पटियाला के अमनदीप ब्यूटी दान की किताबों से बढ़ा रहे होनहार बच्चों का ज्ञान, जानें उनकी मुहिम के बारे में...
ये हैं पटियाला के अमनदीप ब्यूटी। यह गरीब और जरूरतमंद बच्चों को किताबें मुहैया कराते हैं। अमनदीप किताबें इकट्ठी करते हैं और फिर उन्हें जरूरतमंद बच्चों को दे देते हैं। उनकी इस मुहिम में अब लोग भी उनका साथ देने लगे हैं।
पटियाला [गौरव सूद]। समाज में कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो पढ़नेे में तो होनहार हैं, लेकिन उनकेे परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं। पुरानेे समय में बड़ी कक्षा के विद्यार्थी परीक्षा पास करने के बाद किताबों को छोटी कक्षा वालों को दे देते थे, लेकिन समय के साथ-साथ यह परंपरा बदल गई। अब लोग पुरानी किताबों से काम चलाने के बजाय बच्चों को नई किताब दिलाना पसंद करते हैं, लेकिन समाज में कुछ ऐसे बच्चे भी हैं, जिनके परिवारों की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं होती कि वह नई किताबें खरीद सकें, उनके बच्चों की किताब की जरूरत को पूरा कर रहे हैं पेरेंट्स ग्रुप पंजाब के चेयरमैन अमनदीप सिंह ब्यूटी।
अमनदीप सिंह ने इंटरनेट मीडिया के जरिए किताबें इकट्ठा करने की मुहिम शुरू कर विभिन्न स्कूलों की पुरानी किताबें अपने पास मंगवाकर बुक बैंक तैयार किया है। वह जरूरतमंद बच्चों को पुरानी किताबें मुहैया करवा रहे हैं। अभिभावक भी उनकी इस मुुुुुहिम में उनका साथ दे रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा किताबें दान कर रहे हैं। अब तक वह 100 से ज्यादा स्टूडेंट्स को किताबें मुहैया करवा चुके हैं। इस मुहिम में उनकी पत्नी इशू गिल भी उनका साथ दे रही हैं।
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अमनदीप सिंह ब्यूटी की मुहिम की साथ देते लोग। जागरण
दस दिन में एक बार लगाते हैं किताबां वाली सत्थ
अमनदीप सिंह ब्यूटी दस दिनों में बार किताबां वाली सत्थ (चौपाल) का आयोजन भी करते हैं। इस संबंध में वह इंटरनेट मीडिया के विभिन्न माध्यमों के जरिए इसकी जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक साझा करते हैं। इस दौरान तय स्थान पर किताबें दान करने वाले और किताबें लेने वाले दोनों आते हैं। जिसको जिस किताब की जरूरत होती है वह किताबें बिना कोई फीस या पैसे दिए घर ले जाते हैं। अब तक अमनदीप पांच के करीब किताबां वाली सत्थ का आयोजन कर चुके हैं।
दान के रूप में किताबें लेते अमनदीप सिंह ब्यूटी। जागरण
घर-घर जाकर भी इक्ट्ठी करते हैं किताबें
अमनदीप ब्यूटी बताते हैं कि वह यूं तो जरूरतमंदों के लिए किताबें उपलब्ध करवाने के लिए किताबां वाली सत्थ का आयोजन करते हैं, लेकिन जो लोग इस सत्थ में हिस्सा नहीं ले पाते उन लोगों के घर-घर जाकर रद्दी सामान, पुरानी किताबें और स्टेशनरी आइटम्स को लेने के साथ साथ सामान डिलीवर भी करते हैं। इसके लिए उन्होंने सोशल प्लेटफॉर्म पर पेज भी तैयार किया है, जिसके माध्यम से ही लोग उनसे जुड़कर पुरानी किताबों को जरूरतमंदों तक पहुंचाने का काम करते हैं।
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लॉकडाउन दौरान खुद को हुई परेशानी से आया आइडिया
अमनदीप सिंह ब्यूटी ने बताया कि पिछले साल लॉकडाउन के कारण जब सब व्यापार पूरी तरह से बंद था, ऐसे में अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए किताबें खरीदने के लिए पैसे जुटाने काफी मुश्किल लगे थे। इस साल भी हालात लगभग वैसे ही हैं, इसलिए इस बार कोई बच्चा किताबों के कारण पढ़ाई में न पिछड़े इसलिए उन्होंने इस सेशन के शुरू होने से पहले ही पुरानी किताबें इकट्ठी करनी शुरू कर दी और सेशन शुरू होते ही जरूरतमंद बच्चों को किताबें मुहैया करवाने का काम शुरू कर दिया।
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