एक संत का कमाल, कार सेवा से मोड़ दिया दरिया का रुख, बाढ़ से बचेंगे 100 से ज्यादा गांव

एक संत ने अपने कमाल से नदी का रुख मोड़ दिया। संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने कारसेवा से सतलुज दरिया का बहाव ही बदल दिया और इससे 100 से अधिक गांव बाढ़ की विभ‍ीषिका से बच गए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 08:17 AM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 11:16 AM (IST)
एक संत का कमाल, कार सेवा से मोड़ दिया दरिया का रुख, बाढ़ से बचेंगे 100 से ज्यादा गांव
एक संत का कमाल, कार सेवा से मोड़ दिया दरिया का रुख, बाढ़ से बचेंगे 100 से ज्यादा गांव

कपूरथला, [हरनेक सिंह जैनपुरी]। पंजाब के एक संत ने कमाल कर दिया और नदी का रुख मोड़ दिया, वह भी आम लाेगों के साथ। इसके साथ उन्‍होंने यह बड़ी सीख दी कि इंसान ठान ले तो हर मुश्किल को जीत सकता है और दरिया का रास्ता मोड़ देते हैं। कई बार सतलुज दरिया बांध तोड़कर कपूरथला जिले के कई गांवों को तबाह कर चुका है,  लेकिन अब यह दरिया तबाही नहीं मचा पाएगा। सरकार नहीं, अब गांव व किसानों की जमीन को बचाने का जिम्मा पर्यावरण प्रेमी पद्मश्री संत बलबीर सीचेवाल ने उठाया है। संत सीचेवाल की प्रेरणा से लोग खुद दरिया के 53 किलोमीटर लंबे किनारों को मजबूत करने में जुट गए हैं। इसमें सरकार का कोई योगदान नहीं है।

कपूरथला में सतलुज दरिया पर कार सेवा से दरिया पर बन रहा 53 किमी लंबा बांध

संत सीचेवाल की अगुआई में लोगों ने खुद कार सेवा कर अद्भुत नजीर पेश की है। बाढ़ के खतरे को रोकने के लिए कार सेवा के जरिये संगत दरिया के किनारों को 12 फीट ऊंचा और 35 फीट चौड़ा बना रही है। 53 किलोमीटर लंबे इन किनारों का काम पूरा होने पर बाढ़ नहीं आएगी।

पिछले साल करीब 100 गांव आए थे बाढ़ की जद में

1912 में सतलुज दरिया पर गांव गिदड़पिंडी में अंग्रेजों के बनाए बनाए गए 2100 फीट लंबे रेलवे पुल के पिलरों के आसपास मिट्टी जमा हो गई थी। बरसात के समय पानी की निकासी नहीं होने से पानी दरिया के किनारों को तोड़कर गांवों में घुस जाता था। सैकड़ों लोग बेघर हो जाते थे। विभिन्न स्थानों से दरिया के कमजोर किनारों के कारण इस क्षेत्र में करीब 30 बार बाढ़ आ चुकी है।

हर बार हजारों किसान उजड़े और दोबारा बसने की जद्दोजहद करने के बावजूद कभी थके नहीं है। पिछले साल आई बाढ़ में करीब 100 गांव डूब गए थे। 18 से 20 हजार एकड़ में लगी फसल तबाह हो गई थी। अब बन रहे बांध से उम्मीद है कि ग्रामीणों की किस्मत बदल जाएगी।

पांच महीने से ट्रैक्टर, ट्रक व जेसीबी मशीनों के साथ चल रहा काम

संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने 31 जनवरी 2020 को रेलवे पुल के नीचे से मिट्टी निकालने का अभियान शुरू किया है। यही नहीं दरिया से निकलने वाली मिट्टी को ट्रैक्टर और ट्रकों की मदद से इसके किनारों को चौड़ा और मजबूत बनाने में लगाया गया। रोजाना 90 ट्रैक्टर-ट्रालियों, 10 टिप्पर, पांच बड़ी क्रेनों व तीन जेसीबी मशीनों के साथ सैकड़ों कार सेवक इस काम में जुटे रहते हैं। संत सीचेवाल का कहना है कि कर्फ्यू व लॉकडाउन के बीच भी नियमों का पालन करते हुए काम चलता रहा। मकसद यही है कि इस बार बाढ़ से किसानों व ग्रामीणों को कोई नुकसान न हो।

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रोज तीन हजार लीटर डीजल की खपत 

सतलुज दरिया से मिट्टी निकालने और किनारों को चौड़ा करने के काम में हर रोज करीब दो लाख रुपये का तीन हजार लीटर डीजल खर्च हो रहा है। अब तक 83 लाख से अधिक रुपये का डीजल खर्च हो चुका है। यह पैसा गांवों की संगत के अलावा इंग्लैंड, अमेरिका, इटली, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस आदि देशों की गुरुद्वारा कमेटियां और एनआरआइ भेज रहे हैं। पेट्रोलियम कंपनी से हर हफ्ते 12 हजार लीटर का एक ट्रक सीधा मंगवाया जाता है।

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कागजों में रह गया ड्रेनेज विभाग का प्रोजेक्ट

सतलुज दरिया पर बने गिदड़पिंडी रेलवे पुल से रोजाना करीब 30 ट्रेनें गुजरती हैं। यह पुल जालंधर जंक्शन को फिरोजपुर रेलवे डिवीजन सहित राजस्थान और गुजरात को भी उत्तर भारत से जोड़ता है। पंजाब के ड्रेनेज विभाग ने गिदड़पिडी रेलवे पुल के नीचे से मिट्टी उठाने के लिए 17 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया था, लेकिन इसका काम ही शुरू नहीं हुआ।

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