Punjab Politics: भाजपा को तोड़ने में दूसरी बार नाकाम रहे सुखबीर बादल, जानें अंदर की बात

नगर निगम में भाजपा पार्षद दल के नेता मनजिंदर सिंह चट्ठा को अकाली दल में शामिल करवाने की अकाली दल की जिला इकाई की योजना पर पानी फिर गया। इसके बाद सुखबीर ने बाकी नेताओं की एंट्री भी नहीं होने दी।

By Edited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 06:50 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 07:32 PM (IST)
Punjab Politics: भाजपा को तोड़ने में दूसरी बार नाकाम रहे सुखबीर बादल, जानें अंदर की बात
शिरोमणि अकाली दल प्रधान सुखबीर सिंह बादल।

जगजीत सिंह सुशांत, जालंधर। शिरोमणि अकाली दल एक महीने में दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को तोड़ने में नाकाम साबित हुआ है। बीस दिन पहले भी जालंधर के एक भाजपा पार्षद और नेताओं को शामिल करने की योजना थी लेकिन अंतिम समय में बात सिरे नहीं चढ़ने पर शिअद प्रधान सुखबीर बादल का दौरा रद हो गया था। शनिवार को भी सुखबीर ने जालंधर में तूफानी दौरा था। दौरे के दौरान कैंट और सेंट्रल हलके के कई भाजपा नेताओं को पार्टी में शामिल करने की तैयारी कर ली थी लेकिन इससे पहले ही भाजपा नेता सक्रिय हो गए और सुखबीर सिंह बादल के पहुंचने से पहले ही अकाली दल के स्थानीय नेताओं की पूरी प्लानिंग छिन्न-भिन्न कर दी।

नगर निगम में भाजपा पार्षद दल के नेता मनजिंदर सिंह चट्ठा को अकाली दल में शामिल करवाने की अकाली दल की जिला इकाई की योजना पर पानी फिर गया। इसके बाद सुखबीर ने बाकी नेताओं की एंट्री भी नहीं होने दी। इसे लेकर सुखबीर बादल स्थानीय नेताओं से नाराज बताए जा रहे हैं। अकाली दल ने बीते एक महीने में जालंधर पर अपना फोकस बढ़ाया है। सांसद हरसिमरत कौर बादल ने भी चार दिन पहले सात घंटे में 15 कार्यक्रम किए थे। उन्होंने कैंट में ज्यादा फोकस किया था जबकि सुखबीर का दौरा सेंट्रल हलके के लिए था। इस हलके में मन¨जदर चट्ठा का खासा प्रभाव है। वह 20 साल से पार्षद बनते आ रहे हैं।

पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया के करीबी चट्ठा के एक भाई अकाली दल में है और उन्हीं के माध्यम से अकाली दल के स्थानीय नेता इस प्रयास में थे कि चट्ठा को अकाली दल में शामिल कर सेंट्रल में दावेदारी मजबूत की जाए। इसी उद्देश्य के साथ मनजिंदर सिंह चट्ठा के जेसी रिसोर्ट में ही सुखबीर बादल का कार्यक्रम रखा गया था। दो दिन पहले आप में शामिल होने की चर्चा पर पार्टी प्रवक्ता मो¨हदर भगत से भी लंबी बातचीत कर उनकी नाराजगी दूर की गई थी।

किसान आंदोलन जल्द निपटने की संभावना से भाजपा नेताओं में ऊर्जा का संचार

एक साल से प्रदेश की राजनीति में विरोध का सामना कर रही भाजपा के नेता निराश होकर दूसरी पार्टियों में जाने लगे थे। अब संभावना बन रही है कि दिवाली के आसपास किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार बड़ा फैसला ले सकती है। इसके साथ ही राज्य के भाजपा नेताओं में ऊर्जा लौटने लगी है। किसान आंदोलन अगर सकारात्मक ढंग से खत्म होता है तो भाजपा के लिए पंजाब में रास्ता काफी आसान हो जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी कह चुके हैं कि अगर भाजपा किसान आंदोलन का हल निकाल लेती है तो वह नई पार्टी गठित करके भाजपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं। इसी वजह से भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेता अब कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ न तो कोई बयानबाजी कर रहे हैं और न ही इंटरनेट मीडिया पर कोई मुहिम चला रहे हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि जो नेता भाजपा छोड़कर अकाली दल या अन्य पार्टियों में गए हैं वह भी वापस भाजपा में आ जाएंगे।

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