अपनी जिम्मेदारियों को समझें, राष्ट्र सेवा में दें योगदान

दैनिक जागरण के संस्कारशाला कार्यक्रम में विद्यार्थियों को राष्ट्र सेवा में योगदान के बारे में बताया गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 08:00 AM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 08:00 AM (IST)
अपनी जिम्मेदारियों को समझें, राष्ट्र सेवा में दें योगदान
अपनी जिम्मेदारियों को समझें, राष्ट्र सेवा में दें योगदान

जासं, जालंधर

संस्कारशाला वो है जहां से हम संस्कारों को अर्जित करते हैं। सबसे पहली संस्कारशाला हमारा घर और उसके बाद हमारा स्कूल है। पहली गुरु मां और दूसरे गुरु शिक्षक होते हैं। वही हमारे भीतर संस्कारों के बीज अंकुरित करते हैं और आगे जाकर संस्कार ही हमारी पहचान बनते हैं। इस तरह से सरकारी माडल सह शिक्षा सीनियर सेकेंडरी स्कूल लाडोवाली रोड की प्रिसिपल मनिदर कौर ने विद्यार्थियों को संस्कारों और राष्ट्र सेवा की महत्ता बताई। उन्होंने दैनिक जागरण की तरफ से आयोजित संस्कारशाला कार्यक्रम के तहत राष्ट्र सेवा में योगदान के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक किया।

प्रिसिपल मनिदर कौर कहती हैं कि अपने देश और देश की सेवा के लिए समर्पित होना ही सच्ची राष्ट्र सेवा है। देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक का फर्ज है कि वह देश की सेवा करे, देश का सम्मान करे और देश की आन-बान और शान के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर कर दे। आज के युवा ही देश का भविष्य है, इसलिए सभी को अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। राष्ट्र की तरक्की के लिए आवश्यक है कि वो जिस भी स्थिति या परिस्थिति में क्यों न हों, सकारात्मक सोच के साथ अपना योगदान दें। हम अपने राष्ट्र का सम्मान करेंगे, तभी दूसरे भी हमारा सम्मान करेंगे। ध्यान रखें कि परिस्थितियां हर समय एक समान नहीं रहती हैं, इसलिए निराश होने के बजाय सकारात्मक सोच को साथ लेकर आगे बढ़ते रहें। भारत को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था, मगर अंग्रेजों ने यहां आकर पहले हमारे संस्कारों को नष्ट करने की सोची, हम पर पाश्चात्य सभ्यता को लागू करना चाहा। वो आए तो भले ईस्ट इंडिया कंपनी की आड़ में व्यापार करने के लिए, मगर खुशहाल राष्ट्र और संस्कारों से परिपूर्ण देश देखा नहीं गया। उन्होंने भारत पर गलत नजर डाली और अपनी कूटनीतियों की वजह से हम पर हावी होते गए। कारण, कुछ राष्ट्रविरोधी लोग स्वार्थ की भावना लेकर अंग्रेजों से मिल गए थे। यही अंग्रेज चाहते थे, जिन्होंने पहले संस्कारों को तोड़ने की साजिश करते हुए अपनों कोअपनों से लड़ाना शुरू किया। इससे हर कोई एक दूसरे का विरोध करने लग पड़ा और उसी का फायदा अंग्रेज उठाते गए। लालची लोगों के कारण हमारा राष्ट्र गुलामी की जंजीरों में जकड़ता गया। हालात इतने खराब हो गए थे कि अंग्रेजी हुकूमत के मकड़जाल में पूरी तरह से फंसते चले गए। तब राष्ट्रभक्तों ने अपने राष्ट्र को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने की सोची। फिर से देशवासियों को इकट्ठा कर उनमें संस्कारों और राष्ट्रभावना को पैदा किया, जो अंग्रेजों को गंवारा नहीं था। बावजूद राष्ट्रभक्त अपनी जान की परवाह किए बिना ही आगे बढ़ते गए और हम सभी की झोली में आजाद राष्ट्र सौंपा। आज उसी राष्ट्र को संवारने की बारी युवाओं के हाथों में है। यह तभी संभव हो पाएगा, जब हम संस्कारों और अपनी संस्कृति से पूरी तरह से जुड़े रहेंगे। अपने भीतर राष्ट्र प्रेम की भावना को जगाए रखेंगे। अपने राष्ट्र का सम्मान करते हुए खुद को उसकी सेवा के लिए समर्पित कर देंगे। वीर जवानों व स्वतंत्रता सेनानियों की भावनाओं का सत्कार करते हुए राष्ट्र का सम्मान कर देश की भलाई में अपना बहुमूल्य योगदान देंगे।

