मानसून के दस्तक देते ही हरे हुए बाढ़ पीड़ितों के जख्म
मानसून ने दस्तक दे दी है। अगर पिछले साल की तरह इस साल भी बाढ़ आती है तो क्या होगा।
चरणजीत लोहियां, लोहियां खास :
मानसून ने दस्तक दे दी है। अगर पिछले साल की तरह इस साल भी बाढ़ आती है तो क्या होगा। यह डर सता रहा है बाढ़ पीड़ितों को। लोहिया के लगभग डेढ़ दर्जन से ज्यादा गांवों में गत वर्ष आए बाढ़ का संताप भोगने वाले कुछ गांव की यथा स्थिति जानने की कोशिश की तो गांव मुंडी शहरियां की पंचायत पंच एवं सरपंच के तौर पर संबंधित स्वर्ण सिंह ने बताया कि गत वर्ष आई भयानक बाढ़ ने उनके घर का सामान, फसल, माल भंडार आदि सब कुछ लील लिया था। पंजाब सरकार ने पूरी तरह नष्ट हो चुकी फसल के लिए 12हजार प्रति एकड़ मुआवजे की बात कही थी, मगर यह मुआवजा ना तो पूरी जमीन पर मिला और ना ही सभी बाढ़ प्रभावितों को।
मुंडी शहरियां, मुंडी चोहलिया तथा मंडला चन्ना के घरों में 7 से 10 फीट पानी भर गया था। मंडला छन्ना के मेंबर पंचायत राज सिंह व सतपाल एवं बचन सिंह ने बताया कि उनकी आज तक सरकार ने कोई सार नहीं ली है। मकान या तो उस वक्त गिर गए जो बचे हैं वह अब क्षति ग्रस्त हैं। जिनका कोई मुआवजा नहीं मिला। बांध पर बसे लोगों का किसी अधिकारी ने दौरा नहीं किया।
दरिया सतलुज से कुछ दूरी पर बसे गांवों धक्का बस्ती (भानेवाल) के मेंबर पंचायत हरमेल सिंह ने बताया कि इस धक्का बस्ती में लगभग 80 परिवार बसे हुए हैं, जो गैर काश्तकार हैं और मेहनत मजदूरी कर अपने परिवारों का पोषण कर रहे हैं। सबसे ज्यादा नुकसान यही हुआ था। कुछ दिन का राशन व बर्तन बिजली के खंभों से बांधकर बचाया था। उसके बाद अब कोरोना ने भूखे मरने पर मजबूर कर दिया है। सहायता के लिए बस्ती में आज तक कोई नहीं पहुंचा। बस्ती के सतनाम सिंह ने कहा कि वह अपने बच्चों के साथ तब से अब तक तंबू में ही रह रहे हैं। जबकि मंडला छन्ना का एक मजदूर बांध के पार दरिया में लगे पेड़ों की मचान बनाकर उस पर रहने की को मजबूर है।