देश में 12 फीसद महिलाएं वैज्ञानिक फिर भी सपोर्ट की कमी

हंसराज महिला महाविद्यालय में शुरू हुई दो दिवसीय इंडियन कांफ्रेंस ऑन बायो-इंफोरमेटिक विषय पर अंतर राष्ट्रीय कांफ्रेंस का शुभारंभ मुख्य अतिथि डिवीजनल कमिश्नर बी पुरुषार्थ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलूर से एन श्रीवासन डीएवी मैने¨जग कमेटी के कालेजिज डायरेक्टर डॉ. सतीश शर्मा ¨प्रसिपल डॉ. अजय सरीन ने ज्योति प्रज्ज्वलित करके किया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Feb 2019 08:35 PM (IST) Updated:Fri, 22 Feb 2019 10:13 PM (IST)
देश में 12 फीसद महिलाएं वैज्ञानिक फिर भी सपोर्ट की कमी
देश में 12 फीसद महिलाएं वैज्ञानिक फिर भी सपोर्ट की कमी

जागरण संवाददाता, जालंधर : हंसराज महिला महाविद्यालय में शुरू हुई दो दिवसीय इंडियन कांफ्रेंस ऑन बायो-इंफोरमेटिक विषय पर अंतर राष्ट्रीय कांफ्रेंस का शुभारंभ मुख्य अतिथि डिवीजनल कमिश्नर बी पुरुषार्थ, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलूर से एन श्रीवासन, डीएवी मैने¨जग कमेटी के कालेजिज डायरेक्टर डॉ. सतीश शर्मा, ¨प्रसिपल डॉ. अजय सरीन ने ज्योति प्रज्ज्वलित करके किया।

मुख्य अतिथि डिवीजनल कमिश्नर बी पुरुषार्थ ने कहा कि युवा वर्ग के मनों की रुचि में कुछ भी असंभव नहीं है। विज्ञान एवं तकनीक सदैव सकारात्मकता प्रदान करते हैं। इस दौरान छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम पेश करते हुए आए हुए मेहमानों का दिल जीत लिया। ¨प्रसिपल डॉ. अजय सरीन ने बताया कि अंतर राष्ट्रीय कांफ्रेंस करवाने से विद्यार्थियों को देश में हो रही रिसर्च के बारे में पता चलता है। इस अवसर पर साक्षी, भारती पांडेय, गुरप्रीत कौर, कुमार ¨सह चौधरी को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर बायोइंफोरमेटिक विभागाध्यक्ष हरप्रीत सिहं, डॉ. नीलम शर्मा, दीपशिखा, डॉ. सीमना मरवाहा, डॉ. एकता खोसरा, आशा गुप्ता, डॉ. नीतिका कपूर, डॉ. श्वेता चौहान, सुमित शर्मा, सुशील कुमार, रमनदीप कौर, डॉ. साक्षी, डॉ. सिम्मी गर्ग, हरप्रीत व अन्य सदस्य उपस्थित थे। फोटो : 36जेपीजी

महिलाओं की रिसर्च की भागीदारी अधिक

प्रो. सुधामनी, एनसीबीए, बेंगलूर ने वूमेन बायोलॉजी विषय पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में देखा जाए तो देश में 12 प्रतिशत महिलाएं साइंटिस्ट हैं। रिसर्च में अधिक भागीदारी है लेकिन पारिवारिक जिम्मेवारियों के चलते रिसर्च को आगे नहीं बढ़ा सकतीं। महिलाओं में आत्मविश्वास की कमी होती है। जिसका कारण पारिवारिक सदस्यों की सपोर्ट न होना है। महिलाएं रिसर्च को आगे बढ़ा सकती है। किसी भी कारपोरेट संस्थान, शिक्षण संस्थान व अन्य संस्थानों में पुरुष व महिला के बीच भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। हर इंस्टीट्यूट में एक क्रच खोला जाना चाहिए ताकि महिलाएं अपने बच्चे की देखभाल भी कर सकें और अपनी रिसर्च को आगे बढ़ा सकें। महिलाएं पारिवारिक जिम्मेवारी अधिक होने की वजह से अपने आफिस कार्य में ध्यान नहीं दे पाती। उनका ध्यान पारिवारिक जिम्मेवारी में लगा रहता है। देश में साइंटिस्ट महिलाओं की गिनती तभी बढ़ेगी, अगर उसे पारिवारिक सदस्यों व सोसायटी की सपोर्ट मिलेगी। फोटो:35जेपीजी

जीनोम से पता लगाया जा सकता है रोगों का

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलूर से एस श्रीनिवासन ने प्रोटीन के मूल्यांकन में इसकी संरचना, कार्यप्रणाली एवं परस्पर क्रिया संबंधी जानकारी दी। लोगों को मलेरिया, कैंसर व अन्य बीमारियां क्यों हो रही है। यह हम सब जीन्स को पढ़कर समझ पाए हैं लेकिन हमें इतना भी पता है कि हमारे दो प्रतिशत जीन्स ही प्रोटीन उत्पाद के काम आते है बाकि 98 प्रतिशत की भूमिका को अच्छी तरह समझना होगा। हमें जीन्स खुद बनाकर देखने होंगे। इससे हमे पता चलेगा कि जीन्स और जीनोम किस चरण चलते हैं। किस तरह नियंत्रित होते हैं। कैसे कोई रोग शुरू होता है। वैज्ञानिक इस पर काम कर रहा है।

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