रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद का अंत, श्रीराम के लगे जयघोष

कौमी सेवक रामलीला एवं त्योहार कमेटी ने रामलीला का मंचन किया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 09:00 PM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 09:00 PM (IST)
रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद का अंत, श्रीराम के लगे जयघोष
रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद का अंत, श्रीराम के लगे जयघोष

संवाद सहयोगी, फगवाड़ा : कौमी सेवक रामलीला एवं त्योहार कमेटी की ओर से कुंभकर्ण, मेघनाद व रावण वध का मंचन किया गया। रामलीला मंचन का शुभारंभ शुक्ला मनी चेंजर के मालिक महिदर पाल शुक्ला, अमित शुक्ला, राम कुमार चड्ढा ने किया व ज्योति प्रचलन हरविदर कंडा ने किया। मंचन के शुभारंभ में लक्ष्मण के मूर्छा से उठने के पश्चात भगवान श्री रामचंद्र की सेना में खुशी की लहर दौड़ गई। वहीं, लंका में लक्ष्मण के मूर्छा से उठ जाने की सूचना फैलते ही मेघनाद रावण से फिर से युद्ध में जाने के लिए कहता है। वह कहता है कि इस बार उसके बाणों से लक्ष्मण बच नहीं पायेगा। मेघनाद श्रीराम सेना पर विजय प्राप्त करने के लिए शत्रु नाशक यज्ञ करता हैं। लक्ष्मण यज्ञ पूर्ण होने से पहले ही मेघनाद को युद्ध के लिए ललकारते हैं। युद्ध में मेघनाद मारा जाता है। मेघनाद की पत्नी सुलोचना अपने पति की मृत्यु से दुखी होकर सती होना चाहती हैं। शीश राम दल में होने के कारण सुलोचना श्रीराम जी के पास जाकर अपने पति के शीश को वापस मांगती है। इसके पश्चात शीश लेकर सती हो जाती है।

उधर, रावण अपने भाई कुंभकर्ण को युद्ध में भेजता है। कुंभकर्ण भी भगवान श्री रामंचद्र जी के हाथों मारा जाता है। अंत में प्रभू श्रीराम व रावण में युद्ध होता है। प्रभू राम के आगे रावण का अहंकार टूट जाता है और वह रामजी के वाण से मारा जाता है। इस अवसर पर मंदिर के चेयरमैन बलदेव राज शर्मा, अध्यक्ष अरुण खोसला, शाम लाल गुप्ता, तिलक राज कलूचा, बह्म दत्त शर्मा, कीमती लाल शर्मा, राकेश बांसल, एडवोकेट रविन्द्र शर्मा, बलबंत बिल्लू, बलराम शर्मा, शिव कनौजिया, विनोद सूद, मुकेश शर्मा आदि उपस्थित थे।

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