खरीदारों ने रोकी पेमेंट, खेल इंडस्ट्री लगा सकती है सेल्फ लाकडाउन
दूसरे राज्यों से कच्चा माल नहीं आने के कारण खेल इंडस्ट्री चितित है। कई राज्यों में लाकडाउन लगा होने के कारण उत्पादों की सप्लाई भी नहीं हो रही। उत्पाद बनकर इंडस्ट्री में तैयार पड़े हुए है।
कमल किशोर, जालंधर
दूसरे राज्यों से कच्चा माल नहीं आने के कारण खेल इंडस्ट्री चितित है। कई राज्यों में लाकडाउन लगा होने के कारण उत्पादों की सप्लाई भी नहीं हो रही। उत्पाद बनकर इंडस्ट्री में तैयार पड़े हुए है। खरीददार पेमेंट रोककर रखे हुए है। इंडस्ट्री लिक्विड मनी से श्रमिकों को तनख्वाह दे रही है। इन परेशानियों के चलते खेल इंडस्ट्री आने वाले दिनों में सेल्फ लाकडाउन लगा सकती है।
घरेलू कारोबार भी नहीं होने के कारण इंडस्ट्री के लिए श्रमिकों को वेतन देना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसे माहौल में श्रमिक अपने गांव की तरफ रुख कर सकते है। इंडस्ट्री का कहना है कि सरकार ने मैन्यूफैक्चर्स यूनिट खोल रखे है लेकिन दूसरे राज्यों में लाकडाउन लगा है। दूसरे राज्य की दुकानें व माल बंद पड़े है। खरीददार कहते हैं कि दुकानें खुलेंगी तो सामान बिकेगा। उसी के बाद पेमेंट हो सकेगी। ट्रेडर्स व दुकानदार पर दबाव नहीं डाल सकतें। आखिरकार इंडस्ट्री कैसे कारोबार करेगी। पहले ही सरकार ने खेल विग, स्कूल, कालेज व स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बंद कर रखे है। इंडस्ट्री स्वयं इंडस्ट्री बंद करने का फैसला लेने जा रही है।
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खेल इंडस्ट्री एक नजर में
-2200 से अधिक छोटी-बड़ी खेल औद्योगिक इकाईयां हैं जिले में
-2000 करोड़ का प्रतिवर्ष कारोबार करती है इंडस्ट्री
-120 एक्सपोर्ट्स
-900 करोड़ का कारोबार
-30 हजार श्रमिकों का रोजगार
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स्पोर्टिक्स सिडिकेट के एमडी अलकेश कोहली ने कहा कि इंडस्ट्री को कच्चा माल नहीं मिल रहा। दूसरे राज्यों से कारोबार नहीं, खरीदार ने पेमेंट रोक रखी है तो इंडस्ट्री कैसे सरवाइव करेगी। सरकार को इस समस्या को गंभीरता से सोचना होगा। जिनके पास कच्चा माल पड़ा है वह महंगे दामों में बेच रहे है।