सार्वजनिक प्रापर्टी हमारी है, इनका सम्मान करें

सार्वजनिक प्रापर्टी का सम्मान करना चाहिए। यह जनता के पैसे से बनती है। अगर हम ये सोचें कि सभी सार्वजनिक सरकार की प्रापर्टी है तो ये गलत सोच है। सरकार की कमाई का मुख्य स्रोत कर है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 07:00 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 07:00 AM (IST)
सार्वजनिक प्रापर्टी हमारी है, इनका सम्मान करें
सार्वजनिक प्रापर्टी हमारी है, इनका सम्मान करें

सार्वजनिक प्रापर्टी का सम्मान करना चाहिए। यह जनता के पैसे से बनती है। अगर हम ये सोचें कि सभी सार्वजनिक सरकार की प्रापर्टी है तो ये गलत सोच है। सरकार की कमाई का मुख्य स्रोत कर है। सरकार यह जनता से वसूल करती है। उसी पैसे से ही सार्वजनिक प्रापर्टी का रख रखाव किया जाता है। अगर हम सार्वजनिक प्रापर्टी का नुकसान करते हैं तो हम अपनी ही प्रापर्टी का नुकसान करते हैं। इसलिए इन्हें सरकार की या अनाथ प्रापर्टी न समझें। हमें सार्वजनिक प्रापर्टी का सम्मान करते हुए उनका ध्यान रखना चाहिए। इससे देश का पैसा बचेगा जो शिक्षा, मेडिकल, डिफेंस आदि पर जहां बेहतरी के लिए उस पैसे का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह देश व समाज के लिए जो बेहतर रहेगा। कई क्षेत्र हैं, जहां अभी भी सुधार किया जाना बाकी है और सरकारें निरंतर पैसा वहां पर खर्चा नहीं कर पा रही है। हर जगह सुधार होगा व समाज की बेहतरी के लिए देश का पैसा लगेगा तो बेहतर नतीजे भी सामने आएंगे। आज समय की जरूरत है कि बच्चों को छोटी सी उम्र में ही सार्वजनिक प्रापर्टी का सम्मान करना सिखाएं। उन्हें इन प्रापर्टी का नुकसान न पहुंचाने के प्रति जागरूक करना होगा। यह जिम्मेदारी अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षकों की भी बनती है। इसके लिए स्कूलों में जागरूकता प्रोग्राम चलाए जाते हैं और यह सिलसिला जारी रखना होगा। जहां विद्यार्थियों को अपनी संस्कृति से जोड़ा जा सके, संस्कृति प्रेम की भावना जगाई जा सके। इसी उद्देश्य को मुख्य रखते हुए स्कूलों में प्रोग्राम में वक्ताओं के जरिये बेहतरीन गाइडेंस भी दी जाती है। विद्यार्थियों की तरफ से भी नए-नए प्रयोगों के जरिये प्राकृति संरक्षण आदि में अपना योगदान दिया जाता है। हर किसी को बस अपनी सोच के दायरे को बेहतर बनाने की जरूरत है। उसी बेहतर सोच के साथ मिलकर सभी को आगे कदम बढ़ाने चाहिए। फिर चाहे बच्चा हो, बड़ा हो या फिर बूढ़ा ही क्यों नहीं। छोटे-छोटे प्रयासों से ही विकसित और स्मृद्ध समाज की कल्पना को साकार किया जा सकता है। यह तभी संभव हो पाएगा, जब हम अपना दायित्व भी समझें। इसके लिए शुरूआत खुद के घर से करते हुए बच्चों को संस्कारों व संस्कृति से जोड़ें। उनमें देश प्रेम की भावना उनमें जागृत करें। आज के बच्चे व युवा ही कल देश का भविष्य बनेंगे। यही युवा अपनी बेहतरीन सोच के साथ नए-नए विचारों के साथ देश व समाज की बेहतरी में अपना योगदान डाल सकेंगे। इसके अलावा सामाजिक संगठन व एनजीओज का भी इसमें भी बेहतरीन रोल हो सकता है। वे भी नुक्कड़ नाटकों, जागरूकता प्रोग्रामों के जरिये समाज को नई दिशा दिखा सकते हैं। गिरीश कुमार, प्रिसिपल एपीजे स्कूल महावीर मार्ग

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