जालंधर के खालसा कालेज में एक दिवसीय सेमिनार करवाया, नई शिक्षा प्रणाली के फायदों और नुकसान पर चर्चा की

जालंधर के खालसा कालेज फार वूमेन में नई शिक्षा नीति पर विचार चर्चा के लिए सेमिनार का आयोजन किया गया। प्रिंसिपल डा. नवजोत ने सभी का स्वागत करते हुए नई शिक्षा प्रणाली के फायदों और नुकसान पर चर्चा करते हुए सेमिनार का आगाज किया।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 01:42 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 01:42 PM (IST)
जालंधर के खालसा कालेज में एक दिवसीय सेमिनार करवाया, नई शिक्षा प्रणाली के फायदों और नुकसान पर चर्चा की
नई शिक्षा नीति पर विचार चर्चा के लिए एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

जागरण संवाददाता, जालंधर। जालंधर के लायलपुर खालसा कालेज फार वूमेन में नई शिक्षा नीति पर विचार चर्चा के लिए एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ताओं के रूप में एआईएसईसी आल इंडिया कमेटी के सचिव देवाशीष राय, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के विद्यार्थी कार्यकर्ता शिवाशीष प्रहराज, एआईएलईली पंजाब के कनवीनर प्रो. अमिंदरपाल सिंह ने विशेषतौर पर भाग लिया।

प्रिंसिपल डा. नवजोत ने सभी का स्वागत करते हुए नई शिक्षा प्रणाली के फायदों और नुकसान पर चर्चा करते हुए सेमिनार का आगाज किया। उन्होंने कहा कि परिवर्तन रचनात्मकता का सूचक होता है बशर्त कि यह परिवर्तन सकारात्मक हो। स्वास्थ्य, शिक्षा तथा सामाजिक सुरक्षा राज्य की जिम्मेदारी होनी चाहिए। प्रो. अमरिंदरपाल सिंह ने सेमिनार में प्रस्तुत किए जाने वाले विषयों की रूपरेखा का वर्णन किया। शिवाशीष प्रहराज ने इस नई शिक्षा नीति की संरचना, प्रक्रिया तथा उद्देश्य पर क्रमवार गहनता पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने स्कूलों में लागू सेमेस्टर सिस्टम, विषयों की भरमार, विषयों का चुनाव, पाठ्यक्रम की अनियमितता, अध्यापक वर्ग में मौजूद विभिन्न स्तरों की बात करते हुए नई शिक्षा नीति का तर्कपूर्ण ढंग से जोरदार विरोध किया।

उनहोंने इस नीति को विद्यार्थियों की सोच खत्म करने वाली तथा लोगों की आवाज को दबाने वाली संस्कृति कहा। देवाशीष राय ने पुरानी तथा नई शिक्षा नीति की तुलनात्मक व्याख्या करते हुए कहा कि आनलाइन परीक्षा तथा शिक्षा छात्रों के भविष्य के लिए घातक है। यह भविष्य को अंधकार में धकेलने जैसा है। जिसका देश के सर्वपक्षीय विकास पर गहरा नकारात्मक प्रभाव होगा।

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