारतीय साइकिल उद्योग सरकार से अनुकूल नीतियों की मांग कर रहा है, ताकि भारतीय साइकिल सेक्टर के एक्सपोर्ट कंपीटिशन में सुधार हो सके।
एक बड़ा मैन्युफैक्चरिंग बेस और प्रमुख इंडस्ट्री प्लेयर होने के नाते भारत के पास वह क्षमता है, जिससे वह तेजी से बढ़ती साइकिल सेगमेंट के बाज़ार में बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर सकता है। लेकिन भारतीय साइकिल मैन्युफैक्चरर को लागत में काफी नुकसान झेलना पड़ता है। वो भी खास करके चीनी प्रोडक्ट से, जिनकी कीमत 15% -20% तक कम होती है। साइकिल सेक्टर प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के साथ-साथ स्कीम फार प्रमोशन ऑफ़ इलेक्ट्रानिक कंपोनेंट्स एंड सेमिकंडक्टसर्स (एसपीईसीएस) के तहत इलेक्ट्रिक साइकिल और कम्पोनेंट को शामिल करके भारतीय साइकिल सेक्टर लाभ प्राप्त करना चाहता है।
घाटे से उबरने के लिए सरकारी नीतियों की मदद जरूरी
हीरो मोटर्स कंपनी (एचएमसी) के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैंन पंकज एम मुंजाल ने कहा कि स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को सरकारी नीतियों की मदद की जरुरत है, ताकि वे अपने कीमत के घाटे से उबर सके और अपना एक्सपोर्ट बढ़ा सके। सरकार को अपने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम को साइकिल, ई-बाइक्स के साथ-साथ इनके कंपोनेंटस को वैश्विक प्रतिस्पर्धी कीमत पर मैन्युफैक्चरिंग करने के लिए लागू करना चाहिए, ताकि इससे भारतीय साइकिल सेक्टर को मदद मिल सके।
5 सालों के लिए 20% प्रोडक्शन से जुड़े इंसेंटिव से न केवल साइकिल और ई साइकिल सेगमेंट को तकनीकी खामियों को दूर करने में मदद मिलेगी, बल्कि अर्थव्यवस्था के पैमाने और प्रतिस्पर्धात्मक लाभ को हासिल करने में भी मदद मिलेगी। ठीक इसी तरह स्कीम फॉर प्रमोशन ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेंट्स एंड सेमिकंडक्टसर्स के तहत इलेक्ट्रिक साइकिल और कम्पोनेंट को मदद करने से महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा जिससे स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
साइकिल के वैश्विक बाजार की कीमत इस समय 60.2 बिलियन अमरीकी डालर हो चुकी है। जिसमें से वैश्विक साइकिल का बाजार 49.2 बिलियन अमरीकी डालर है, जिसमें ई-बाइक का बाज़ार (11 बिलियन अमरीकी डालर) भी शामिल है। यूरोप अपनी आक्रामक साइकिल प्रमोशन पहल के साथ 17 बिलियन अमरीकी डालर का सबसे बड़ा बाजार का हिस्सा रखता है और इसके बाद चीन वैश्विक साइकिल बाजार में 15 बिलियन अमरीकी डालर का कारोबार होता है।
चीनी सरकार की अनुकूल नीतियों से भारतीय मैन्युफैक्चरर्स झेल रहे नुकसान
चीनी सरकार के कई अनुकूल नीतियों से उनके एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलता है जिससे परिणामस्वरूप भारतीय मैन्युफैक्चरर्स को लागत में नुकसान झेलना पड़ता है। अगर भारत सरकार से मदद मिले तो भारत का साइकिल उद्योग इस लागत की कमी को दूर कर सकता हैं और वैश्विक बाजार के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा जमा सकता है।
हीरो साइकिल ने ग्लोबल एक्सपोर्ट के मद्देनजर निवेश और प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए आक्रामक योजनाएं बनाई हैं। अगले पांच सालों में कंपनी का लक्ष्य वाल्यूम (मात्रा) के हिसाब से वैश्विक बाजार के 10% पर और वैल्यू (कीमत) के हिसाब से 5% वैश्विक बाजार पर कब्जा करना है। कंपनी का लक्ष्य है कि अगले 5 सालों में एक्सपोर्ट के लिए 8,500 करोड़ रूपये के 40 लाख यूनिट को मैन्युफैक्चर किया जाए।
पंजाब में इंटरनेशनल साइकल वैली प्रोजेक्ट में हीरो इंडस्ट्रियल पार्क के संचालन से हीरो कंपनी हर साल 40 लाख यूनिट बनाने में सक्षम हो पाएगी। इसके अलावा 50 लाख यूनिट लुधियाना के प्लांट में बनेगा और बिहार के बिहटा वाले प्लांट में 10 लाख यूनिट बनेगी।
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