अनफिट व जगाडू वाहन बन रहे हादसों का कारण, पुलिस निष्क्रिय

राष्ट्रीय सर्वेक्षण कहता है कि 2.4 फीसद सड़क हादसों की वजह खटारा वाहन होते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 01:11 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 01:11 AM (IST)
अनफिट व जगाडू वाहन बन रहे हादसों का कारण, पुलिस निष्क्रिय
अनफिट व जगाडू वाहन बन रहे हादसों का कारण, पुलिस निष्क्रिय

राजेश शर्मा, लुधियाना : राष्ट्रीय सर्वेक्षण कहता है कि 2.4 फीसद सड़क हादसों की वजह खटारा वाहन होते हैं। लुधियाना की सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों की हालत देखें तो यह राष्ट्रीय दर से कहीं ज्यादा हैं। नियमों के अनुसार आठ वर्ष पुराने कामर्शियल वाहनों को दो साल बाद रीजनल ट्रांसपोर्ट अथारिटी (आरटीए) से फिटनेस सर्टिफिकेट लेना पड़ता है। इसके बाद हर साल वाहन की जांच अनिवार्य है। हालांकि नान कामर्शियल वाहन कार, बाइक आदि को 15 साल तक फिटनेस जांच की आवश्यकता नहीं होती। महानगर में गड्ढों से भरपूर सड़कें दो-तीन साल में ही वाहनों का दम निकाल देती हैं। जर्जर हालत में सड़कों पर दौड़ रहे ये वाहन खुद के चालक को जोखिम में डालने के साथ ही दूसरों के लिए भी खतरा पैद कर रहे हैं। हालांकि इनमें निजी वाहनों को 15 वर्ष तक न तो फिटनेस जांच की जरूरत है और न ही सर्टिफिकेट की। इन पर न तो ट्रैफिक पुलिस कार्रवाई करती है न ही आरटीए। ऐसे में बड़ा सवाल है कि हादसों पर लगाम कैसे लगे।

बता दें कि खटारा व कंडम वाहनों के चलते पिछले दो सालों में 165 हादसे हुए है। इन वाहनों की वजह से हादसों में होने वाली मृत्यु दर अधिकतम रहती है। इन हादसों में 92 लोगों की मौत हो गई। ट्रैफिक पुलिस व आरटीए द्वारा ऐसे वाहनों के खिलाफ चलाए अभियान के तहत अनफिट वाहनों के 872 चालान काटे जा चुके हैं। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद भारत सरकार के सदस्य व राहत फार सेफ कम्युनिटी फेडरेशन के चेयरमैन डाक्टर कमलजीत सिंह सोई का कहना है अगर प्रशासन ऐसे वाहनों ताबूत बनकर सड़कों पर घूम रहे इन वाहनों के प्रति चौकस हो जाए तो इन हादसों पर लगाम लगाई जा सकती है।

----

फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने का नियम

कामर्शियल वाहनों को आरटीए दफ्तर से फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होता है। आठ साल तक प्रत्येक दो वर्ष बाद व इसके बाद प्रत्येक वर्ष मोटर वहीक्ल इंस्पेक्टर से जांच के बाद आरटीए कार्यालय फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करता है। अगर वाहन मालिक जांच करवाने में देर कर दें तो प्रतिदिन 50 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। नान कामर्शियल वाहन कार, बाइक व स्कूटर आते हैं, जिन्हें 15 वर्ष तक किसी फिटनेस सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। 15 वर्ष बाद आरसी रिन्यूअल से पहले फिटनेस जांच अनिवार्य है। देरी होने पर चारपहिया वाहन के लिए 500 रुपये व दोपहिया वाहन के लिए 300 रुपये प्रतिमाह जुर्माने का प्रावधान है।

जगाडू वाहन हैं हादसों की वजह

महानगर में बड़ी संख्या में जगाड़ू वाहन सड़कों पर दौड़ते नजर आते हैं। न पुलिस इन पर कार्रवाई करती है और न ही न ही आरटीए। अभियान के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही होती है। कुछ समय पहले तक तो इसमें सिर्फ आटोरिक्शा की भरमार थी, लेकिन बीते दो वर्षो में मोटरसाइकिल के पीछे लगे रेहड़े दर्जनों की संख्या में दिखे। जब ट्रैफिक पुलिस ने कोई कार्रवाई न की तो देखते ही देखते इनकी संख्या सैंकड़ों में पहुंच गई। इसके लिए ट्रैफिक पुलिस को जिम्मेदार माना जाता था, लेकिन हद तो यह है कि अब इनमें से अधिकांश पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगी नजर आ जाती है। यानी कि रीजनल ट्रांसपोर्ट अथारिटी कार्यालय को भी इन पर कोई एतराज नहीं।

पूरी ट्रेनिंग के बाद जारी हो लाइसेंस : लोहारा

आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के चेयरमैन चरण सिंह लोहारा का कहना है कि देश में दिन-ब-दिन सड़के हादसे बढ़ते जा रहे हैं। हाईवे तेजी से बन रहे हैं, लेकिन इन पर वाहन दौड़ाने वाले ड्राइवर पुरी तरह कुशल नहीं हैं। अगर ड्राइविग लाइसेंस कंप्लीट ट्रेनिग के बाद जारी हो तो इन हादसों में कमी आ सकती है। हालांकि आरटीए कार्यालय व ट्रैफिक पुलिस में फैला भ्रष्टाचार इसमें बाधा बन रहा है। समय-समय पर ड्राइवरों की मेडिकल जांच व ट्रेनिग सेशन हादसों में कमी ला सकता है। इसके अलावा सड़कों की खस्ता हालत, ब्लैक स्पाट व गलत तरीके से पार्किग हादसों की बड़ी वजह है। इसके प्रति पुलिस प्रशासन को चौकस होना होगा।

chat bot
आपका साथी