संत सीचेवाल ने शुरू किया काली बेईं में मछलियों को बचाने के लिए प्रयास, पानी में डाली चूने व आक्सीजन की गोलियां

गंदे पानी के कारण पवित्र काली बेईं में मर रही मछलियों को बचाने के लिए वातावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल व उनके सेवादारों ने प्रयास आरंभ कर दिए हैं। बेईं के साथ लगती मोटरें चला कर साफ पानी डाला जा रहा है।

By Rohit KumarEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 10:49 AM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 10:49 AM (IST)
संत सीचेवाल ने शुरू किया काली बेईं में मछलियों को बचाने के लिए प्रयास, पानी में डाली चूने व आक्सीजन की गोलियां
काली बेईं में मछलियों को बचाने के लिए वातावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने प्रयास आरंभ कर दिए हैं।

शाहकोट, जेएनएन। गंदे पानी की बहुतायत के कारण पवित्र काली बेईं में मर रही मछलियों को बचाने के लिए वातावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल व उनके सेवादारों ने अपने स्तर पर प्रयास आरंभ कर दिए हैं। बेईं के साथ लगती मोटरें चला कर साफ पानी डाला जा रहा है, ताकि पानी में आक्सीजन की मात्रा बढ़ सके। बेईं में गंदे पानी की बहुतायत इस कदर हो गई है कि पानी में आक्सीजन घटने के कारण मछलियों को सांस लेने में मुश्किल हो रही है। इसलिए मछलियां तड़प कर मर रही है। मछली पालने वालों माहिरों की राय लेने के लिए संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने होशियारपुर से विशेष जांच टीम को बुलाया था।

इस टीम के माहिर सदस्य अरविंदर सिंह ने बेईं के पानी के जांच के बाद बताया कि पानी में पीएच की मात्रा सिर्फ पांच रह गई है। जो कि सात से ज्यादा हमेशा ही रहनी चाहिए। पानी में अमोनिया का स्तर भी बढ़ा हुआ है। मछलियों को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। बेईं में चूना, आक्सीजन वाली गोलियां, बाहर से मोटरों का साफ पानी बेईं में छोड़ा गया। ताकि मछलियों की जान बचाने के लिए सहायक हो सके।

अधिकारियों की लापरवाही के कारण मर रही मछलियां : सीचेवाल

संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने बताया कि बेईं में प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण चार- पांच बार मछलियां मर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि एक बार तो इतनी ज्यादा मछलियां मर गई थी की ट्रालियां भर-भर के बाहर निकाली थी। उन्होंने कहा कि पवित्र बेईं पंजाब और देश के लिए एक माडल के तौर पर स्थापित हुई थी लेकिन प्रशासनिक लापरवाही संगतों की मेहनत को मिट्टी में मिलाना चाहते हैं। इसको संगत कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगी, क्योंकि यह धार्मिक आस्था का केंद्र है। उन्होंने कहा कि यह गुरबाणी का आगमन अस्थान है। उन्होंने कहा कि पानी के कुदरती स्रोतों को बचाने के लिए पंजाब सरकार बड़े स्तर की नीति बनाए।

chat bot
आपका साथी