जालंधर में सप्लाई हाेगा सतलुज का पानी, 525 करोड़ का टेंडर मंजूर; सबको देना पड़ेगा बिल

शहर के लिए सबसे बड़े सरफेस वाटर प्रोजेक्ट का टेंडर 525 करोड़ में हुआ है। लंबे समय से इस पर पेच फंसा हुअा था। इसके लिए दो दिन पहले फाइनेंशिल बिड ओपन की गई थी।

By Edited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 06:43 AM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 09:20 AM (IST)
जालंधर में सप्लाई हाेगा सतलुज का पानी, 525 करोड़ का टेंडर मंजूर; सबको देना पड़ेगा बिल
जालंधर में सप्लाई हाेगा सतलुज का पानी, 525 करोड़ का टेंडर मंजूर; सबको देना पड़ेगा बिल

जालंधर, जेएनएन। शहर के लिए अब तक के सबसे बड़े सरफेस वाटर प्रोजेक्ट का कांटा निकल गया। प्रोजेक्ट का टेंडर 525 करोड़ रुपये में फाइनल हुआ है। शहर में सतलुज दरिया का पानी सप्लाई करने के प्रोजेक्ट पर एलएंडटी कंपनी काम करेगी। दो दिन पहले फाइनेंशिल बिड ओपन की गई थी।

तकनीकी बिड में दो कंपनियां लार्सन एंड टर्बो और रामके कंपनी शामिल थी। प्रोजेक्ट पर अाठ प्रतिशत लैस देकर एलएंडटी कंपनी ने 525 करोड़ में टेंडर हासिल किया है। इसके साथ ही अब शहर के सभी लोगों को पानी का बिल देना पड़ेगा। स्टेट लेवल टेक्निकल कमेटी में टेंडर को मंजूरी देने के बाद कंपनी को वर्क ऑर्डर जारी किया जाएगा। प्रोजेक्ट को तीन साल में पूरा करके चलाना होगा।

प्रोजेक्ट लगने के बाद शहर में 24 घंटे पानी की सप्लाई होगी। इस प्रोजेक्ट के लिए कर्ज इसी शर्त पर मिल रहा है कि नगर निगम को वाटर मीटर पॉलिसी लागू करनी होगी। इस पॉलिसी के तहत हर घर पर मीटर लगेगा और सभी को खपत के अनुसार पानी का बिल देना होगा।

फिलहाल पांच मरले तक के मकानों को पानी का बिल माफ है। इससे करीब 60 हजार लोगों को छूट थी, लेकिन अब भविष्य में यह छूट नहीं मिलेगी। प्रोजेक्ट का उद्देश्य जमीन के पानी की खपत को कम करना है। भूजल स्तर लगातार कम हो रहा है। शहर से निकलने वाली डीएवी कॉलेज नहर (बिस्त दोआब नहर) के जरिए आदमपुर के गांव जगरावां तक पानी लाया जाएगा। गांव में 50 एकड़ जमीन एक्वायर की जा रही है। इसी जमीन पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, स्टोरेज टैंक व अन्य मशीनरी लगाई जानी है। 525 करोड़ के टेंडर में प्लांट, टैंक और प्लांट से शहर तक पानी पहुंचाने के लिए पाइप लाइन बिछाने का काम शामिल है। प्रोजेक्ट पर दिसंबर में ग्राउंड लेवल पर काम शुरू होने की संभावना है।कंपनी दो से तीन महीने में सर्वे करके मशीनरी शिफ्ट करेगी।

पहले 1400 करोड़ रुपये का था प्रोजेक्ट

पहले यह प्रोजेक्ट करीब 1400 करोड़ रुपये का था, लेकिन बाद में इसमें बदलाव किया गया कि शहर में वाटर सप्लाई डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क नहीं बदला जाएगा। इसके लिए मौजूदा पाइप लाइन ही इस्तेमाल होगी। इसके बाद प्रोजेक्ट की कॉस्ट जमीन समेत करीब 862 करोड़ रह गई है।

दरअसल, 337 करोड़ में जमीन एक्वायर की जाएगी। इसके साथ ही टंकियों का निर्माण, स्काडा सिस्टम की 10 साल की मेंटनेंस सहित अन्य खर्च इस पैसे में से होंगे। जगरावां में एक्वायर की जा रही जमीन के लिए किसानों को 22.50 लाख प्रति एकड़ का रेट दिया जाएगा। गांव जगरावां में 275 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगेगा। जगरावां में दो दिन पानी स्टोर करने की क्षमता वाला टैंक भी बनाया जाएगा।

पानी की बर्बादी रोकने में कामयाब होंगे : मेयर

मेयर जगदीश राजा ने कहा कि सरफेस वाटर प्रोजेक्ट शहर के लिए अहम साबित होगा। इससे जमीन के नीचे के पानी का दोहन रुकेगा। यह पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी था। इसी साल प्रोजेक्ट लगाने का काम शुरू हो जाएगा। बंद कर दिए जाएंगे 90 प्रतिशत टयूबवेल प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद शहर में चल रहे 550 ट्यूबवेल में से 90 फीसद बंद कर दिए जाएंगे और इससे जमीन के नीचे के पानी का इस्तेमाल बेहद ही सीमित हो जाएगा।

 जगरावां से टंकियों में पानी पहुंचाई जाएगी। अंडर ग्राउंड और ओवरहेड टैंक से पानी की सप्लाई की जाएगी।

स्काडा सिस्टम से रोकेंगे पानी की चोरी

सरफेस वाटर प्रोजेक्ट में स्काडा सिस्टम भी लगाया जाएगा। इस सिस्टम से यह पता लगाया जा सकेगा कि कहीं पानी की लीकेज या अन्य किसी तरह की रुकावट तो नहीं है। पानी की चोरी भी रोकी जा सकती है। इसकी ऑनलाइन सूचना अफसरों को मोबाइल पर मिलेगी।

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