World Environment Day: पर्यावरण संरक्षण के लिए लें संकल्प, हमें खुद बनना होगा विकल्प
World Environment Day आज भी हमारे आसपास कई ऐसे योद्धा हैं जो चुपचाप पर्यावरण संरक्षण में जुटे हैं। उनके बारे में जानकर हम सब भी प्रेरणा ले सकते हैं।
जालंधर, जेएनएन। कोई भी मुसीबत आती है तो उसके सकारात्मक और नकारात्मक दो पहलू होते हैं। कोरोना महामारी में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला है। बीमारी के कारण बहुत से लोगों को जान गंवानी पड़ी, दुख झेलने पड़े। लेकिन कोरोना ने कुछ नसीहतें भी दी हैं। इनमें एक पर्यावरण संरक्षण भी है। लॉकडाउन के दौरान जब फैक्ट्रियां बंद थी, सड़कें और बाजार सूने थे, तब प्रकृति अपने पूरे निखार पर थी। जालंधर से सुदूर हिमाचल प्रदेश की बर्फ से ढंकी चोटियां नजर आईं तो लोगों के चेहरे खिल उठे। ऐसे नजारे आगे भी दिखते रह सकते हैं। इसके लिए हम पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेना होगा और इसे बचाने के लिए हमें विकल्प बनना होगा। आज भी हमारे आसपास कई ऐसे योद्धा हैं जो चुपचाप पर्यावरण संरक्षण में जुटे हैं। आज विश्व पर्यावरण दिवस इन्हीं प्रेरणादायी व्यक्तियों में से कुछ को हम आप से रूबरू करवा रहे हैं।
पांच हजार पौधे लगाने का लक्ष्यः नवीन कुमार राणा
ऑर्गेनिक फार्मिंग करने वाले नवीन कुमार राणा ने साल 2018 में ट्री मित्रा संस्था की शुरुआत की। संस्था पौधे लगाने के साथ-साथ उनके संभाल का जिम्मा भी लेती है। अगर कोई पौधा एक साल के भीतर नष्ट हो जाए तो सीजन के मुताबिक नया पौधा लगा दिया जाता है। उनकी कंपनी अब तक 15000 पौधे लगा चुकी है।
जालंधरः पौधे लगाते हुए नवीन कुमार राणा।
लक्ष्य: इस साल पांच हजार नए पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। शहर में लोगों को अपने जन्मदिवस पर पौधे लगाने के लिए प्रेरित करना करेंगे। शहर को प्रदूषण मुक्त करना प्राथमिकता में शामिल है।
संकल्प: शहर को हराभरा बनाकर आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण मुहैया करवाना उनका संकल्प है। शहर में खाली जगहों पर अधिक से अधिक पौधे लगाने के अलावा उनकी संभाल का जिम्मा खुद उठाएंगे और लोगों को जागरुक करेंगे।
एजेंडा: पर्यावरण संभाल के लिए गांव, स्कूल, कालेज में सेमिनार और बैठकें की जाएंगी। स्कूल के विद्यार्थियों को उनके जन्म दिन पर एक पौधा लगाने के लिए कहा जाएगा।
योजना: पौधे लगाने के लिए स्कूल और कालेजों में गतिविधियां करवाई जाएंगी। खास मौके पर लोगों को उपहार स्वरूप लोगों को पौधे दिए जाएंगे।
इस साल लगाएंगे नौ हजार पौधे
एनजीओ थिंक ऑफ नेचर के प्रधान और लैपटॉप रिपेयर का काम करने वाले दविंदर कुमार बांगड़ ने पर्यावरण संरक्षण के लिए 2016 से पौधे लगाने का बीड़ा उठाया। अब तक छह हजार पौधे लगाने के अलावा लोगों को जागरुक करने के लिए पंजाब में 550 किलोमीटर साइकिल यात्रा कर चुके हैैं।
जालंधरः दविंदर कुमार बांगड़ ने पर्यावरण संरक्षण के लिए 2016 से पौधे लगाने का बीड़ा उठाया। वे अब तक छह हजार से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं।
लक्ष्य: सड़कों के किनारे, डिवाइडर और शहर की खाली जगहों पर पौधे लगाना। पर्यावरण संरक्षण को लेकर अधिक से अधिक लोगों को जागरुक करना भी जिंदगी का मकसद है।
संकल्प: विभिन्न जिलों में साइकिल चलाकर लोगों को जागरुक करना। पर्यावरण को प्रदूषण से बचाना और एनजीओ के साथ अधिक से अधिक लोगों को जोड़कर पर्यावरण प्रेमियों की चेन बनाना।
एजेंडा: 2020-21 में नौ हजार पौधे लगाकर उनकी संभाल करना है। लोगों को जागरुक करने के लिए नुक्कड़ नाटक व सेमिनार करवाएंगे और उनके जन्मदिन पर उनके नाम का पौधे लगाने की शपथ दिलाएंगे।
योजना: स्कूलों व कालेजों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर पेंटिंग, कविता उच्चारण, डिबेट, रंगोली, पोस्टर और कार्ड मेकिंग प्रतियोगिताएं करवा कर युवाओं को जागरुक करेंगे।
नहीं करना है रसायनिक खाद का इस्तेमाल
