दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे आठ वर्षीय कृष्ण को मिली नई जिदगी

ग्यासपुरा के रहने वाले आठ साल के कृष्ण को अरोड़ा न्यूरो सेंटर के डाक्टरों ने नई जिदगी दी। कृष्ण ब्रेन की दुर्लभ बीमारी आटिरियो वीनस सिसटिला से जूझ रहा था। इस बीमारी में दिमाग तक साफ खून लेकर आने वाली नसें (आर्टरी)और खराब खून लेकर जाने वाली नसें (वेन) आपस में जुड़ जाती हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 06:44 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 06:44 AM (IST)
दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे आठ वर्षीय कृष्ण को मिली नई जिदगी
दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे आठ वर्षीय कृष्ण को मिली नई जिदगी

जागरण संवाददाता, लुधियाना : ग्यासपुरा के रहने वाले आठ साल के कृष्ण को अरोड़ा न्यूरो सेंटर के डाक्टरों ने नई जिदगी दी। कृष्ण ब्रेन की दुर्लभ बीमारी आटिरियो वीनस सिसटिला से जूझ रहा था। इस बीमारी में दिमाग तक साफ खून लेकर आने वाली नसें (आर्टरी)और खराब खून लेकर जाने वाली नसें (वेन) आपस में जुड़ जाती हैं। इससे दिमाग में खून की नसों का गुच्छा बन जाता है और इसकी वजह से मल्टीपल बैलून बन जाते हैं। यह गुब्बारे खून का प्रेशर पड़ने पर अचानक फट जाते हैं, जिससे व्यक्ति की तुरंत मौत हो जाती है। डाक्टरों का कहना है कि यह एक दुर्लभ बीमारी है, जो दस लाख लोगों में से किसी एक को यह बीमारी होती है। यहीं नहीं, इस बीमारी का इलाज भी काफी जटिल होता है।

कृष्ण अरोड़ा न्यूरो सेंटर के सीनियर न्यूरो सर्जन डा. अमित मित्तल ने बताया कि कृष्ण के पेरेट्स उसे एक माह पहले उनके पास लाए थे। उन्हें ईएसआइ से यहां रेफर किया गया था। कृष्ण को लंबे समय से सिर दर्द की शिकायत थी। आठ अगस्त को कृष्ण की एमआरआइ, डिजिटल एंजियोग्राफी सहित कई टेस्ट किए। इसमें पता चला कि वह आटिरियो वीनस सिसटिला से पीड़ित है। आर्टरी और वेन में चार जगह कनेक्शन था, जिससे साफ व गंदा खून मिक्स हो रहा था। ब्लड का प्रेशर बनने से दिमाग में मल्टीपल बैलून बन गए थे, जिनका साइज 2.5 सेंटीमेटर था। इन बैलून ने दिमाग का आधा हिस्सा घेर लिया था। डा. मित्तल ने कहा कि इस तरह के मामले बेहद कम देखने को मिलते हैं और इसका इलाज भी चैलेंजिंग होता है। क्लिपिग में छोटी सी चूक मरीज की जान ले सकती है। ऐसे में हमने टीम के साथ प्लानिंग की कि कहां-कहां क्लिप लगाने है। इसके बाद 26 अगस्त को पहले सर्जरी कर दो जगह क्लिप लगाए, जिसका परिणाम सही रहा। इसके बाद 31 अगस्त को दूसरी सर्जरी की, जो सर्जरी सफल रही। इसके बाद कृष्ण को रिकवरी में रखा गया और वह अब पूरी तरह ठीक है। ईएसआइ से रेफर होकर आने की वजह से उसके पेरेट्स को इलाज का खर्च नहीं उठाना पड़ा।

बार-बार सिरदर्द हो तो अनदेखा न करें

डा. अमित ने कहा कि सिर दर्द वैसे तो आम बीमारी है, लेकिन अगर दवा लेने के बाद दर्द ठीक न हो और हर रोज या बार-बार तेज दर्द हो रहा हो तो इसे अनदेखा न करें। कई बार यह भयानक बीमारियों का संकेत भी हो सकता है। जैसे- ब्रेन ट्यूमर, माइग्रेन। ब्रेन ट्यूमर के बहुत से मरीजों में सिर दर्द एक बड़ा संकेत होता है।

डाक्टरों की टीम में ये रहे शामिल

वरिष्ठ न्यूरोलाजिस्ट डा. ओपीडी अरोड़ा, सीनियर न्यूरो सर्जन डा. अमित मित्तल, क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डा. गौरव सचदेवा, रेडियोलाजिस्ट डा. प्रदीप बांसल व डा. प्रशांत अरोड़ा।

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