सफलता की कहानीः पिता की ख्वाहिश ने गौरव आहुजा को क्रिकेटर से टीम सिलेक्टर बनाया

गौरव ने साईं दास स्कूल से ही 12वीं की। यहीं से क्रिकेट में ज्यादा रूचि बढ़ने से खुद ब खुद इस खेल की तरफ रुझान हो गया। आज वे इसी स्कूल में बच्चों को क्रिकेट के गुर सिखाते हैं।

By Edited By: Publish:Sun, 13 Oct 2019 07:58 PM (IST) Updated:Mon, 14 Oct 2019 03:04 AM (IST)
सफलता की कहानीः पिता की ख्वाहिश ने गौरव आहुजा को क्रिकेटर से टीम सिलेक्टर बनाया
सफलता की कहानीः पिता की ख्वाहिश ने गौरव आहुजा को क्रिकेटर से टीम सिलेक्टर बनाया

जालंधर, जेएनएन। मैं गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू का रहने वाला हूं। मेरा जन्म 1983 में गोपाल नगर में हुआ था। पिता एचएल आहुजा साईं दास एएस सीनियर सेकेंडरी स्कूल पटेल चौक में पंजाबी शिक्षक के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं। मां कौशल्या देवी सरकारी प्राइमर स्कूल आनंद नगर से हेड टीचर सेवानिवृत्त हैं। पिता साईं दास स्कूल के एनसीसी विंग के 19 साल इंचार्ज रहे। पिता की ख्वाइश थी कि बेटा स्पो‌र्ट्स में ही आगे बढ़े।

मैंने पहले साईं दास स्कूल से ही 12वीं की। यहीं से क्रिकेट में ज्यादा रूचि बढ़ने से खुद ब खुद इस खेल की तरफ रुझान हो गया। स्कूल लेवल से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। 12वीं के बाद पहले कुरुक्षेत्र और उसके बाद जीएनडीयू से सर्टिफिकेट इन फिजिकल एजुकेशन की पढ़ाई की। शिक्षा विभाग में 2002 में आर्य समाज हाई स्कूल अलावलपुर में पीटीआइ टीचर के तौर पर ज्वाइनिंग हुई। उसके बाद 2003 से 2006 अपने ही स्कूल साईं दास स्कूल में पोस्टिंग हुई। जहां बेहद अच्छा तजुर्बा रहा क्योंकि यहीं से वे पढ़कर गए थे। अपने ही स्कूल में जाकर बच्चों को खेल के साथ जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करना अच्छा लगा। यहीं उनके छात्र राहुल वैंकी और मनदीप शर्मा भी रहे, जो अब इंटरनेशनल खिलाड़ी के रूप में जाने जाते हैं। इसकी उन्हें बेहद खुशी है। 2006 के बाद से वे अवतार नगर मिडिल स्कूल में पीटीआइ के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं। पंजाब की टीम 2008 में पहली बार अंडर-14 में विजेता रही है। युवाओं को खेल से जोड़ने के लिए खासा योगदान देने की बदौलत ही दो बार जिला स्तरीय अवार्ड जीत चुका हूं। मौजूदा समय में अंडर-14-17-19 लड़कों और लड़कियों की क्रिकेट टीमों के लिए सिलेक्टर व इंचार्ज की जिम्मेदारी मिली है।

- गौरव आहुजा, क्रिकेट कोच व सरकारी मिडिल स्कूल अवतार नगर पीटीआइ।

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