दो दशकों से राणा का कपूरथला में वर्चस्व कायम

कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत सिंह कैबिनेट में शामिल हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 12:01 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 12:01 AM (IST)
दो दशकों से राणा का कपूरथला में वर्चस्व कायम
दो दशकों से राणा का कपूरथला में वर्चस्व कायम

जागरण संवाददाता, कपूरथला : पिछलेदो दशकों से विधानसभा हलका कपूरथला पर राणा गुरजीत सिंह और उनके परिवार का वर्चस्व कायम है। राणा गुरजीत सिंह पहली बार 2002 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े थे और उन्होंने पूर्व परिवहन मंत्री रघबीर सिंह को हराकर जीत हासिल की थी। राणा ने कड़ी मेहनत व खुद के बलबूते अपना साम्राज्य कायम किया है।

राणा गुरजीत सिंह का जन्म 19 अप्रैल 1956 को पिता राणा दलजीत सिंह के घर माता रतन कौर के घर हुआ। दलजीत सिंह का राजनीति से कोई खास वास्ता नही रहा है। राणा बेशक मैट्रिक पास है लेकिन उन्हें राजनीति का मास्टर माना जाता है। राणा परिवार विधानसभा के लगातार पांच चुनाव जीत चुका है। राणा गुरजीत सिंह ने 19 साल पहले कपूरथला से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। 2002 में वह पहली बार विधान सभा का चुनाव लड़े जिन्होंने शिरोमणी अकाली दल के उम्मीदवार साबका ट्रांसपोर्ट मंत्री रहे रघबीर सिंह को करीब 10,000 हजार वोटों के साथ हरा कर पहली बार विधान भा में दस्तक दी थी।

साल 2004 में कांग्रेस ने राणा को जालंधर लोकसभा से उम्मीदवार बना दिया तो उन्होंने शिरोमणी अकाली भाजपा के सांझे उम्मीदवार नरेश गुजराल को 33 हजार 463 वोटों के साथ हराया। इसके बाद कपूरथला में हुए उप चुनाव में उनकी भाभी सुखजिदर कौर राणा ने चुनाव लड़ा और वह भी शिअद के प्रत्याशी रघबीर सिंह को हराने देने में सफल रही। इसके उपरांत 2007 में कपूरथला से राणा गुरजीत की पत्नी राजबंस कौर राणा ने चुनाव लड़ा और रघबीर सिंह को पराजित करते हुए जीत हासिल की।

साल 2009 में राणा गुरजीत सिंह खडूर साहिब से लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन वह शिअद उम्मीदवार रत्न सिंह अजनाला से करीब 32 हजार वोटों से हार गए। 2012 में राणा गुरजीत सिंह कपूरथला से विधान सभा चुनाव लड़े जिन्होंने शिरोमणी अकाली दल और भाजपा के सांझे उम्मीदवार सर्बजीत सिंह मक्कड़ को करीब 14 ह•ार 471 वोटों के साथ हरा कर अपनी विधायक की कुर्सी दोबारा हासिल की। साल 2017 में राणा गुरजीत सिंह के मुकाबले अकाली दल ने परमजीत सिंह एडवोकेट को उतारा और वह भी करीब 28723 वोटों के अंतर से हार गए।

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