विरोध के बाद मंत्री बने राणा, फिर बदलेगी जालंधर की सियासत
कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत सिंह के मंत्री बनने के बाद जालंधर की सियासत भी बदलेगी। यही वजह थी कि कई दिग्गज कांग्रेसी नहीं चाहते थे राणा कैबिनिट में शामिल किए जाएं लेकिन विरोधियों की तमाम कोशिशों के बाद भी राणा को मंत्री बना दिया गया।
मनोज त्रिपाठी, जालंधर
कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत सिंह के मंत्री बनने के बाद जालंधर की सियासत भी बदलेगी। यही वजह थी कि कई दिग्गज कांग्रेसी नहीं चाहते थे राणा कैबिनिट में शामिल किए जाएं, लेकिन विरोधियों की तमाम कोशिशों के बाद भी राणा को मंत्री बना दिया गया। इसके बाद से ही जालंधर में तमाम कांग्रेसियों में परगट सिंह के मंत्री बनने की खुशी कम दिखाई दी, लेकिन राणा के मंत्री बनने की खुशी में कांग्रेस भवन में जमकर मिठाइयां भी बांटी गई और भंगड़ा भी डाला गया।
जालंधर की सियासत में 2004 में राणा गुरजीत सिंह ने लोकसभा चुनाव का टिकट लेकर एंट्री की थी। उससे पहले राणा को ज्यादा कांग्रेसी नहीं जानते थे। 2004 में कांग्रेस से कई उम्मीदवार जालंधर से कांग्रेस के लिए सुरक्षित मानी जाने वाली इस सीट से चुनाव लड़ने की रेस में थे, लेकिन राणा ने सभी को पीछे छोड़ हाईकमान की दखल से टिकट हासिल कर लिया। टिकट लेने के बाद राणा शताब्दी से जालंधर पहुंचे और उन्होंने शताब्दी से उतरने के बाद अपने समर्थकों द्वारा किए गए जोरदार स्वागत और उसके बाद रोड शो करके जालंधर में पहले ही दिन अपनी जीत पक्की कर ली थी। इसी से तत्कालीन कैबिनेट मंत्री अवतार हैनरी जैसे जालंधर के दिग्गज राणा की मुखाफलत करने लगे। उस समय जालंधर के कांग्रेस विधायकों ने अंदरखाते राणा को हराने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन राणा फिर भी चुनाव जीत गए थे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के बेटे नरेश गुजराल को हराया था।
इसके बाद जालंधर की सियासत में राणा का सिक्का चलने लगा। अधिकारियों के तबादलों से लेकर पोस्टिंग व सत्ता की आड़ में चलने वाले सभी कामों पर राणा की पकड़ बढ़ती गई। राणा ने अपने समर्थकों को जालंधर में मजबूत आधार देकर अपना विरोध करने वाले विधायकों के खिलाफ कांग्रेसियों की बी टीम तैयार कर ली। 2009 लोकसभा चुनाव में जालंधर की सीट आरक्षित होने के कारण राणा को जालंधर छोड़ना पड़ा। इसके बाद राणा द्वारा तैयार की गई बी टीम को जालंधर के दिग्गज कांग्रेसियों ने दबा दिया।
2017 विस चुनाव के बाद कैप्टन अमरिदर सिंह के मंत्रिमंडल में राणा को मंत्री बनाया गया था। उसके बाद जैसे ही राणा की टीम ने फिर जालंधर में अपने पैर पसारने शुरू किए तो उन पर घोटाले के आरोप लग गया और उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा और फिर उनकी टीम जालंधर में ठंडी होकर बैठक गई थी। अब अगले विधानसभा चुनाव से पहले राणा एक बार फिर पावर में आ गए हैं। नतीजतन उनकी टीम में उत्साह है और जालंधर में परगट सिंह के मंत्री बनने से ज्यादा खुशी राणा के मंत्री बनने की मनाई जा रही है।
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नार्थ से फिर ढल्ल ब्रदर्स होंगे एक्टिव
जालंधर नार्थ से कांग्रेस की टिकट मांग रहे रहे दिनेश ढल्ल के समर्थकों में राणा के मंत्री बनने के बाद खासा उत्साह है। ढल्ल नार्थ से हैनरी के बजाय खुद को टिकट दिए जाने की मांग तीन चुनावों से कर रहे हैं। बीते कुछ समय से ढल्ल ब्रदर्स कांग्रेसी गतिविधियों में काफी एक्टिव हैं।
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यूथ कांग्रेसी भी राणा के मंत्री बनने से उत्साहित
जालंधर यूथ कांग्रेस के प्रधान अंगद दत्ता अपनी टीम के साथ राणा के मंत्री बनने को लेकर खासे उत्साहित हैं। उनकी टीम ने रविवार कांग्रेस भवन में जमकर भंगड़ा डाला। अंगद दत्ता लंबे समय से राणा के संरक्षण में रहकर सियासी गुर सीख रहे हैं।
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