उज्जवल राष्ट्र का भविष्य है युवा, उनमें छोटी उम्र में दें संस्कारों का ज्ञान

देश के प्रत्येक नागरिक का राष्ट्रभक्त होना जरूरी है। फिर चाहे वो बच्चा हो या बड़ा-बूढ़ा। महिला हो या पुरुष। राष्ट्र का सम्मान सर्वोपरि है। राष्ट्र के सम्मान के लिए अपना सबकुछ अर्पित करने की भावना सभी को अपने भीतर जगानी होगी। ये बातें सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल लाडोवाली रोड की प्रिसिपल सुनीता सहोता रंधावा ने दैनिक जागरण के संस्कारशाला प्रोग्राम में राष्ट्र सेवा में योगदान विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहीं। वह कहती हैं कि विद्यार्थियों में संस्कारों का ज्ञान होना बेहद जरूरी है। राष्ट्र के सम्मान के लिए ही हजारों-लाखो वीर जवानों और स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत के साथ लोहा लिया और देश को आजाद करवाया। युवाओं को ज्ञात होना चाहिए कि किस तरह की परिस्थितियां पैदा हुई और किन हालात के बीच वीर जवान, राष्ट्र प्रेमी असहनीय यातनाएं झेलते रहे, कैसे महासंग्राम के बाद आजादी मिली। यह सभी की नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपने राष्ट्र की सीमाओं की सुरक्षा के लिए मर मिटने को तैयार रहें। राष्ट्र निर्माण में अपनी योग्यता सिद्ध करें। यह तभी संभव हो सकता है जब हमारी सोच सकारात्मक होगी। हमें शिक्षा का प्रचार-प्रसार, श्रम शक्ति का बेहतर उपयोग और वैज्ञानिक सोच के साथ अग्रसर होना चाहिए। तभी हम राष्ट सेवा में योगदान दे सकेंगे।

युवा शक्ति को सही दिशा देने के लिए शिक्षकों व बुद्धिजीवियों को प्रेरित करना चाहिए। देश की सीमाओं पर अपने सपूतों को दृढ़ निश्चय के साथ भेजने वालों का भी हमें आदर करना चाहिए। जो दिन-रात, चारों पहर देश की सीमाओं पर तैनात रहते हैं, उनकी बदौलत ही हम आराम की नींद ले पाते हैं। हमारे सामने यदि कोई राष्ट्र को अपमानित करने का प्रयास करता है, धर्म-जाति, भाषा आदि के आधार बांटने का प्रयास करता है तो उसे उसका जवाब देने के लिए भी तैयार रहना होगा। युवाओं को शिक्षा के जरिये अपनी योग्यता को साबित करना होगा। देश के खिलाफ साजिशें रचने वालों को जवाब भी देना होगा, ताकि कोई भी गलत व्यक्ति देश के खिलाफ कोई घिनौनी हरकत करने की भी चेष्टा न कर पाए। देश के वीर जवान सरहदों पर मुस्तैद हैं तो हमें देश के भीतर रहते हुए मुस्तैद होना पड़ेगा, ताकि अपराधियों को को कोई मौका न मिल सके। उनकी हरकतों पर नजर रखनी होगी। किसी प्रकार का संदेह होने की सूरत में सुरक्षा एजेंसियों, पुलिस बल आदि को इसकी सूचना तुरंत देनी होगी, ताकि उक्त लोगों के नापाक इरादे कभी की कामयाब न हो सके।

शिक्षकों का भी फर्ज बनता है कि वे नई पीढ़ी को अपने राष्ट्र भक्तों की जीवन शैली और उनके योगदान की जानकारी गंभीरता से दें, क्योंकि आज का यूथ ही कल के उज्जवल भविष्य की कल्पना का साकार कर सकता है। इसके लिए निरंतर प्रयासरत रहना होगा। विभिन्न तरह की गतिविधियों के जरिये विद्यार्थियों में स्कूल में ही राष्ट्र प्रेम की भावना जगाने का प्रयास करना होगा। मकसद विद्यार्थियों में छोटी सी उम्र में ही राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना जाग सके और साथ ही वीर जवानों की शहादत को जिदा रखा जा सके।

chat bot
आपका साथी