जालंधर कांग्रेस की प्रधानगी के लिए इस बार देहरादून की दौड़

करीब 11 महीने से खाली चल रहे जिला कांग्रेस कमेटी के प्रधान पद के लिए अब लामबंदी तेज हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 03:00 AM (IST)
जालंधर कांग्रेस की प्रधानगी के लिए इस बार देहरादून की दौड़
जालंधर कांग्रेस की प्रधानगी के लिए इस बार देहरादून की दौड़

जागरण संवाददाता, जालंधर

करीब 11 महीने से खाली चल रहे जिला कांग्रेस कमेटी के प्रधान पद के लिए अब लामबंदी तेज हो गई है। पंजाब कांग्रेस के नए इंचार्ज हरीश रावत के आने के बाद अब कई जमीनी नेता भी इस दौड़ में शामिल हो गए हैं। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि हरीश रावत इस बार ऐसा प्रधान देंगे जो कार्यकर्ताओं की कसौटी पर खरा उतरे और जमीन से जुड़ा हो। हालांकि इसके लिए भी सिफारिशों का दौर जारी है।

प्रधानगी के लिए हिदू, शहरी सिख, एससी और बीसी वर्ग से चाहवानों के अपने-अपने दावे हैं। हर बार प्रधानगी के लिए दावेदारों की दौड़ दिल्ली तक होती है, लेकिन इस बार यह दौड़ दून घाटी की तरफ है। हरीश रावत उत्तराखंड से हैं और देहरादून में रहते हैं। उनसे मिलने के लिए दावेदारों की गाड़ियां अब देहरादून के रूट पर घूम रही हैं। पंजाब का प्रभारी होने के बाद से अब तक कई नेता हरीश रावत से देहरादून में मिलकर आए हैं। हालांकि रावत को प्रभावित करना इतना आसान नहीं है, क्योंकि वह खुद जमीन से जुड़े नेता हैं और सिफारिशों का भी उन पर ज्यादा असर होता नजर नहीं आ रहा है। 10 दिन में घोषित हो सकता है प्रधान का नाम

अगले 10 दिनों में जिला प्रधानों की घोषणा हो सकती है। हरीश रावत ने लगभग सभी जिलों के लिए रिपोर्ट ली है और जो भी दावेदार हैं उनकी भी रिपोर्ट मंगवा ली है। उनका खुद का भी फोकस इस बार दोआबा पर है। कांग्रेस की सरकार बनने में हमेशा ही दोआबा का बड़ा योगदान रहा है। रावत इस बात को जान चुके हैं, इसलिए प्रधानगी तय करते समय वह इसे जरूर ध्यान में रखेंगे। उन्होंने शेड्यूल कास्ट वोट पर भी फोकस किया हुआ है। दोआबा आबादी प्रतिशत के लिहाज से पूरे देश में नंबर एक पर है और यहां पर करीब 38 फीसद शेड्यूल कास्ट के वोटर हैं। इन्हें अपने पाले में लाने के लिए सभी पार्टियां जोर आजमाइश करती रही हैं। कैप्टन के सुझाव पर हटाए गए थे सभी प्रधान

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह के सुझाव के बाद जनवरी 2020 में ही सभी जिलों के प्रधान हटा दिए गए थे। पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ को छोड़ कर सभी पदाधिकारियों की नियुक्ति भी रद कर दी गई थी। तब से पंजाब में कांग्रेस की कोई टीम नहीं है। पंजाब में कई ऐसे प्रधान लगा दिए गए थे जो प्रधान बनने की क्षमता नहीं रखते थे। इसे लेकर रिपोर्ट काफी खराब आ रही थी और कई जगह विवाद हो चुके थे। इसी कारण से सीएम ने हाईकमान को सभी जिलों की टीमें भंग करने का सुझाव दिया था।

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