जिद और जुनून के आगे हारी दिव्यांगता, जन्म से मूकबधिर लुधियाना का अजय बनना चाहता है उम्दा फुटबालर
पिता को देख कर ही अजय के मन में एक अच्छा फुटबॉलर बनने का बीज अंकुरित हुआ। वह सुबह और शाम नियमित रूप से स्टेडियम में दो-दो घंटे अभ्यास करता है।
श्री माछीवाड़ा साहिब, (लुधियाना), जेएनएन। नौजवान पीढ़ी जहां नशे के दलदल में धंस कर खेल से विमुख होती जा रही है। वहीं लुधियाना के माछीवाड़ा का एक युवा ऐसा भी है जो जन्म से दिव्यांग होने के बावजूद अपने मजबूत इरादों को अपनी 'बैसाखी' बनाकर फुटबॉल का एक उम्दा खिलाड़ी बनने की राह पर अग्रसर है।
यह प्रतिभाशाली युवा आने वाले समय में अन्य युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है। शहर के इंदिरा कॉलोनी के गरीब परिवार में जन्मे 22 वर्षीय अजय के दोनो हाथ काम नहीं करते। वह जन्म से ही दिव्यांग है। यही नहीं जब वह थोड़ा बड़ा हुआ तो उसके माता-पिता को पता चला कि वह बोलने और सुनने में भी असमर्थ है।
फुटबॉल टीम के कैप्टन थे पिता
अजय कुमार के पिता चंचल कुमार नीटा माछीवाड़ा के ब्लॉक स्तरीय फुटबॉल टीम के कैप्टन रहे हैं। अजय बचपन से ही उन्हें फुटबॉल खेलते हुए देखता था। पिता को देख कर ही अजय के मन में एक अच्छा फुटबॉलर बनने का बीज अंकुरित हुआ। करीब 14 वर्ष की उम्र में वह गुरु गोबिंद सिंह स्टेडियम में जाकर दौड़ लगाने लगा और फुटबॉल खेलने लगा।
इस दौरान उसने अपने जिद और जुनून के आगे शारीरिक दिव्यांगता को आड़े नहीं आने दिया। और प्रतिदिन स्टेडियम के 10 से 12 चक्कर लगा देता है। वह भी बिना रुके। बिना थके। जबकि, आम युवा स्टेडियम का पांच से छह चक्कर लगाने में ही हांफने लगते हैं।
दो-दो घंटे करता है प्रेक्टिस
फुटबॉल के प्रति अजय का प्रेम इतना है कि वह सुबह और शाम नियमित रूप से स्टेडियम में दो-दो घंटे अभ्यास करता है। इशारों ही इशारों में बताता है कि वह फुटबॉल का टॉप खिलाड़ी बनकर अपने इलाके व राज्य का नाम राेशन करना चाहता है।
प्रतिभा के पंख रोक रही गरीबी
अजय के पिता और पूर्व फुटबॉलर चंचल कुमार कहते हैं कि गरीबी के कारण वह चाह कर भी बेटे को कोचिंग नहीं दिलवा पा रहे हैं। चंचल कहते हैं वह मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं। उन्होंने सरकार और अकादमियों से अपील की कि उनके दिव्यांग बेटे के सपनों पंख देने में मदद करें। ताकि वह अच्छा फुटबॉलर बन सके। इसके इलावा चरन कंवल स्पोर्ट्स क्लब के प्रधान जसपाल सिंह जज ने सरकार से अजय को सहायता देने की मांग की।
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