जरूरतमंदों का सहारा बने अमृतसर के रिक्शा चालक राजबीर, जीवन में अपनाया नाम जपो, किरत करो, वंड छको का सिद्धांत

छेहरटा में घन्नूपुर काले क्षेत्र के रहने वाले 45 वर्षीय राजबीर ने रिक्शे पर पैडल मारने के दौरान अपने अनुभवों को संजोकर रिक्शे ते चलदी जिंदगीट नामक किताब भी लिख दी है। इसमें उन्होंने 14 लघु कहानियां दर्ज हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 09:56 AM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 10:03 AM (IST)
जरूरतमंदों का सहारा बने अमृतसर के रिक्शा चालक राजबीर, जीवन में अपनाया नाम जपो, किरत करो, वंड छको का सिद्धांत
राजबीर सिंह अपने रिक्शे पर लगाई गुरु की गोलक को दिखाते हुए।

अखिलेश सिंह यादव, अमृतसर। कदे पवे ना किसे ते बुरे वक्तां दी मार,  जिस दा है नईं कोई सहारा, ओसदी आपां लैणी सार, दसवंध मेरे वीरो लोड़वंदा लेखे लाओ...। बाबा नानक दे नाम जपो, किरत करो, वंड छको... सिद्धांत नूं अपनाओ। इन उपदेशों का अपने जीवन में अनुसरण कर राजबीर सिंह ने करीब 22 साल पहले मानवता की सेवा का संकल्प लिया था। पेशे से वह रिक्शा चालक समाज के लोगों के लिए मिसाल हैं। भगत पूरन सिंह मानवता अवार्ड पाने वाले राजबीर सिंह ने अपने रिक्शे पर एक गुरु की गोलक (डोनेशन बाक्स) लगाई हुई है। उसमें वह अपनी कमाई से दसवंध निकाल कर गुरु की गोलक में अर्पित करते हैं। इसके जरिये वह जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं। किसी को वह राशन पहुंचा रहे हैं तो किसी की मेडिकल सेवा करते हैं। उन्हें लिखने का भी शौक है। वह रोजाना के अपने अनुभव कागज पर उतारते हैं। उनके जीवन के अनुभवों को सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है। वह पिछले 22 साल से रिक्शा चलाते हुए समाजसेवा कर रहे हैं।

'रिक्शे ते चलदी जिंदगी' पुस्तक लिखी

छेहरटा में घन्नूपुर काले क्षेत्र के रहने वाले 45 वर्षीय राजबीर ने रिक्शे पर पैडल मारने के दौरान अपने अनुभवों को संजोकर 'रिक्शे ते चलदी जिंदगी' नामक किताब भी लिख दी। इसमें 14 लघु कहानियां दर्ज हैं। यह किताब वर्ष 2017 में उस समय आइजी रहे कुंवर विजय प्रताप सिंह और आंख रोग विशेषज्ञ स्व. डा. दलजीत सिंह ने विरसा विहार में एक समारोह में रिलीज की थी। पिछले 22 साल से वह रिक्शा चला रहे हैं और तब से ही वह समाजसेवा भी कर रहे हैं।

रात को अपने लेखन को देते हैं अंतिम रूप

राजबीर सिंह ने बताया कि उन्हें गुरबाणी में अटूट विश्वास है। लेखन में उनकी गहन रुचि है। दिन में रिक्शा पर सवारी उठाने और उसे छोड़ने के बाद के अनुभव वह कापी पर नोट करते हैं। जब फ्री समय मिलता है तब अपने अनुभव और समाज में कुछ नया घटित होता है तो उसे लिख लेते हैं। रात को कहानी के रूप में अंतिम रूप देते हैं ताकि वह पठनीय बन सके। 

इन परिवारों की कर रहे सेवा

पट्टी में एक दंपती को अपने दसवंध से निकाल कर हर महीने राशन पहुंचा रहे हैं। काले गांव में नौ वर्षीय बच्ची मुस्कान की आंखों का इलाज करवा रहे हैं। विधवा महिलाओं को दीवाली व अन्य पर्व पर सूट गिफ्ट देते हैं। जवान बेटे को खोने वाली विधवा महिला जज नगर निवासी रेखा, घन्नुपुर के रहने वाले दिव्यांग दंपती को हर माह राशन पहुंचाते हैं। इसके साथ अन्य कई समाज में जरूरतमंद लोगों की मदद कर अपने बड़े दिल का परिचय दे चुके हैं।

पांच अगस्त 2021 को भी मिला था अवार्ड

बाबा फरीद सोसायटी फरीदकोट ने वीरवार को राजबीर को मानवता के कल्याण के लिए भगत पूरन सिंह मानवता अवार्ड प्रदान किया। इससे पहले राजबीर को 5 अगस्त, 2021 को भगत पूरन सिंह की बरसी पर पिंगलवाड़ा में करवाए गए समारोह में प्रधान बीबी इंद्रजीत कौर ने राजबीर को सम्मानित किया था।

पिता हुए बीमार तो संभाली घर की कमान

भगवान सिंह और गुरमीत कौर के बेटे राजबीर सिंह ने बताया कि उनके पिता भगवान सिंह भी रिक्शा चलाते थे। जब वह बीमार हो गए तो घर की स्थिति खराब हो गई। उन्होंने तब दसवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की थी। फिर वह घर का गुजारा चलाने के लिए रिक्शा चलाने लगे। बाद में उनकी शादी राजवंत कौर से हुई। राजवंत गृहिणी हैं और बच्चे सिमरनजीत सिंह व रविंदर सिंह पढ़ाई कर रहे हैं।

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