Schools Reopen in Ludhiana: लुधियाना में अभिभावकाें काे सता रहा सुरक्षा का डर, ड्रेस कोड भी बना चुनौती

Schools Reopen in Ludhiana घर पर आनलाइन पढ़ाई से उनका ख्याल रखा जा सकता है। गौरतलब है कि पहले सरकार ने तीसरी से चौथी कक्षा के बच्चों को बुलाया और अब एक फरवरी से पहली से दूसरी कक्षा के बच्चों को भी बुलाने का फैसला लिया है।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Sat, 30 Jan 2021 12:06 PM (IST) Updated:Sat, 30 Jan 2021 12:06 PM (IST)
Schools Reopen in Ludhiana: लुधियाना में अभिभावकाें काे सता रहा सुरक्षा का डर, ड्रेस कोड भी बना चुनौती
पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चों को स्कूल बुलाने पर अभिभावकों ने उठाए सवाल। (फाइल फाेटाे)

लुधियाना, [राधिका कपूर]। Schools Reopen in Ludhiana: पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को भी स्कूल बुलाने के सरकार के फैसले ने अभिभावकों की चिंता में डाल दिया है। जिले के दो सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और बच्चों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद प्राइमरी के बच्चों को स्कूल बुलाने के फैसले पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। अभिभावकों का कहना है कि पांचवीं तक के बहुत छोटे होते हैं। इनसे स्कूल में कोविड-19 के नियमों का पालन करवा कर कोरोना संक्रमण से बचाना आसान काम नहीं है। बच्चे बार-बार नियमों को तोड़ेंगे और संक्रमण का खतरा बना रहेगा।  

घर पर आनलाइन पढ़ाई से उनका ख्याल रखा जा सकता है। गौरतलब है कि पहले सरकार ने तीसरी से चौथी कक्षा के बच्चों को बुलाया और अब एक फरवरी से पहली से दूसरी कक्षा के बच्चों को भी बुलाने का फैसला लिया है। प्राइवेट स्कूल भी एक फरवरी से तीसरी व चौथी कक्षा के बच्चों को बुलाने का मन बना रहे हैं। यही नहीं, प्राइवेट स्कूलों के आफलाइन परीक्षा और उसके लिए ड्रेस कोड की शर्त ने अभिभावकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इससे अभिभावकों पर हजारों रुपये का आर्थिक बोझ पड़ेगा।

वार्षिक परीक्षा के लिए नई ड्रेस खरीदनी पड़ेगी

अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूलों ने शर्त रखी है कि वार्षिक परीक्षाएं आफलाइन करवाएंगे जिसके लिए बच्चों को ड्रेस कोड में आना होगा। जो बच्चे ड्रेस कोड में नहीं आएंगे उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा। एक साल से बच्चे घर पर रहे हैं। पुरानी ड्रेस और जूते छोटे हो गए हैं। अब सिर्फ वार्षिक परीक्षा के लिए नई ड्रेस, स्वेटर सेट और जूते खरीदने पड़ेंगे। यह शर्त सिर्फ इसलिए रखी गई है कि अभिभावकों को ड्रेस बेची जा सके और एक साल में स्कूल और ड्रेस बनाने वालों को हुए नुकसान को पूरा किया जा सके।    

अभिभावकों के सवाल
1. पहली से पांचवीं तक के बच्चे बहुत छोटे होते हैं। उन्हें संभालना और नियमों का पालन करवाना आसान काम नहीं है। आने-जाने और स्कूल में उनकी सुरक्षा कैसे होगी?
2. बच्चों को एक साथ स्कूल बुलाना संभव नहीं है। बैठाने की व्यवस्था भी पूरी नहीं है। ऐसे में एक बच्चा हफ्ते में दो दिन कुछ घंटे के लिए ही स्कूल जाएगा, तो फायदा क्या?
3. जब पूरा साल आनलाइन पढ़ाई करवाई गई तो अब सिर्फ चंद दिन और परीक्षा के लिए आफलाइन व्यवस्था का औचित्य क्या?
4. कुछ दिन और वार्षिक परीक्षा के लिए ड्रेस कोड की शर्त लगाकर अभिभावकों पर बोझ क्यों? यह सिर्फ नई ड्रेस बेचने की योजना है?  
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गुरु नानक इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल माडल टाउन की प्रिंसिपल गुरमंत कौर गिल का कहना है कि एक फरवरी से सोमवार और बुधवार पहली, मंगलवार व वीरवार दूसरी, सोमवार व वीरवार को तीसरी और बुधवार व शनिवार चौथी कक्षा के बच्चों को स्कूल बुलाया जाएगा। प्रत्येक कक्षा में 12 बच्चे बैठेंगे। प्राइमरी के बच्चों के लिए तीन कमरों के बाहर एक हेल्पर रहेगी। सुबह व शाम कक्षा सैनिटाइज होगी।

कुंदन विद्या मंदिर स्कूल सिविल लाइंस की प्रिंसिपल नविता पुरी का कहना है कि अब 50 फीसद अभिभावकों की स्वीकृति मिल गई है। प्रत्येक कक्षा में 10 बच्चे बैठेंगे और तीन घंटे कक्षा चलेगी। बच्चे कुछ भी शेयर नहीं करेंगे। कक्षा से बाहर नहीं आएंगे। शिक्षक सब देखेंगे।

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