देवताओं के लिए भी दुर्लभ है मानव शरीर : गिरि

श्री स्नेह बिहारी मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के 6वें दिन श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 100

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jan 2019 09:50 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jan 2019 09:50 PM (IST)
देवताओं के लिए भी दुर्लभ है मानव शरीर : गिरि
देवताओं के लिए भी दुर्लभ है मानव शरीर : गिरि

संवाद सहयोगी, कपूरथला : स्नेह बिहारी मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के 6वें दिन श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि मानव शरीर देवताओं को भी दुर्लभ है। भागवत में लिखा है कि स्वर्ग के देवता भी भारत वासियों की साधना और सत्कर्म को देखकर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि प्रभु जिस प्रकार इन लोगों को आपने भारत वर्ष में जन्म दिया है ऐसे ही जब हमारा पुण्य क्षीण हो जाए और हम मृत्युलोक में जाएं तो हमें मानव तन प्रदान करना। मानव तन प्राप्त करने के लिए चर और अचर सभी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। मानव जीवन के बिना ईश्वर प्राप्ति असंभव है। उन्होंने कहा कि आज लोगों की शिकायत है कि मेरे जीवन में अशांति बहुत है। इंद्रियां जब विषयों से मुड़ जाएगी और मन भोगों से हट जाएगा तुरंत शांति मिलेगी। महाराज जी ने आगे बताया कि इंद्रियां दस हैं। दसों ही बड़ी खतरनाक हैं। उनमें सबसे अधिक खतरनाक रसना और वासना है। इन दोनों की पूर्ति के लिए पैसा चाहिए। पैसा कमाने के लिए चाहिए छल-कपट, और दांव पेच। छल कपट से अशांति व तनाव मिलता है। यह तनाव और अशांति अपनी महत्वाकांक्षा का फल है। ईमानदारी से कर्म करने वाले का आधा तनाव अपने आप समाप्त हो जाता है। महाराज ने बताया कि आज का मानव अपने दु:ख से उतना दुखी नहीं जितना दूसरों के सुख से दुखी है। अपने अभाव से इतना परेशान नहीं जितना दूसरे के प्रभाव से परेशान है। स्वामी जी ने कहा कि भक्त को मंदिर में जाकर आराम से कुछ देर बैठकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए और प्रभु के चरणों में ध्यान लगाना चाहिए। मन को प्रभु में लगाने की कोशिश करो तभी प्रभु कृपा होगी। इस अवसर पर आचार्य पंडित हरिदत्त जोशी, आचार्य पंडित गोकर्ण शास्त्री, आचार्य पंडित चंद्रभान शुक्ला, आचार्य पंडित धमेंद्र मिश्रा, प्रेम व भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

chat bot
आपका साथी