राइट टू सर्विस सिफारिश एक्ट... जालंधर में निगम के कार्यालय में काम करवाना है तो या सिफारिश लेकर आए, या एजेंट के पास जाए या फिर रिश्वत दें

नगर निगम जालंधर में राइट टू सर्विस एक्ट इन दिनों राइट टू सिफारिश एक्ट बनकर रह गया है। सर्विस एक्ट के मुताबिक जिस काम के लिए जितना समय तय किया गया है वह काम उस तय समय में नहीं हो पा रहा।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 10:26 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 10:26 AM (IST)
राइट टू सर्विस सिफारिश एक्ट... जालंधर में निगम के कार्यालय में काम करवाना है तो या सिफारिश लेकर आए, या एजेंट के पास जाए या फिर रिश्वत दें
नगर निगम जालंधर में राइट टू सर्विस एक्ट इन दिनों राइट टू सिफारिश एक्ट बनकर रह गया है।

जगजीत सिंह सुशांत, जालंधर। नगर निगम जालंधर में राइट टू सर्विस एक्ट इन दिनों राइट टू सिफारिश एक्ट बनकर रह गया है। सर्विस एक्ट के मुताबिक जिस काम के लिए जितना समय तय किया गया है वह काम उस तय समय में नहीं हो पा रहा। निगम में काम तीन सूरतों में ही हो रहा है। या तो आप किसी पार्षद, नेता या किसी अफसर की सिफारिश लेकर आएं या फिर वहां घूम रहे एजेंटों के पास जाएं और उनको पैसा देकर काम करवाएं या फिर खुद रिश्वत देकर काम करवा लें। अगर आप इन तीनों तरीकों को नहीं अपनाते तो तय समय में आपका काम होने की संभावना कम है। काम महीनों लटका रहेगा और निगम के मुलाजिम कभी स्टाफ की कमी, कभी सर्वर नहीं चलने तो कभी कोई और कमी बताकर आपकी फाइल को रोके रखेंगे।

स्टाफ के राइट टू सर्विस एक्ट को लेकर इसी उदासीन रवैये के कारण लोग निगम कार्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। भ्रष्टाचार बढ़ने का एक बड़ा कारण यह भी है, खासकर बिल्डिंग ब्रांच के काम में अनावश्यक देरी होती है। अन्य विभागों में भी स्टाफ की कमी, लापरवाही से होने वाली देरी भ्रष्टाचार को जन्म देती है। सभी ब्रांचों में एजेंट सक्रिय हैं। इन एजेंटों के जरिए काम करवाना लोगों के लिए ज्यादा आसान रहता है। सभी कार्यों के लिए अधिकारियों की जिम्मेवार तय है लेकिन मुलाजिम कोई ना काई ऑब्जेक्शन लगाकर काम को रोके रखते हैं। इस वजह से आवेदक के लिए दूसरे रास्ते अपनाना मजबूरी बन जाता है।

सिर्फ नाम का बनकर रह गया है एक्ट

राइट टू सर्विस एक्ट इसलिए बनाया गया था कि लोगों का काम तय समय में हो सके। इसके लिए जिम्मेवारियां भी तय की गई लेकिन असर कुछ खास नजर नहीं आता। मुलाजिमों ने काम में देरी के लिए भी नए रास्ते बना लिए। पंजाब गवर्नेंस रिफोर्म कमिशन की सिफारिश पर राइट टू सर्विस एक्ट 20 अक्टूबर 2011 को लागू किया गया था। इसके बाद कई सर्विस आनलाइन की गई ताकि काम आसान हो लेकिन कमिशन की सिफारिशों का उद्देश्य फिलहाल पूरा नहीं हो रहा।

सबसे ज्यादा परेशान करता है बिल्डिंग ब्रांच

नगर निगम का बिल्डिंग ब्रांच काम में देरी को लेकर चर्चा में रहता है। करप्शन का मुद्दा भी यहां खूब छाया रहता है। ब्रांच में मुलाजिमों की कमी है। एटीपी, बिल्डिंग इंस्पेक्टर, ड्राफ्टसमैन की गिनती जरूरत से से कम है। एक ही अफसर पर काम का बोझ ज्यादा है। ब्रांच में नक्शा पास करने से लेकर कंपलीशन तक के सभी काम के लिए सरकारी फीस भी तय है और काम जल्दी करवाने के रेट भी तय हैं। नक्शा पास करवाने के लिए जितना समय दिया है उसमें काम नहीं होता। आनलाइन प्रक्रिया भी नई है और समय ज्यादा लगता है। आनलाइन के लिए सभी मुलाजिम प्रशिक्षित नहीं हैं।

बर्थ एंड डेथ सर्टिफिकेट भी समय पर नहीं मिलते

नए, पुराने डेथ और बर्थ सर्टिफिकेट के लिए समय तय किया गया है। यह काम हेल्थ डिपार्टमेंट के अधीन है और शहरी क्षेत्र में नगर निगम लोकल रजिस्ट्रार नियुक्त करके काम करता है। नए बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन के बाद 2 दिन और पुराने सर्टीफिकेट के लिए 5 दिन का समय तय है। इसी तरह सर्टिफिकेट में बदलाव, 30 दिन के बाद एंट्री पर एक साल और इसके बाद एंट्री पर एक साल बाद प्रमाणपत्र जारी करने का समय है। नए मामलों में स्टाफ की कमी के कारण देरी होती है तो पुराने मामलों में करप्शन के कारण काम लटकता है।

लोग इसलिए नहीं करते शिकायत

काम समय पर नहीं होता और ज्यादातर मामलों में लोग शिकायत से बचते हैं क्योंकि अफसरों के खिलाफ शिकायत से काम बनने के बजाय बिगडऩे का भी खतरा रहता है।

ये अधिकारी हैं जिम्मेवार

-डिपार्टमेंट का हेड, तय समय पर काम करवाकर देना उसी की जिम्मेवारी है, सभी 15 विभागों के अलग-अलग हेड हैं।

- निगम कमिश्नर, निगम के सभी विभाग उनके अधीन ही आते हैं। काम तय समय पर नहीं होने पर पहली अपील उन्हीं को की जाती है।

इतने दिन में हो जाना चाहिए काम, नहीं होता तो यहां करें अपील

सर्विस                                  अवधि

बिल्डिंग प्लान रिहायशी                   30 दिन

बिल्डिंग प्लान कमर्शियल व अन्य         60 दिन

कंपलीशन सर्टिफिकेट                     30 दिन

वाटर-सीवर कनेक्शन सेंक्शन             07 दिन

कनवयेंस डीड                           15 दिन

ट्रेड लाइसेंस                            12 दिन

सीवर-वाटर बिल नाम बदलना           07 दिन

वाटर-सीवर का कनेक्शन काटना        07 दिन

स्लाटर हाउस लाइसेंस                   30 दिन

इमारत में अतिरिक्त निर्माण              30 दिन

चेंज ऑफ लैंड यूज                     60 दिन

फायर सेफ्टी एनओसी                    30 दिन

प्रॉपर्टी टैक्स असेस्मेंट-कलेक्शन           01 घंटा

यहां करें शिकायत

काम न होने की सूरत में पहली बार डिप्टी कमिश्नर और दूसरी बार डिवीजनल कमिश्नर को शिकायत दी जा सकती है। जिन मामलों में विभागों के हेड की जिम्मेवारी है उन मामलों में पहली अपील निगम कमिश्नर और दूसरी अपील डिप्टी कमिश्नर से की जी सकती है।

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