लुधियाना में बोले डा. औलख- बच्चों में किडनी फेल्योर के लिए प्रत्यारोपण सबसे अच्छा विकल्प

लुधियाना अकादमी पीडियाट्रिक्स के सहयोग से अयकाई अस्पताल द्वारा बच्चों में किडनी रोगों पर सीएमई का आयोजन किया गया। इसमें 40 बाल रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत नेफ्रोलाजिस्ट डा. विवेक आंदन झा ने की। उन्होंने बच्चों में गुर्दे की बीमारियों की बढ़ती घटनाओं के बारे में बताया।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 07:52 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 07:52 AM (IST)
लुधियाना में बोले डा. औलख- बच्चों में किडनी फेल्योर के लिए प्रत्यारोपण सबसे अच्छा विकल्प
लुधियाना में अयकाई अस्पताल द्वारा बच्चों में किडनी रोगों पर सीएमई का आयोजन किया गया।

जागरण संवाददाता, लुधियाना : लुधियाना अकादमी पीडियाट्रिक्स के सहयोग से अयकाई अस्पताल द्वारा बच्चों में किडनी रोगों पर सीएमई का आयोजन किया गया। इसमें 40 बाल रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत नेफ्रोलाजिस्ट डा. विवेक आंदन झा ने की। उन्होंने हाल के वर्षों में बच्चों में गुर्दे की बीमारियों की बढ़ती घटनाओं के बारे में लोगों को जागरूक किया। कहा कि नेफ्रोटिक सिंड्रोम की एक स्थिति आमतौर पर डेढ़ से से छह साल की आयु के बच्चों को प्रभावित करती है। इस स्थिति में गुर्दे के ऊतक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पेशाब में बहुत अधिक प्रोटीन निकल जाता है। इससे चेहरे पर सूजन हो जाती है। विशेषरूप से आंखों के नीचे की सूजन, इसके बाद पूरे शरीर में सूजन आ जाता है। इन बच्चों को अकसर उनके माता-पिता द्वारा ओपीडी में लाया जाता है। डा. झा ने कहाकि माता-पिता को बच्चे को नेफ्रोलाजिस्ट को दिखाने के लिए ङ्क्षचतित नहीं होना चाहिए। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में प्रगति के चलते इसका इलाज गुर्दा प्रत्यारोपण द्वारा किया जा सकता है। इसके बाद बच्चा स्वस्थ सामान्य जीवन जी सकता है।

यूरोलाजिस्ट डा.बलदेव ङ्क्षसह औलख डायरेक्टर यूरोलाजिस्ट एंड किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी अयकाई अस्पताल ने बच्चों में किडनी ट्रांसप्लांट पर चर्चा की। डा. औलख ने कहा कि किस प्रकार किसी भी कारण से गुर्दें की विफलता बच्चे के विकास, यौन परिपक्वता, हडिड्यों की ताकत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। और बच्चे के मस्तिष्क के विकास व कार्य को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा कि गुर्दां प्रत्यारोपण सबसे अच्छा विकल्प है, जिसका मतलब आपके बच्चों को डायलसिस नहीं करना पड़ेगा। बीमार बच्चे के लिए उसके माता-पिता सबसे अच्छे दाता होते है, क्योंकि उनका रक्त समूह व उत्तक एक जैसा होता है। लुधियाना अकादमी आफ पीडियाट्रिक्स के अध्यक्ष डा. शिव गुप्ता ने वक्ताओं को बधाई दी। अंत में डा. अश्विनी ङ्क्षसघल ने सभी का धन्यवाद किया।

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