स्टेट अवार्डी किसान अमरजीत सिंह ने अपने पिता अवतार सिंह और भाई कर्मजीत सिंह के साथ 2.5 एकड़ खेत में पहले जैविक खेती की शुरूआत 2006 में की। खेतों को रासायन मुक्त करने के उद्देश्य से गेंहू, हल्दी, गन्ना, मक्की, दालें, धान, चने और अलसी की जैविक खेती कर रहे हैं।
लक्ष्य: खेतों और लोगों की सेहत संभाल के लिए जैविक खाद के इस्तेमाल को बढ़ावा देना। रसायनिक खादों का इस्तेमाल न हो इसके लिए अपने खेतों के अलावा साथी किसानों को प्रेरित करना।
संकल्प: मिट्टी को रासायन मुक्त करना। इसके लिए पंजाब ही नहीं बल्कि देश के अलग अलग हिस्सों में जागरुकता मुहिम चलाना ताकि लोगों को पौष्टिक खाद्य सामग्री मिले।
एजेंडा: रासायनिक खादों के इस्तेमाल से मिट्टी और भूजल को होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को जागरुक करना। इस साल कम से कम 50 किसानों को जैविक खेती के रास्ते पर लाना।
योजना: अलग अलग गांवों में किसानों के साथ बैठकें करेंगे। खुद तैयार की गई फसल के फायदे किसानों को बताकर उन्हें मिट्टी को प्रदूषण से बचाने के लिए जैविक खेती के लिए प्रेरित करेंगे।
व्यर्थ नहीं बहने देंगे एक भी बूंद
रमन कुमार ने आरके ढाबा खोलने के बाद अब शहर में इस व्यवसाय को विस्तार दिया और अब चेन चला रहे हैं। सात साल पहले उन्होंने वरुण मित्रा नामक संस्था का गठन किया। जल संरक्षण के लिए अब तक 400 वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगवा चुके हैैं।
जालंधरः वरुण मित्रा नामक संस्था के जरिये रमन कुमार 400 से ज्यादा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवा चुके हैं।
लक्ष्य: जल को संरक्षित करना है। इसे जन आंदोलन के रूप में विकसित करके ज्यादा से ज्यादा लोगों को संस्था के साथ जोडऩा लक्ष्य है। रोजाना नए लोगों से मिलने के लिए दो घंटे का समय निकाल रहे हैैं।
संकल्प: पंजाब में पानी की स्थिति को 50 साल पहले वाली स्थिति में वापस लाना है। पहले 20 फुट पर भूजल मिल जाता था। अब 200 फुट पर भी नहीं मिलता है। जल स्तर को ऊपर उठाना है।
एजेंडा: टीम बनाकर इस दिशा में सार्थक प्रयास करना है। साथी गुरमीत सिंह खालसा के अलावा अरविंद व अरुण नरयाल को भी साथ लेकर जल संरक्षण के नए-नए प्रोजेक्ट व विधियों पर रिसर्च व काम करना है।
योजना: वाटर हार्वेस्टिंग का प्लांट लगाकर रेन वाटर को धरती में भेजने के साथ-साथ इस दायरे का विस्तार करना प्लानिंग का प्रमुख हिस्सा है। इस साल करीब बीस नए वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाए जाएंगे।
आरओ का वेस्ट पानी भी होगा इस्तेमाल
तरविंदर सिंह रिंकू 13-13 हट्टी के संस्थापक हैं। फाइनेंस का कारोबार करने वाले रिंकू पानी की बर्बादी रोकने के लिए आरओ के साथ लगने वाली पाइपें बांट रहे हैं। अब तक 13 हजार परिवारों तक पहुंच कर चुके हैं और लाखों लीटर पानी बचा चुके हैैं।
जालंधर के तरविंदर सिंह रिंकू पानी की बर्बादी रोकने के लिए आरओ के साथ लगने वाली पाइपें बांट रहे हैं।
लक्ष्य : आरओ से वेस्ट के रुप में निकलने वाले पानी को सीवरेज में डालने की बजाए बगीचे, वॉशिंग में प्रयोग करने के लिए लोगों को प्रेरित करना। इसके लिए वह अपने खर्च पर लोगों को पाइप उपलब्ध करवाएंगे ताकि पानी स्टोर किया जा सके।
संकल्प: शहर में 50 हजार घरों तक पहुंच करना। करीब इतने ही लोगों ने आरओ लगवाया है। आरओ में पानी साफ होने के दौरान 70 प्रतिशत पानी वेस्ट के रुप में बह जाता है। इसे ही बचाने का संकल्प है।
एजेंडा : शहर में पानी की सप्लाई टयूबवेलों से होती है। जमीन के नीचे पानी की स्तर लगातार गिर रहा है। अगर पानी की बर्बादी रुकेगी तो जमीन के पानी का इस्तेमाल कम होगा। इन हालातों के बीच भूजल बचाना।
योजना: पांच हजार नए लोगों तक पाइप पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। धार्मिक, सार्वजिनक स्थलों पर जल संरक्षण के स्टिकर लगाएंगे। स्टिकर पर आरओ की पाइप फ्री लेने के लिए फोन नंबर देकर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच बनाएंगे।
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