तेज रफ्तार व ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करना बन रहा घातक

शहर की मुख्य सड़कों पर सैकड़ों पुराने वाहन बिना किसी फिटनेस के दौड़ रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 07:43 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 07:43 PM (IST)
तेज रफ्तार व ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करना बन रहा घातक
तेज रफ्तार व ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करना बन रहा घातक

हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला : शहर की मुख्य सड़कों पर सैकड़ों पुराने वाहन बिना किसी फिटनेस के दौड़ रहे हैं। कुछ गांवों में मिन्नी बसों की सुविधा तो है लेकिन अधिकाश गांव निजी वाहनों अथवा घड़ुका, तांगा, आटो, थ्री वीलर पर ही निर्भर है जिनकी फिटनेस, हैड लाइट, बैक लाइट व रिफ्लेक्टर आदि बारे सोचना भी बेमानी होगी।

इन वाहनों के लिए अनिवार्य सुरक्षा मानक जैसा कोई प्रावधान अभी देश के पास नहीं है। विरासती जिले में सबसे ज्यादा ट्रकों व ट्रालों का आना जाना होता है। धान व खरबूजे के सीजन में ओवरलोड ट्रक व ट्राले छोटे वाहनों को कुछ नहीं जानते। धान के भूसे से दस फीट तक दोनों तरफ फैले ट्रक राहगीरों की जान के दुश्मन ही नहीं बल्कि उनकी आंखों के लिए भी घातक साबित हो रहे हैं। इनके अलावा रेत व ईंट से भरी हुई ओवर लोड ट्रालियां भी राह चलने वालों की जान की दुश्मन बनीं हुई हैं। बड़े व्यावसायिक वाहनों के अलावा कार, साइकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल, तांगा, बग्गी, रिक्शा, जक्का आदि छोटे वाहनों की फिटनेस भी राम भरोसे ही रहती है। आजादी के कई दशकों के बाद भी जिले के ज्यादातर गांवों व मंड क्षेत्र में आम लोगों के लिए जुगाड़ से तैयार किए गए वाहन एकमात्र यातायात के साध हैं।

सड़क किनारे खड़े वाहनों के कारण होते हैं हादसे

उधर सर्दियों व धुंध के मौसम में सड़क पर खड़े वाहन मौत को दावत देने का काम करते हैं। बिना फांग लाइट, बैंक लाइट, पार्किग लाइट व रिफ्लेक्टर के पीछे से आने वाले वाहन चालकों को अंधेरे व धुंध में ऐस वाहन दिखाई नहीं देते। हालांकि ट्रैफिक पुलिस रोजाना विभिन्न स्थानों पर नाके लगाकर कागजों की पड़ताल कर चलान काटती है लेकिन कम ट्रैफिक कर्मियों के चलते वाहनों की फिटनेस नहीं चेक कर पाती। स्थानीय ट्रैफिक पुलिस के पास ना स्पीड मीटर, न ही कोई रिकवरी वैन है और न ही एलको मीटर है। वाहनों की फिटनेस जांचने की ट्रैफिक पुलिस पास कोई व्यवस्था नहीं है। अब तमाम कार्य आरटीओ दफतर जालंधर के दिशा निर्देश व देखरेख में होते हैं लेकिन चार जिलों का भार ढ़ोह रहे आरटीए दफतर के पास कपूरथला जिले के लिए टाइम कहां है। वाहनों की फिटनेस जांचने का किसी को वक्त नहीं मिल पाता।

--कोट्स--

ट्रैक्टर ट्राली और जुगाड़ू वाहन अकसर राजमार्गों व हाईवे पर ज्यादातर दुर्घटनाएं की वजह बन रहे हैं। ट्रैक्टर ट्राली के बारे में तमाम नियम कानून धरे रह जाते हैं। ट्रैफिक पुलिस काफी कोशिश कर रही है लेकिन सड़कें छोटी हैं और वाहनों की संख्या बेहिसाब बढ़ गई है। सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तेज रफ्तार वाहनों पर रोक लगाने के लिए सड़कों के किनारे स्पीड मीटर लगाने की जरूरत है।

--सुखविदर सिंह ट्रैफिक इंचार्ज।

यातायात के प्रति लोगों को समझनी होगी जिम्मेदारी

यह भी काफी हैरानी की बात है कि ट्रैफिक के प्रति जागरूक करने के लिए जिले में कोई भी संस्था नहीं है। हालाकि ट्रैफिक एजुकेशन सेल के इंचार्ज एएसआइ गुरबचन सिंह विभिन्न स्कूलों, कालेजों, गांवों व मोहल्लों में सेमीनार कर लोगों को जागरूक करने में लगे रहते हैं। गुरबचन सिंह का कहना है कि लोगों को खुद भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। रिफ्लेक्टर बेहद मामूली चीज है, जिसे हर कोई अपने वाहन के पीछे लगा सकता है लेकिन लोग दूसरों को दुखी करने के लिए गाड़ियों, ट्रालों, ट्रकों व ट्रेक्टरों के आगे बडी बड़ी लाइटें तो लगा लेते है लेकिन पीछे रिफ्लेक्टर नहीं लगाते। छोटे बच्चों को वाहन देना भी बेहद गलत है। समाज सेवक गुरमुख सिंह ढो़ट का कहना है कि तेज रफ्तार व ट्रैफिक नियमों का उल्लघन सबसे घातक है।

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