राजनीति के मझे हुए खिलाड़ी हैं सुच्चा सिंह छोटेपुर, रखते हैं माझा में सियासी समीकरण बदलने का माद्दा
2017 में आम आदमी पार्टी को छोड़कर सुच्चा सिंह छोटेपुर ने अपनी अलग अपना पंजाब पार्टी बनाई थी। उस समय छोटेपुर आप के प्रदेश अध्यक्ष थे। भले ही 2017 के विधानसभा चुनाव में सुच्चा सिंह छोटेपुर बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर भूचाल ला दिया था।
जागरण संवाददाता, गुरदासपुर। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी को छोड़कर पंजाब के सियासी समीकरण बदलने वाले पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह छोटेपुर चुनाव से पहले फिर बड़ा धमाका किया है। वीरवार सुबह वह चंडीगढ़ में अकाली दल बादल में शामिल हो गए। अकाली दल ने उन्हें बटाला से उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी को छोड़कर सुच्चा सिंह छोटेपुर ने अपनी अलग अपना पंजाब पार्टी बनाई थी। उस समय छोटेपुर आप के प्रदेश अध्यक्ष थे। भले ही 2017 के विधानसभा चुनाव में सुच्चा सिंह छोटेपुर और उनकी पार्टी कोई बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर पाई, लेकिन पंजाब की सियासत में छोटेपुर ने मानो भूचाल ला दिया था। आप के हक में चल रही हवा पूरी तरह से पलट गई और जीत के बहुत करीब आम आदमी पार्टी को माझा में बड़ी हार देखनी पड़ी। अब एक बार फिर से 2022 के चुनाव से पहले उनके अकाली दल का दामने से जिले की सियासत में बड़ी हलचल की संभावना है।
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सुच्चा सिंह छोटेपुर की राजनीतिक यात्रा सुच्चा सिंह छोटेपुर ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1975 में छोटेपुर गांव का सरपंच बनकर की थी। वह दो बार विधायक रहे हैं। 1985 में पहली बार गुरुदासपुर के धालीवाल विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी। इसके बाद यह सुरजीत सिंह की सरकार में स्वास्थ्य व पर्यटन मंत्री बने थे। हालांकि आपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में उन्होंने त्याग पत्र दे दिया था। 2002 के विधानसभा चुनाव में छोटेपुर दोबारा निर्दलीय के रूप में जीते। उन्होंने सुच्चा सिंह लंगाह को 80 वोटों से हराया था। 2009 में उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी और लोकसभा चुनाव में प्रताप सिंह बाजवा की गुरदासपुर से भाजपा के विनोद खन्ना को हराने में मदद की। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में छोटेपुर निर्दलीय खड़े हुए लेकिन चरणजीत कौर बाजवा पत्नी प्रताप सिंह बाजवा से हार गए। 2014 में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए और पंजाब संयोजक बने, अगस्त 2016 में टिकट के लिए पैसे लेने के आरोपों में पार्टी से निकाल दिया गया। 2017 में अपना पंजाब पार्टी बनाई व आम आदमी पार्टी को चुनाव में नुकसान पहुंचाया। आज चार साल बाद अकाली दल को ज्वाइन कर लिया।