निगम नारियल की वेस्ट मैनेजमेंट के लिए लगाएगा स्पेशल मशीन

शहर में नारियल पानी की बिक्री तेजी से बढ़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 05:30 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 05:30 AM (IST)
निगम नारियल की वेस्ट मैनेजमेंट के लिए लगाएगा स्पेशल मशीन
निगम नारियल की वेस्ट मैनेजमेंट के लिए लगाएगा स्पेशल मशीन

जगजीत सिंह सुशांत, जालंधर

शहर में नारियल पानी की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। खासकर पॉश इलाकों में कई जगहों पर नारियल पानी के स्टाल लगे देखे जा सकते हैं। इम्युनिटी बूस्टर होने के कारण अब जूस सेंटर और गली मोहल्लों में जूस की रेहड़ियों पर भी नारियल पानी की बिक्री में काफी इजाफा हुआ है। इससे शहर में हरे नारियलों का वेस्ट भी तेजी से बढ़ा है। इसे संभालना अब नगर निगम के लिए मुश्किल हो रहा है। घरों से निकलने वाले गीले कूड़े के साथ इसे खाद में बदलना मुश्किल हो रहा है।

ऐसे में नगर निगम ने हरे नारियल के खोल को टुकड़ों में बदलकर चूरा बनाने वाली मशीनें लगाने का फैसला लिया है। निगम की हेल्थ एंड सैनिटेशन एडहॉक कमेटी की सिफारिश पर निगम ने चार श्रेडर मशीनें खरीदने का फैसला किया है। निगम के हेल्थ अफसर डा. श्रीकृष्ण का कहना है कि यह मशीनें शहर के चार डंप पर लगाई जाएंगी। यहीं पर नारियल के वेस्ट को चूरे में बदला जाएगा। शहर में रोजाना चार से पांच ट्रालियां नारियल का वेस्ट निकल रहा है। इन्हें रेहड़ियों और घरों से अलग लिया जाएगा और जहां मशीने लगाई जाएंगी उन डंपों पर पहुंचाया जाएगा। एक मशीन की कीमत करीब सवा लाख रुपये है। रोजाना बिक रहे 20 हजार नारियल

शहर में रोजाना 15 से 20 हजार हरे नारियल बिक रहे हैं। नारियल पानी की बिक्री का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नारियल की वेस्ट को संभालने के लिए निगम को योजना बनानी पड़ रही है। शहर में रोजाना आठ से दस ट्रक नारियल आ रहे हैं। दूसरे शहरों को भी जालंधर से ही सप्लाई हो रही है। खाद बनाने में भी होगी आसानी

नारियल के खोल को खाद में बदलना आसान नहीं है। खाद में बदलने में काफी समय लगेगा। इसलिए इसे चूरा करके खाद बनाने के प्रोसेस में इस्तेमाल किया जा सकता है। डा. श्रीकृष्ण शर्मा ने कहा कि नारियल का वेस्ट नमी सोखने में फायदेमंद है। ऐसे में नारियल वेस्ट के चूरे का प्रयोग पिट्स में कूड़े के साथ किया जाएगा। इससे कूड़ा जल्दी सूखेगा और खाद में बदलने में आसानी रहेगी। नारियल वेस्ट को मिलाने से बनने वाली खाद की क्वालिटी भी अच्छी होगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल चार मशीनों से काम चलाएंगे और जरूरत पड़ी तो और मशीनें खरीद जा सकेंगी।

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