मुख्यमंत्री चन्नी से मिली आंगनबाड़ी वर्कर्स, कहा- प्री प्राइमरी अध्यापकों की भर्ती से 54 हजार वर्कर्स हो जाएंगी बेरोजगार
21 सितंबर 2017 को कैबिनेट में प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू करने का फैसला लिया गया था।इसके बाद तत्कालीन शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने छह साल तक के बच्चों को स्कूलों में दाखिले लेने के दिशा निर्देश जारी कर दिए थे।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के सोमवार को लुधियाना दौरे के दौरान आंगनबाड़ी मुलाजिम यूनियन की सदस्याएं प्रधान सुभाष रानी की अध्यक्षता में उनसे मिली। उन्होंने मुख्यमंत्री को मांगपत्र देते हुए मीटिंग के लिए समय की मांग की। मांगपत्र में आंगनबाड़ी वर्कर्स ने कहा कि 21 सितंबर 2107 को कैबिनेट में प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू करने का फैसला लिया गया था और जिसके बाद उस समय शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने तीन से छह साल के बच्चों को स्कूलों में दाखिले लेने के दिशा निर्देश जारी किए थे।
इस फैसले ने पिछले पैंतालीस सालों से बच्चों के विकास के लिए केंद्रीय स्कीम आईसीडीएस को आखिरी सांस पर लाकर खड़ा कर दिया है। साल 2017 में आंगनबाड़ी मुलाजिमों ने संघर्ष का रास्ता अपनाया जिसके चलते उनपर पानी की बौछारें, लाठीचार्ज, यहां तक कि गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया। इसके बाद पंजाब सरकार ने फैसले पर दोबारा विचार करते हुए इसमें बदलाव कर दिया। नवंबर 2017 में प्री प्राइमरी कक्षाओं को संयुक्त तौर पर चलाने का फैसला लिया गया था।
अब तीन साल बीत चुके हैं लेकिन शिक्षा विभाग ने संयुक्त तौर पर फैसले को लागू नहीं किया है। वहीं प्री प्राइमरी अध्यापकों की भर्ती के फैसले ने दोबारा पंजाब में 54000 वर्कर्स हेल्पर्स को बेरोजगारी के नजदीक लाकर खड़ा कर दिया है। दूसरा अध्यापकों और वर्कर्स में टकराव की स्थिति का भी माहौल बन रहा है। उन्होंने मांग की कि 0 से 6 साल तक के बच्चों को आंगनबाड़ी सेंटर्स में ही रखा जाए। वर्कर्स ने कहा कि उन्हें मीटिंग के लिए समय दिया जाए ताकि वह सीधा ही आपके समक्ष अपनी मांगों के रख सके और जो भी बनता होगा, उसका समाधान निकाला जाए। गाैरतलब है कि अगले साल हाेने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कर्मचारियाें ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
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