अफगानिस्तान से आई इस सब्जी ने किसानों को रुलाया, दाम गिरने से लागत भी नहीं निकल रही

अफगानिस्तान का प्याज बाजार में आने से प्याज के दाम 8 से लेकर 10 रुपये प्रति किलो रह गए हैं। यह दाम अगले कई माह तक यथावत रहेंगे।

By Sat PaulEdited By: Publish:Sun, 02 Dec 2018 12:06 PM (IST) Updated:Sun, 02 Dec 2018 12:06 PM (IST)
अफगानिस्तान से आई इस सब्जी ने किसानों को रुलाया, दाम गिरने से लागत भी नहीं निकल रही
अफगानिस्तान से आई इस सब्जी ने किसानों को रुलाया, दाम गिरने से लागत भी नहीं निकल रही

[जालंधर, शाम सहगल] अफगानिस्तान से प्याज की भारी आमद ने प्याज उत्पादक किसानों के आंसू निकाल दिए हैं। आलम यह है कि उन्हें अपनी फसल पर होने वाले खर्च का पूरा भुगतान नहीं हो रहा है। जिसके चलते वह अगली बार प्याज की पैदावार करने से तौबा करने का मन बना रहे हैं। खास बात यह है कि थोक बाजार में दामों की गिरावट का लाभ रिटेलरों को नहीं मिल रहा है। कारण, रिटेलर पूल करके प्याज की बिक्री कर रहे हैं। यही नहीं, अफगानिस्तान के प्याज के बाद अलवर से भी प्याज की फसल आनी शुरू हो गई है। जिसके दामों में और गिरावट आ गई है।

दरअसल, देश में प्याज का स्टाक कम होने के चलते सितंबर-अक्टूबर में अफगानिस्तान से प्याज मंगवाया गया था। इसके साथ ही थोक में 16 रुपये प्रति किलो बिक रहे प्याज की कीमतें गिरकर 12 रुपये रह गई थीं। उधर, नवंबर में अलवर (राजस्थान) में प्याज की बंपर फसल के बाद से दामों में गिरावट के बाद दाम 10 रुपये प्रति किलो से भी नीचे चले गए हैं। मकसूदां स्थित थोक सब्जी मंडी के व्यापारियों के मुताबिक, इन दिनों गुणवत्ता के मुताबिक प्याज के दाम 8 से लेकर 10 रुपये प्रति किलो रह गए हैं। बताया जा रहा है कि यह दाम अगले कई माह तक यथावत रहेंगे।

गुजरात, इंदौर व नासिक में बंपर हुई फसल तो और गिरेंगे दाम

मकसूदां स्थित होलसेल सब्जी मंडी के कारोबारी कुलवंत राय बताते हैं कि दिसंबर के अंत तथा जनवरी माह में गुजरात, इंदौर तथा नासिक से प्याज की फसल पक कर तैयार हो जाएगी। अगर इन राज्यों में बेहतर फसल होती है, तो दामों में निश्चित रूप से गिरावट आएगी। उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर है कि जब प्याज का स्टाक न होने के चलते पूरे समय पर ही अफगानिस्तान से प्याज मंगवाया गया है। अगर ऐसा न किया जाता, तो प्याज के दाम आम वर्ग की पहुंच से बाहर होना तय था।

किसान संगठनों ने कहा जमाखोरी है कारण

दोआबा किसान संघर्ष कमेटी के उपप्रधान बताते हैं कि व्यापारियों द्वारा पूल तथा जमाखोरी के चलते किसानों को उनके खर्च के मुताबिक भुगतान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने भी प्याज के न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया है। जिसके चलते व्यापारी मनमाने दामों पर प्याज की अदायगी करते हैं। उन्होंने कहा कि प्याज का बड़ी मात्रा में भंडारण करने के चलते भी सस्ते दामों में प्याज खरीदा जा रहा है। जबकि, रिटेल में दाम नहीं गिरने दिए जा रहे हैं।

रिटेलरों के हाथ लुट रहे उपभोक्ता

भले ही थोक में प्याज के दामों में भारी गिरावट आ चुकी है, बावजूद इसके रिटेल में दाम यथावत हैं। थोक मंडी में प्याज के दाम 8 से लेकर 10 रुपये प्रति किलो हैं। वहीं, रिटेल में 16 से 18 रुपये प्रति किलो में बेचा जा रहा है। यहीं नहीं, शहर की पाश कॉलोनियों में तो इसे 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है।

थोक में कम हुए दाम, रिटेल में बिक रहे 18 रुपये किलो

चरणजीतपुरा निवासी गौरी महेंद्रू बताती हैं कि भले ही थोक मंडी में प्याज के दाम गिरे हों, लेकिन रिटेल में आज भी 18 से 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचे जा रहे हैं। जिसे लेकर प्रशासन ने कभी भी कोई योजना नहीं बनाई है। इसी तरह मोहल्ला जट्टपुरा निवासी सोनिया महेंद्रू बताती हैं कि प्रशासन को खाद्य पदार्थों के दाम निर्धारित करने चाहिए। जो कारोबार ऑन रिकॉर्ड होता है, उसके दाम तो निर्धारित किए ही जा सकते हैं।

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