अब पराली से तैयार होगी सीएनजी व मिथेन गैस
प्रदेश में पराली से अब सीएनजी एवं मिथेन गैस बनने लगी है।
हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला
पराली से अब सीएनजी एवं मिथेन गैस बनने लगी है। इससे पराली का स्थायी समाधान हो सकेगा तथा कम लागत में आसानी से वाहन चलाए जा सकेगे। संगरूर के बुटाल कला में पराली से सीएनजी गैस तैयार करने का प्लांट लग चुका है और अन्य जिलों में ऐसे प्लांट लगाने पर काम चल रहा है। फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए जैविक खाद का टीका भी तैयार किया गया है। यह कहना है कृषि विज्ञान केंद्र कपूरथला के डिप्टी डायरेक्टर (ट्रेनिंग) डा. सतवीर सिंह का।
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प्रश्न,- पराली की संभाल किस तरह से किया जा सकता है
उत्तर- जागरूकता के अभाव में किसान पराली को आग लगाकर खेतों में ही जला देते हैं। अब नई तकनीक के माध्यम से पराली की सही ढंग से संभाल कर उसे उपयोगी बनाया जा सकता है। प्रदेश में पराली से सीएनजी एवं मिथेन गैस तैयार होने लगी है, जिससे आने वाले समय में पराली किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा।
प्रश्न-पराली की समस्या का स्थायी समाधान क्या है
उत्तर- जीबी अस्पताल व नैनी केयर पैरा मेडीकल इंस्टीट्यूट फगवाड़ा की तरफ से भी पराली की समस्या का स्थायी हल निकाला गया है जिससे ना सिर्फ पराली से बिजली पैदा कर जरनेटर चलाया जा सकता है बल्कि पराली से बायोगैस पैदा कर कार भी चला सकते है। जेबी अस्पताल के डायरेक्टर डा. जीबी सिंह एवं नैनी केयर पैरा मेडिकल इंस्टीट्यूट फगवाड़ा के डा. शेलेंद्र भट्ट के संयुक्त प्रयास से पराली के समुचित प्रबंधन की व्यवस्था का गई है, जिन्होंने किसानों को पराली की समस्या से पूरी तरह निजात दिलाने और इससे कमाई करने का ढंग खोज निकाला है। पर्यवरण संरक्षण के मद्देनजर वह किसानों व अन्य लोगों को मुफ्त ट्रेनिंग देने को भी तैयार है।
प्रश्न- किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग की क्या तैयारी है
उत्तर- साउथ कोरिया के किसान फसल के बाद या तो पराली को खाद बना लेते है या उससे बिजली बना लेते है। पैसे की बचत के साथ वो बायोगैस से अपनी कार भी चलाते है तथा उनकी पैदावार भी दोगुनी होती है। जिले के गांव केसरपुर, खैड़ा बेट, सुरखपुर आदि में कैंप लगा कर किसानों को जागरुक किया गया है। पराली जलाने से सिर्फ वातावरण ही दूषित नही होता बल्कि जमीन की उपजाऊ शक्ति भी नष्ट हो जाती है।