जालंधर-पानीपत हाईवे पर अब जमा नहीं होगा बारिश का पानी, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनेगा तारनहार

जालंधर में नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया की तरफ से हाईवे के साथ-साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने की कवायद एक दशक से भी ज्यादा समय के बाद शुरू की गई है। दैनिक जागरण समय-समय पर हाईवे के पानी में डूबने की समस्या को प्रमुखता से उठाता रहा है।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 11:17 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 11:17 AM (IST)
जालंधर-पानीपत हाईवे पर अब जमा नहीं होगा बारिश का पानी, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनेगा तारनहार
जालंधर छावनी रेलवे स्टेशन के आगे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए चल रही खोदाई। (जागरण)

जालंधर [मनुपाल शर्मा]। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जालंधर-पानीपत सिक्सलेन हाईवे को बरसात के पानी में डूबने से बचाएगा। नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) की तरफ से हाईवे के साथ-साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने की कवायद एक दशक से भी ज्यादा समय के बाद शुरू की गई है। दैनिक जागरण समय-समय पर हाईवे के पानी में डूबने की समस्या को प्रमुखता से उठाता रहा है।

जालंधर-पानीपत नेशनल हाईवे पर पानीपत से जालंधर तक 50 से ज्यादा जगहों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किए जा रहे हैं। इस काम पर लगभग 10 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। 291.9 किलोमीटर लंबे जालंधर पानीपत सिक्सलेन हाईवे प्रोजेक्ट पर निजी कंपनी सोमा ने काम करना था, लेकिन कंपनी ने हाईवे के साथ बनाए गए ड्रेन कहीं भी कनेक्ट नहीं किया। इस वजह से बारिश के पानी की निकासी नहीं हो पा रही है और प्रोजेक्ट शुरू होने के 12 वर्ष बाद तक प्रत्येक बरसात के बाद हाईवे पर खड़ा होने वाला पानी समस्या उत्पन्न कर देता है। यह पानी राहगीरों के अलावा हाईवे को भी नुकसान पहुंचा रहा है। हालांकि अब प्रोजेक्ट से सोमा कंपनी को टर्मिनेट कर दिया गया है और अब एनएचएआइ खुद काम करवा रही है।

एनएचएआइ हाईवे के साथ बने ड्रेन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने के लिए खोदाई करवा रही है। कई जगहों पर इसे लगाया जा चुका है। अब जालंधर में खोदाई शुरू हो गई है।

जालंधर में यहां खड़ा होता है बरसात का पानी

जालंधर में ट्रांसपोर्ट नगर, पठानकोट चौक, लम्मा पिंड चौक, चौगिट्टी चौक, पीएपी चौक, पीएपी चौक से लेकर रामा मंडी के मध्य और धन्नोवाली से लेकर परागपुर तक जगह-जगह बरसात का पानी खड़ा हो जाता है। हालात यह हो जाते हैं कि एक दिन की बरसात का पानी कई दिन तक निकल नहीं पाता। इससे सड़क बैठ रही है और फ्लाईओवरों को भी नुकसान पहुंच रहा है। पानी खड़ा होने की वजह से जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

ऐसे काम करता है रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

सबसे पहले जमीन में गहरा गड्ढा बनाना होता है। पानी एक पाइप के जरिए इस गड्ढे में उतारा जाता है। खोदाई के बाद इस गड्ढे में सबसे नीचे मोटे पत्थर (कंकड़), बीच में मध्यम आकार के पत्थर (रोड़ी) और सबसे ऊपर बारीक रेत या बजरी डाल दी जाती है। यह सिस्टम फिल्टर का काम करता है और साफ पानी सीधा जमीन की सतह तक पहुंचता है।

भूमिगत जलस्तर बढ़ेगा

हाईवे किनारे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने से जहां हाईवे पर पानी खड़ा नहीं होगा, वहीं भूमिगत जल स्तर में भी सुधार होगा। जालंधर का अधिकतर क्षेत्र डार्क जोन में पाया जा रहा है, जहां पर पानी बेहद नीचे जा चुका है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग से जब बारिश का पानी सीधा जमीन की सतह तक पहुंचेगा तो अपने आप जलस्तर भी ऊपर उठेगा।

वाटर लागिंग वाले स्थानों पर बनेंगे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

हाईवे पर जिन स्थानों पर वाटर लागिंग की समस्या है, वहीं पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किए जा रहे हैं। जालंधर में मौजूदा समय में पीएपी चौक में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किया जा चुका है और अब जालंधर छावनी रेलवे स्टेशन के आगे खोदाई चल रही है।

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