दोस्तों से मिले उत्तराखंड के गवर्नर, ताजा हुई पुरानी यादें
उत्तराखंड के गवर्नर रविवार को कपूरथला स्थित सैनिक स्कूल पहुंचे।
हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला
कई सालों बाद सैनिक स्कूल पहुंच कर भावुक हुए उत्तराखंड के गवर्नर लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह का कहना है कि वह आज जिस मुकाम पर है उसमें सबसे बड़ा योगदान सैनिक स्कूल कपूरथला, स्कूल के अध्यापकों एवं उनके पुराने साथियों का है। पुराने साथियों और अध्यापकों ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए ना सिर्फ प्रेरित किया बल्कि सही राह भी दिखाई। करीब 40 साल बाद स्कूल में दोबारा आकर वह तमाम पुराने यादें ताजा हो गई। कुछ पलों के लिए फिर से बचपन लौट आया।
भारतीय सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत होकर इस समय उत्तराखंड के गवर्नर के तौर पर सेवा निभा रहे सैनिक स्कूल कपूरथला के पूर्व छात्र गुरमीत सिंह ओल्ड ब्वाय मीट के जरिए कई सालों बाद पुराने दोस्तों व शिक्षकों से मिलकर पुरानी यादों में खो गए। बचपन की शरारतें एवं अध्यापकों की डांट डपट भी एक बार फिर से जहन में दौड़ गई।
उन्होंने कहा कि सैनिक स्कूल उनके लिए किसी मंदिर व गुरुद्वारा के तरह है जिसकी बदौलत जिदगी के हर क्षेत्र में सफलताएं मिली है। मेरे अध्यापक भगवान की तरह हैं, जो कि निस्वार्थ भावना से बच्चों को शिक्षा देते हैं। उन्होंने अपने पढ़ाई के दौरान प्रिंसिपल रहे बालकृष्ण, अध्यापक आरके पुरी, एचएन तनखा, झांझी, मल्ला, मित्तल व गुप्ता को अपने प्रेरणा स्त्रोत बताया।
गवर्नर गुरमीत सिंह ने कहा कि पढ़ाई के दौरान सैनिक स्कूल में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह से उन्हें एक बुक प्राइज में मिली थी जो कि उन्हें हमेशा जीवन में कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित करती रही। उन्होंने बताया कि गुरु नानक देव जी चार शिक्षाओं को उन्होंने हमेशा याद रखा। मूल मंत्र को वह कभी नही भूले और हमेशा सरबत के भले की भावना रखते है।
अपने गर्वनर के तौर पर नियुक्ति के बारे में बताते हुए गुरमीत सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अचानक बुला कर कहा कि हम आप को उत्तराखंड का गर्वनर नियुक्त कर रहे हैं। मन में विचार आया कि यह तो सैनिक स्कूल, शिक्षकों, साथियों के अलावा पूरी सिख कौम का सम्मान है। मैने कहा यह तो वाहेगुरु का कमाल हो गया। मैने कभी सोचा नही था।
अपने स्कूल के दोस्त धवन का खास तौर पर उल्लेख करते हुए कहा कि मैं जब इनके घर जाता था तो इनकी माता जी मुझे कहती थी कि तू मेरा वड्डा पुत ऐ। यह सब भी मां का आशीर्वाद है।