जालंधर में बेरोजगार अध्यापकों का 31वें दिन शांतमय प्रदर्शन, अब बड़े संघर्ष की कर रहे प्लानिंग
जालंधर में बीएड टेट पास बेरोजगार अध्यापक यूनियन पंजाब का प्रदर्शन जिले में 31वें दिन तक पहुंच गया है। पांच बार शिक्षा मंत्री की तरफ से मिले आश्वासनों की वजह से वे अभी शांत हैं मगर वे मांगें पूर्ण जल्द न होने पर बड़े संघर्ष की तैयारियां कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जालंधर। जालंधर में बीएड टेट पास बेरोजगार अध्यापक यूनियन पंजाब का प्रदर्शन जिले में 31वें दिन तक पहुंच गया है। जो शांत होकर बस स्टैंड पानी की टंकी के नीचे प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि मनीष फाजिल्का और जसवंत घुबाया पानी की टंकी के ऊपर बैठ कर रोष व्यक्त कर रहे हैं। पांच बार शिक्षा मंत्री की तरफ से मिले आश्वासनों की वजह से वे अभी शांत हैं, मगर साथ ही साथ वे मांगें पूर्ण जल्द न होने पर नए और बड़े संघर्ष की तैयारियां कर रहे हैं। क्योंकि अभी तक के अपने संघर्ष में सरकार, शिक्षा मंत्री, जिला प्रशासन और पुलिस को अपना कड़ा रुख दिखा ही चुके हैं।
वे अपनी चेतावनी को बरकरार रखे हुए हैं कि सरकार व शिक्षा मंत्री उनकी मांगों की पूर्ति के लिए खुद मांगें समय की मोहल्लत देने को तैयार हैं, मगर उसके बाद होने वाले संघर्ष की जिम्मेदारी व किसी प्रकार की अनहोनी की जिम्मेदारी खुद उनकी ही होगी। क्योंकि वे अपने हक को पाने के लिए पीछे नहीं हटेंगे। वे कई बार इस संबंध में सभी को चेता चुके हैं, मगर उनकी मांगों को लगातार नजर अंदाज ही किया जा रहा है।
यह हैं उनकी मांगें नई आने वाली भर्ती में सामाजिक शिक्षा, पंजाबी और हिंदी की नौ हजार पोस्टों का नोटिफिकेशन जल्द जारी किया जाए। पंजाब की नौकरियों और पंजाब के नौजवानों को पहल दी जाए, इसके लिए बाहरी राज्यों के आवेदकों के लिए दसवीं व 12वीं में पंजाबी भाषा में पास होना लाज्मी किया जाए। सरकारी स्कूलों में सामाजिक शिक्षा की पोस्ट पर अंग्रेजी के अध्यापकों की नियुक्तियां की जाए, प्रत्येक विषय के अध्यापकों के लिए अलग-अलग पोस्ट दी जाए। बीए में सामाजिक शिक्षा का विषय कंबीनेशन एनसीटीई के निर्देशानुसार ही रखा जाए। उम्र की हद 37 सालों से 42 साल तक की जाए, क्योंकि लंबे समय से पोस्टें ना आने के कारण अधिक संख्या में अध्यापक अपनी उम्र की हद क्रास कर चुके हैं। मास्टर कैडर की आने वाली भर्ती और प्रमोशन करने के दौरान किसी भी उम्मीदवार को पीएसटीईटी-2 से छूट ना दी जाए। बीए में 55 फीसद की शर्त पूरी तरह से खत्म की जाए। मिडिल स्कूलों के पद सीनियर सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को देने के बजाए अलग से मिडिल स्कूलों को दी जाएं।