दशहरा के अगले दिन जलाए गए दशानन, 36 साल से चली आ रही परंपरा

नौजवान दशहरा क्लब ने 36 साल की परंपरा बरकरार रखते हुए विजयदशमी के अगले दिन रावण दहन किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 03:10 AM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 03:10 AM (IST)
दशहरा के अगले दिन जलाए गए दशानन, 36 साल से चली आ रही परंपरा
दशहरा के अगले दिन जलाए गए दशानन, 36 साल से चली आ रही परंपरा

जागरण संवाददाता, जालंधर : नौजवान दशहरा क्लब ने 36 साल की परंपरा बरकरार रखते हुए विजयदशमी के अगले दिन रावण दहन किया। इसके लिए शनिवार को भव्य आयोजन भी किया गया। दोपहर में पहले शोभायात्रा निकाली गई। उसके बाद शैलर वाली ग्राउंड तिलक नगर में आतिशबाजी के मुकाबले करवाए गए। सूर्यास्त होने के बाद रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले जलाए गए। संस्था की तरफ से 36 साल से यह परंपरा बरकरार है। पदाधिकारियों के मुताबिक दशहरा के दूसरे दिन यहां पर दशहरा मनाने पर सबसे अधिक संख्या में लोग जुटते है।उत्सव के दौरान विशेष रूप से शामिल हुए मोहिदर भगत, भाजपा नेता अमरजीत सिंह अमरी व जिला भाजपा अध्यक्ष सुशील शर्मा ने कहा कि बुराई पर अच्छाई के प्रतीक दशहरा उत्सव सच्चाई की राह पर चलने को प्रेरित भी करता है। इस मौके पर लक्की मक्कड़, अजय कुमार, प्रधान बलजिदर रिकू, रोहित कक्कड़, राकेश मितू, मनीष ठाकुर, रमनदीप सिंह, पंकज भगत, गुरविदंर सिंह, सुखदेव सिंह सहित सदस्य मौजूद थे। इसलिए एक दिन बाद मनाते है पर्व. बजट कम लगता है, संसाधन ज्यादा उपलब्ध रहते हैं

पार्षद वीरेश मिटू बताते है कि संस्था द्वारा 36 वर्षों से विधिवत दशहरा मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दशहरा वाले दिन कई तरह के सामान की कमी आ जाती है। दशहरा के अगले दिन उत्सव मनाने से तमाम तरह का सामान तो उपलब्ध रहता ही है, साथ ही कम बजट में बेहतर उत्सव मना लिया जाता है। प्रभु श्री राम द्वारा रावण का वध करने का उल्लास एक दिन बाद भी मनाया जा सकता है। इसी सोच के चलते हर साल एक दिन बाद ही पर्व मनाया जाता है।

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