ये हैं पंजाब कांग्रेस के चार कार्यकारी प्रधान, हाईकमान ने वफादारी भी देखी और जातीय समीकरण भी

पंजाब में कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जबकि कुलजीत सिंह नागरा सुखविंदर सिंह डैनी संगत सिंह गिलजियां व पवन गोयल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। इससे पार्टी ने जातीय समीकरण भी साधे ।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 19 Jul 2021 10:48 AM (IST) Updated:Mon, 19 Jul 2021 03:17 PM (IST)
ये हैं पंजाब कांग्रेस के चार कार्यकारी प्रधान, हाईकमान ने वफादारी भी देखी और जातीय समीकरण भी
पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत सिंह नागरा, सुखविंदर सिंह डैनी, संगत सिंह गिलजियां व पवन गोयल की फाइल फोटो।

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। पंजाब प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाने में भले ही हाईकमान ने पृष्ठभूमि को नजरंदाज किया हो, लेकिन कार्यकारी अध्यक्ष बनाने में पार्टी ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है। फतेहगढ़ साहिब से कांग्रेस विधायक कुलजीत सिंह नागरा को छोड़ दिया जाए तो कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए शेष तीनों कांग्रेस नेता ऐसे हैं जिनका परिवार कांग्रेस के साथ जुड़ा रहा है।

कुलजीत नागरा को कांग्रेस हाईकमान का करीबी व हमेशा ही पार्टी की नीतियों के साथ खड़े होने का इनाम मिला है, जबकि सुखविंदर सिंह डैनी को राहुल गांधी की ब्रिगेड में होने का लाभ मिला है। कांग्रेस हाईकमान ने सांसदों के विरोध के बीच रविवार देर शाम को ही प्रदेश प्रधान और कार्यकारी अध्यक्षों की लिस्ट जारी कर दी। हालांकि सिद्धू का अध्यक्ष बनना तो तय था, लेकिन कार्यकारी अध्यक्षों के नामों को लेकर सभी अचंभित हो गए, क्योंकि डैनी व नागरा को छोड़ दें तो बाकी दो नाम चर्चा में नहीं थे।

कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति में वफादारी को सबसे अहम माना जा रहा है और जातीय समीकरण बैठाने की कोशिश भी की गई है। युवा व अनुभव का भी सुमेल रखने की कोशिश की गई। माझा से दलित, दोआबा से पिछड़ा वर्ग, मालवा से हिंदू सवर्ण वर्ग और सिख चेहरे को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। माझा के तहत आने वाले जंडियाला से पहली बार विधायक बने सुखमिंदर सिंह डैनी को दलित वर्ग से कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया।

डैनी के पिता सरदूल सिंह कैप्टन अमरिंदर सिंह की इससे पहले बनी सरकार में एक्साइज मंत्री रहे हैं। डैनी अपने परिवार की दूसरी पीढ़ी में से हैं जो कांग्रेस से जुड़ी हुई है। इसी प्रकार दोआबा में संगत सिंह गिलजियां विधानसभा क्षेत्र उड़मुड़ के विधायक हैं और कैबिनेट मंत्री बनने की लाइन में थे। उनका परिवार भी कांग्रेस से जुड़ा रहा है। फरीदकोट से पवन गोयल कांग्रेस में परिवार की दूसरी पीढ़ी के नेता हैं। वह मालवा के उस क्षेत्र से हैं जो हिंदू बेल्ट है।

गोयल के पिता भगवान दास गोयल फूड एंड सप्लाई मंत्री रहे हैं। आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी।कुलजीत नागरा को उनकी वफादारी व हाईकमान के नजदीक होने का लाभ मिला है। नागरा एकमात्र ऐसे नेता हैं जिनके परिवार का कोई राजनीतिक आधार नहीं है। पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले नागरा कांग्रेस से जुड़े। फतेहगढ़ साहिब से दूसरी बार विधायक चुने गए। नागरा दिल्ली में कांग्रेस के प्रभारी भी रह चुके हैं। पार्टी ने उन्हें सिक्किम, नागालैंड और त्रिपुरा का प्रभारी भी बनाया था।

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